
Maharashtra Political crisis: महाराष्ट्र में सियासी संकट गहराता जा रहा है. शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे ने सीएम उद्धव ठाकरे की ओर से आज शाम को बुलाई गई पार्टी विधायकों की बैठक को "अवैध" बताया. शिंदे ने अपने 'धड़े' को वास्तविक शिवसेना करार दिया और 46 विधायकों के समर्थन का दावा किया. गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे के आवास पर शाम 5 बजे सभी विधायकों की बैठक बुलाई गई थी. शिंदे की अगुवाई में बागियों के तेवरों को देखते हुए शिवसेना की ओर से बैठक का लेटर जारी किया था, जिसमें चेतावनी भरे लहजे में कहा गया था कि शाम 5 बजे की इस बैठक में भाग न लेने वालों विधायकों पर कार्रवाई की जाएगी. व्हाट्सएप ईमेल और एसएमएस के जरिये भेजे गए इस लेटर में कहा गया था कि शिवसेना ने 'वर्षा' (सीएम उद्धव ठाकरे का आधिकारिक आवास) सभी विधायकों की बैठक बुलाई है. हालांकि इस बैठक को बाद में रद्द कर दिया गया और बाद में उद्धव ठाकरे फेसबुक के जरिये संबोधन दिया.
इस बीच, शिंदे के समर्थक विधायकों ने राज्यपाल और महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर का पत्र लिखकर आग्रह किया है कि एकनाथ शिंदे, जिन्हें शिवसेना ने वर्ष 2019 में विधायक दल का नेता नियुक्त किया था, वे इस पद पर बने रहेंगे. इनका यह भी कहना है कि भारत गोगावले को पार्टी का चीफ व्हिप नियुक्त किया गया है और वे अभी भी शिवसेना में हैं.शिंदे की अगुवाई वाले ग्रुप के प्रस्ताव में कहा गया है कि वैचारिक रूप से विरोध कांग्रेस पार्टी और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर पार्टी कैडर में असंतोष व्याप्त है.शिंदे ग्रुप ने दावा किया कि सरकार में भ्रष्टाचार, नवाब मलिक और पूर्व मंत्री अनिल देशमुख के मामले और प्रशासनिक मसलों को लेकर काफी नाराजगी है.गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा में इस समय शिवसेना के 55 विधायक हैं, इसमें से 40 विधायक और निर्दलीय शिंदे के साथ बताए जा रहे हैं. यदि ये विधायक इस्तीफा देते हैं तो शिवसेना विधायकों की संख्या 15 रह जाएगी. एकनाथ शिंदे पार्टी को विभाजित कर सकते हैं लेकिन इस स्थिति में उन्हें दलबदल विरोधी कानून से बचने के लिए कम से कम 37 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी.
'बागियों' के लेटर में विद्रोही तेवर अख्तियार करने के कारणों का खुलासा किया है. खास बात यह है कि इसमें कहा गया है कि वे इस बात की पुष्टि करते हैं कि शिंदे विधायक दल के नेता हैं. उन्होंने भरत गोगावले की चीफ व्हिप के तौर पर नियुक्ति की बात कही. इन्होंने सुनील प्रमुख की इस पद पर नियुक्ति को रद्द कर दिया. इस पत्र में निर्दलीय सहित 34 विधायकों के दस्तखत हैं.
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