प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
डाटा को 'अनाधिकृत प्राप्तकर्ताओं' तक पहुंचने से बचाने के लिए और साइबर खतरों के जोखिम से बचने के लिए सीमा की सुरक्षा कर रहे बल आईटीबीपी ने अपने जवानों के लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल से जुड़े दिशा निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों के तहत उन्हें इंटरनेट पर राजनीतिक मुद्दों पर टिप्पणी करने से बचने और अभद्र एवं घृणित सामग्री को 'लाइक' करने से बचने के लिए कहा गया है। आंतरिक सुरक्षा और नक्सल-रोधी अभियानों में विभिन्न जिम्मेदारियां संभालने के अलावा चीन से सटी सीमा पर सुरक्षा में तैनात इस अर्धसैन्य बल ने हाल ही में दर्जन भर बिंदुओं वाला आधिकारिक आदेश इस संदर्भ में जारी किया है।
इन हालिया निर्देशों में कहा गया है, 'आधिकारिक तस्वीरें और दस्तावेज सोशल मीडिया की वेबसाइटों, विकीज़ और फेसबुक, ट्विटर, लिंक्डइन, गूगल प्लस आदि मंचों पर अपलोड नहीं की जानी चाहिए।' इन निर्देशों में कहा गया कि जवानों को राजनीति से जुड़े मामलों पर टिप्पणियां करने से भी बचना चाहिए। अधिकारियों ने कहा कि स्मार्ट फोनों और मल्टी-डाटा कनेक्टिविटी के दौर में 'डाटा के अनाधिकृत प्राप्तकर्ताओं तक पहुंचने' या 'सोशल इंजीनियरिंग' के खतरों के संभावित नुकसानों को ध्यान में रखते हुए बल के शीर्ष अधिकारियों की मंजूरी के बाद ये निर्देश जारी किए गए हैं।
सैनिकों से विवादास्पद एवं अरूचिकर सामग्री पर टिप्पणियां करने से बचने के लिए भी कहा गया है। दिशानिर्देशों में कहा गया कि जवानों को ब्लॉग लेखन, टिप्पणी, ट्वीट नहीं करनी चाहिए, तस्वीरें नहीं जारी करनी चाहिए और सोशल मीडिया पर नाबालिगों के उत्पीड़न वाले, अभद्र या घृणित सामग्री समेत किसी नकारात्मक या अवांछनीय घटना को लाइक या शेयर नहीं करना चाहिए। पहाड़ों पर तैनात रहने के लिए प्रशिक्षित इस बल के महिला एवं पुरुष सदस्यों से कहा गया कि वे इन मंचों पर कभी भी यह 'दावा' न करें और न ही ऐसा करते प्रतीत हों कि वे इंडो-तिबतन बॉर्डर पुलिस की ओर से बोल रहे हैं।
निर्देशों में कहा गया कि यूजर्स को सोशल मीडिया वेबसाइटों पर निजी जानकारी की मात्रा भी सीमित रखनी चाहिए और उन्हें अपने घर या कार्यस्थल का पता, फोन नंबर, नियुक्ति के स्थान और ऐसी अन्य निजी जानकारी पोस्ट करने से बचना चाहिए, जिसका इस्तेमाल उनका पीछा करने में किया जा सकता हो। बल के जवानों को इन मंचों पर अपने आधिकारिक ईमेल आईडी या पासवर्ड का इस्तेमाल 'नहीं करना' चाहिए और 'किसी तीसरे पक्ष को, विशेष तौर पर फॉलोवर्स दिलाने या पैसा बनाने का वादा करने वालों को' ये महत्वपूर्ण निजी जानकारियां नहीं देनी चाहिए।
हैकिंग या बहकाने वाले संदेशों जैसे सोशल मीडिया के हमलों का शिकार बनने से बचने के लिए जवानों को कुछ उपाय भी बताए गए हैं। इनमें कहा गया कि यूजर्स को उपलब्ध 'सिक्योरिटी' और 'प्राइवेसी' के विकल्पों का इस्तेमाल करना चाहिए और जहां भी जरूरत हो निजी खाते का इस्तेमाल करना चाहिए। सोशल मीडिया वेबसाइटों के इस्तेमाल के दौरान, अजनबियों की 'फ्रेंड रिक्वेस्ट' न स्वीकार करें और किसी भी 'फ्रेंड रिक्वेस्ट' को स्वीकार करने से पहले उनकी प्रोफाइल जरूर चेक करें। लगभग 80 हजार जवानों वाले बल के महिला एवं पुरुष सदस्यों से यह भी कहा गया है कि वे आधुनिक सुरक्षा उपाय और बेहतर एंटी-वायरस सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करें। निर्देशों में यह भी कहा गया कि अज्ञात वेबसाइट लिंक या अटेचमेंट को खोलने से बचें।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
इन हालिया निर्देशों में कहा गया है, 'आधिकारिक तस्वीरें और दस्तावेज सोशल मीडिया की वेबसाइटों, विकीज़ और फेसबुक, ट्विटर, लिंक्डइन, गूगल प्लस आदि मंचों पर अपलोड नहीं की जानी चाहिए।' इन निर्देशों में कहा गया कि जवानों को राजनीति से जुड़े मामलों पर टिप्पणियां करने से भी बचना चाहिए। अधिकारियों ने कहा कि स्मार्ट फोनों और मल्टी-डाटा कनेक्टिविटी के दौर में 'डाटा के अनाधिकृत प्राप्तकर्ताओं तक पहुंचने' या 'सोशल इंजीनियरिंग' के खतरों के संभावित नुकसानों को ध्यान में रखते हुए बल के शीर्ष अधिकारियों की मंजूरी के बाद ये निर्देश जारी किए गए हैं।
सैनिकों से विवादास्पद एवं अरूचिकर सामग्री पर टिप्पणियां करने से बचने के लिए भी कहा गया है। दिशानिर्देशों में कहा गया कि जवानों को ब्लॉग लेखन, टिप्पणी, ट्वीट नहीं करनी चाहिए, तस्वीरें नहीं जारी करनी चाहिए और सोशल मीडिया पर नाबालिगों के उत्पीड़न वाले, अभद्र या घृणित सामग्री समेत किसी नकारात्मक या अवांछनीय घटना को लाइक या शेयर नहीं करना चाहिए। पहाड़ों पर तैनात रहने के लिए प्रशिक्षित इस बल के महिला एवं पुरुष सदस्यों से कहा गया कि वे इन मंचों पर कभी भी यह 'दावा' न करें और न ही ऐसा करते प्रतीत हों कि वे इंडो-तिबतन बॉर्डर पुलिस की ओर से बोल रहे हैं।
निर्देशों में कहा गया कि यूजर्स को सोशल मीडिया वेबसाइटों पर निजी जानकारी की मात्रा भी सीमित रखनी चाहिए और उन्हें अपने घर या कार्यस्थल का पता, फोन नंबर, नियुक्ति के स्थान और ऐसी अन्य निजी जानकारी पोस्ट करने से बचना चाहिए, जिसका इस्तेमाल उनका पीछा करने में किया जा सकता हो। बल के जवानों को इन मंचों पर अपने आधिकारिक ईमेल आईडी या पासवर्ड का इस्तेमाल 'नहीं करना' चाहिए और 'किसी तीसरे पक्ष को, विशेष तौर पर फॉलोवर्स दिलाने या पैसा बनाने का वादा करने वालों को' ये महत्वपूर्ण निजी जानकारियां नहीं देनी चाहिए।
हैकिंग या बहकाने वाले संदेशों जैसे सोशल मीडिया के हमलों का शिकार बनने से बचने के लिए जवानों को कुछ उपाय भी बताए गए हैं। इनमें कहा गया कि यूजर्स को उपलब्ध 'सिक्योरिटी' और 'प्राइवेसी' के विकल्पों का इस्तेमाल करना चाहिए और जहां भी जरूरत हो निजी खाते का इस्तेमाल करना चाहिए। सोशल मीडिया वेबसाइटों के इस्तेमाल के दौरान, अजनबियों की 'फ्रेंड रिक्वेस्ट' न स्वीकार करें और किसी भी 'फ्रेंड रिक्वेस्ट' को स्वीकार करने से पहले उनकी प्रोफाइल जरूर चेक करें। लगभग 80 हजार जवानों वाले बल के महिला एवं पुरुष सदस्यों से यह भी कहा गया है कि वे आधुनिक सुरक्षा उपाय और बेहतर एंटी-वायरस सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करें। निर्देशों में यह भी कहा गया कि अज्ञात वेबसाइट लिंक या अटेचमेंट को खोलने से बचें।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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