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SSC के खिलाफ सड़क पर शिक्षक और छात्र, ये सिस्टम इतनी परीक्षा क्यों लेता है?

स्टाफ सेलेक्शन कमीशन भारत की ऐसी संस्था है जो कि सरकारी कर्मचारियों का चुनाव करती है. चुनाव के लिए एग्जाम होता है लेकिन अब यही एग्जाम दवा की जगह दर्द बन गया है. देश की राजधानी दिल्ली में पिछले दो दिनों से SSC परीक्षा देने वाले प्रतियोगी धरना प्रदर्शन कर रहे हैं

SSC के खिलाफ सड़क पर शिक्षक और छात्र, ये सिस्टम इतनी परीक्षा क्यों लेता है?
  • भारत में सरकारी नौकरी को सफलता का प्रमुख मानदंड माना जाता है और इससे सामाजिक रुतबा तय होता है
  • स्टाफ सेलेक्शन कमीशन द्वारा आयोजित परीक्षाओं में तकनीकी और प्रबंधन संबंधी गंभीर समस्याएं सामने आई हैं
  • EDUQUITY कंपनी को विवादास्पद टेंडर प्रक्रिया के तहत SSC परीक्षाओं का आयोजन करने का ठेका मिला है
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नई दिल्ली:

अब जमाना कितना भी नया हो जाए लेकिन कुछ चीजें ऐसी हैं जिनका क्रेज कभी खत्म नहीं होता. हिंदुस्तान बिजनेस प्रधान देश नहीं है. यहां अब भी कई लोग नौकरी लगने को अपना सबसे बड़ा अचीवमेंट मानते हैं. जब बच्चे कामयाब होते हैं तो वो नौकरी पर जाते हैं. पहला अपॉइंटमेंट लेटर मिलता है तो फिर माता पिता का सीना गर्व से चौड़ा होता है. गली मोहल्ले से लेकर रिश्तेदारों तक को बताते हैं. देखो हमारा बेटा तो कामयाब हो गया और ये सब इसलिए क्योंकि हमारे देश में नौकरी, खासकर सरकारी नौकरी का मिल जाना ही एक व्यक्ति के कामयाब होने की कसौटी है. इसी के आधार पर उसकी शादी होती है और समाज में रुतबा तय होता है. स्टेटस बनता है इसलिए युवाओं की तकलीफों पर ध्यान दिया जाना चाहिए और अच्छी बात है कि युवाओं की समस्या पर SSC चेयरमैन ने ध्यान दिया और इसे दूर करने का आश्वासन दिया.

स्टाफ सेलेक्शन कमीशन भारत की ऐसी संस्था है जो कि सरकारी कर्मचारियों का चुनाव करती है. चुनाव के लिए एग्जाम होता है लेकिन अब यही एग्जाम दवा की जगह दर्द बन गया है. देश की राजधानी दिल्ली में पिछले दो दिनों से SSC परीक्षा देने वाले प्रतियोगी धरना प्रदर्शन कर रहे हैं जबकि इस बीच उनकी परीक्षा चल रही थी. एग्जाम छोड़ कर प्रदर्शन की नौबत क्यों आयी? इसका कारण सुनने के लिए देश में किसी का कान खुला नहीं है जबकि प्रतियोंगियों की मांग लेकर सांसद संसद में भी खड़े हैं.

दिल्ली की सड़कों पर पुलिस जिनके पीछे दौड़ रही है. जिन्हे बस और गाड़ियों में भर कर पुलिस ले जा रही है. वो न तो अपराधी हैं और न ही कोई राजनीतिक प्रदर्शनकारी हैं. दिल्ली की जमीन पर अपना दर्द लेकर भटक रहे ये युवक सर्विस सेलेक्शन बोर्ड में जड़ जमा चुकी बीमारी के पीड़ित हैं. हर चेहरे की एक समस्या है. जिसकी जिम्मेदार SSC है.

ये उस कंपनी का नाम है जिसे SSC ने 8 प्रमुख परीक्षाों- SSC CHSL, SSC CGL, SSC MTS, SSC GD Constable, SSC CPO, SSC Steno, SSC JE  करवाने की जिम्मेदारी दी है. कंपनी को इतनी बड़ी जिम्मेदारी इसलिए मिली है क्योंकि इन्होंने परीक्षा करवाने के लिए SSC से प्रति प्रतियोगी सिर्फ 125 रुपए मांगे थे जबकि इनकी विरोधी कंपनी ने 286 का रेट कोट किया था.

NDTV संवाददाता अश्विनी कुमार के पास इस टेंडर और उससे जुड़े कागजात भी हैं. जिन्हें आप अपने टीवी स्क्रीन पर साफ साफ देख सकते हैं. EDUQUITY कंपनी को दो साल के लिए प्रतिबंधित किया गया था. इस कंपनी पर मध्यप्रदेश TET 2022, मध्यप्रदेश पटवारी परीक्षा 2023, महाराष्ट्र MBA CET 2023 परीक्षा में भूमिका के आरोप हैं. दावा ये भी किया जा रहा  है कि विवादित टेंडर शर्तों में ऐसे बदलाव हुए जिन्होंने EDUQUITY कंपनी को प्रतियोगिता में हिस्सा लेने लायक बना दिया. सबसे पहले टेक्निकल बिड में बदलाव करके बोली प्रक्रिया को सरल बनाया गया और ऐसी कंपनी को भी टेंडर भरने लायक समझा गया जिसने कभी केन्द्र के लिए कोई परीक्षा आयोजित न करवाई हो. मतलब केवल राज्यसरकार के लिए परीक्षा आयोजित कराने वाली कंपनी को भी योग्य माना गया और बाद में उसी को ठेका भी मिल गया.

वैसे प्रतियोगी छात्रों का दर्ज संसद की दहलीज पर भी दस्तक दे रहा है. चंद्रशेखर की आवाज अकेली है. इसे सबके कान तक पहुंचना चाहिए ताकि जल्द से जल्द SSC की बीमारी से पीड़ित प्रतियोगियों को बीमारी का इलाज मिल सके. SSC छात्रों के आंदोलन मे कोचिंग वाले गुरू जी भी बहुत सक्रिय हैं. मेरा व्यक्तिगत विश्वास है कि ये कोचिंग वाले कंपटीशन में बिना वजह का तनाव तैयार करते हैं लेकिन प्रतियोगी छात्रों का मानना है कि कोचिंग वाले ही उनका दर्द सुन रहे हैं. 

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