फाइल फोटो : उत्तर प्रदेश विधानसभा भवन
लखनऊ:
उत्तर प्रदेश विधानमंडल के मानसून सत्र का शुक्रवार को जोरदार हंगामे के साथ समापन हो गया। अंतिम दिन सदन की मर्यादा तार-तार हो गई। मुजफ्फरनगर हिंसा को लेकर सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायकों के बीच तीखी तकरार और धक्का-मुक्की भी हुई। वरिष्ठ सदस्यों के बीच-बचाव के बाद मामला शांत हुआ।
विधानसभा में मानसून सत्र के अंतिम दिन की कार्यवाही सुबह 11 बजे सुचारू रूप से शुरू हुई। विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय ने शून्यकाल में मुजफ्फरनगर हिंसा में आरोपी बनाए गए भाजपा विधायक सुरेश राणा को बोलने की इजाजत दी। राणा अपना पक्ष रख ही रहे थे कि इसी बीच सपा सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। यह देख भाजपा के कई विधायक भी राणा के पक्ष में नारे लगाने लगे।
इस बीच सूबे के कद्दावर मंत्री अम्बिका चौधरी ने भाजपा विधायकों को चुप रहने की नसीहत दी, लेकिन वह चुप नहीं हुए। आपा खोकर चौधरी ने भाजपा सदस्यों के खिलाफ असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया। इसके बाद भाजपा सदस्य और उग्र हो गए।
भाजपा सदस्यों ने मांग की कि जब तक चौधरी अपने बयान को लेकर माफी नहीं मांगेंगे तब तक वे सदन नहीं चलने देंगे। हंगामे को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी।
सदन की कार्यवाही जैसे ही दोबारा शुरू हुई, दोनों पक्षों के विधायकों में दोबारा झड़प शुरू हो गई। इस बीच सूबे के राज्यमंत्री पवन पांडेय और भाजपा विधायक उपेंद्र तिवारी के बीच जमकर झड़प हुई। मामला बढ़ता देख कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने बीच-बचाव कर दोनों को अलग किया।
इस बीच, भाजपा के सदस्य चौधरी से बयान वापस लेने की मांग कर रहे थे। अंत में चौधरी ने अपने बयान पर खेद व्यक्त किया, तब जाकर मामला शांत हुआ।
पूरे मामले पर विधानसभा में बसपा के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, "मैंने तो पहले ही कहा था कि सूबे में सपा के माफिया ही सरकार चला रहे हैं और अब यह बात सदन में भी साबित हो गई है।"
कांग्रेस के नेता प्रदीप माथुर ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए सभी सदस्यों को मर्यादा में रहने की नसीहत दी।
इस बीच भाजपा के विधायक उपेंद्र तिवारी ने कहा, "सरकार के मंत्री और विधायक सदन के भीतर विपक्ष की आवाज को दबाना चाहते हैं लेकिन भाजपा ऐसा नहीं होने देगी। सरकार के मंत्री को सदन के भीतर भाजपा सदस्यों से माफी मांगनी पड़ी।
विधानसभा में मानसून सत्र के अंतिम दिन की कार्यवाही सुबह 11 बजे सुचारू रूप से शुरू हुई। विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय ने शून्यकाल में मुजफ्फरनगर हिंसा में आरोपी बनाए गए भाजपा विधायक सुरेश राणा को बोलने की इजाजत दी। राणा अपना पक्ष रख ही रहे थे कि इसी बीच सपा सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। यह देख भाजपा के कई विधायक भी राणा के पक्ष में नारे लगाने लगे।
इस बीच सूबे के कद्दावर मंत्री अम्बिका चौधरी ने भाजपा विधायकों को चुप रहने की नसीहत दी, लेकिन वह चुप नहीं हुए। आपा खोकर चौधरी ने भाजपा सदस्यों के खिलाफ असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया। इसके बाद भाजपा सदस्य और उग्र हो गए।
भाजपा सदस्यों ने मांग की कि जब तक चौधरी अपने बयान को लेकर माफी नहीं मांगेंगे तब तक वे सदन नहीं चलने देंगे। हंगामे को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी।
सदन की कार्यवाही जैसे ही दोबारा शुरू हुई, दोनों पक्षों के विधायकों में दोबारा झड़प शुरू हो गई। इस बीच सूबे के राज्यमंत्री पवन पांडेय और भाजपा विधायक उपेंद्र तिवारी के बीच जमकर झड़प हुई। मामला बढ़ता देख कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने बीच-बचाव कर दोनों को अलग किया।
इस बीच, भाजपा के सदस्य चौधरी से बयान वापस लेने की मांग कर रहे थे। अंत में चौधरी ने अपने बयान पर खेद व्यक्त किया, तब जाकर मामला शांत हुआ।
पूरे मामले पर विधानसभा में बसपा के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, "मैंने तो पहले ही कहा था कि सूबे में सपा के माफिया ही सरकार चला रहे हैं और अब यह बात सदन में भी साबित हो गई है।"
कांग्रेस के नेता प्रदीप माथुर ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए सभी सदस्यों को मर्यादा में रहने की नसीहत दी।
इस बीच भाजपा के विधायक उपेंद्र तिवारी ने कहा, "सरकार के मंत्री और विधायक सदन के भीतर विपक्ष की आवाज को दबाना चाहते हैं लेकिन भाजपा ऐसा नहीं होने देगी। सरकार के मंत्री को सदन के भीतर भाजपा सदस्यों से माफी मांगनी पड़ी।
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