लद्दाख के पैंगोंग त्सो झील पर चीन के दूसरा पुल बनाने की खबर के बाद विदेश मंत्रालय (MEA) का बयान सामने आया है. एमईए ने गुरुवार को कहा कि वो स्थिति की निगरानी कर रहा है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची से जब पूछा गया कि क्या भारत-चीन वार्ता चीन को दूसरा पुल बनाने से रोकने में अप्रभावी रही, तो उन्होंने कहा कि पुल बनाना और बातचीत होना दो अलग-अलग मुद्दे हैं और इन्हें विभिन्न स्तरों पर निपटाए जा रहे हैं.
बागची ने कहा, "बातचीत के साथ-साथ पुल का भी मुद्दा है. हम अपनी बात को लेकर बहुत स्पष्ट हैं, हम एक ही बात बार-बार कह रहे हैं और हमने विभिन्न स्तरों पर चीनी पक्ष के साथ विभिन्न दौर की बातचीत की है. चाहे वो राजनयिक हों या सैन्य पक्ष."
अरिंदम बागची ने कहा, "हमने इस पुल या दूसरे पुल पर रिपोर्ट देखी है. हम स्थिति की निगरानी कर रहे हैं. बेशक, हमने हमेशा महसूस किया है कि इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया गया था." विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने मार्च में चीनी विदेश मंत्री वांग यी की यात्रा सहित विभिन्न स्तरों पर भारत और चीन के बीच वार्ता का भी जिक्र किया.
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एमईए के प्रवक्ता ने कहा, "जैसा कि उस समय विदेश मंत्री ने कहा था, विदेश मंत्री ने अपनी अपेक्षाओं से अवगत कराया था. 2020 के बाद से चीनी सेना की तैनाती से उत्पन्न होने वाले तनाव के बाद, इस तरह से दो पड़ोसियों के बीच सामान्य संबंधों को सुलझाया नहीं जा सकता है, इसलिए हम राजनयिक और सैन्य दोनों स्तर पर चीनी पक्ष के साथ जुड़े रहेंगे और यह सुनिश्चित करने के लिए कि दोनों मंत्रियों द्वारा दिए गए निर्देशों को पूरी तरह से लागू जाये.”
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने आगे कहा कि इस मुद्दे पर सेना का नजरिया वो नहीं बता सकते. रक्षा मंत्रालय इसे बेहतर तरीके से समझा सकता है.
बता दें कि 2020 में पैंगोंग त्सो और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के सैनिक के बीच झड़प के बाद तनाव का माहौल बना हुआ है. और इसे कम करने को लेकर भारत और चीन के बीच 15 दौर की बातचीत हो चुकी है.
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