शनि शिंगणापुर मंदिर (फाइल फोटो)
मुंबई:
महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर के पवित्र चबूतरे पर चढ़कर महिलाएं पूजा करेंगी या नहीं, इसका फैसला महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस करेंगे। उनका फैसला मंदिर में पूजा के अधिकार को लेकर लड़ रही संस्था भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड को मंजूर होगा। अहमदनगर कलेक्टर के साथ महिला संगठन और मंदिर ट्रस्ट की बैठक के बाद भूमाता ब्रिगेड की तृप्ति देसाई ने ये बात कही।
शनिवार दोपहर महाराष्ट्र में अहमदनगर के कलेक्टर ने जो बैठक बुलाई में उसमें मंदिर के ट्रस्टी, अधिकारी और महिला भक्त सब शामिल हुए। बैठक ख़त्म होने के बाद भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड की तृप्ति देसाई ने कहा, 'बातचीत सकारात्मक हुई, वो कुछ कदम पीछे आए हैं। जिलाधिकारी और एसपी ने भी हमारे मांगों का समर्थन किया। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री जो कहेंगे सबको मंज़ूर होगा। हमने कहा कि ट्रस्टी महिला हैं इसलिए पूजा में महिलाओं को बराबरी का अधिकार मिलना चाहिए।'
कुछ दिनों पहले एक महिला शनि भगवान के चबूतरे तक पहुंच गई थी, जिसके बाद शिंगणापुर एक दिन के लिए बंद रहा, चबूतरे की सफाई हुई। भूमाता ब्रिगेड में इस कथित शुद्धिकरण के खिलाफ मोर्चा खोल दिया, कई दिनों तक प्रदर्शन किया। 29 जनवरी को 400 साल पुरानी परंपरा को तोड़ने तकरीबन 400 महिलाओं ने मंदिर तक पहुंचने की कोशिश, लेकिन उन्हें सूपा में रोक दिया गया।
शनि मंदिर में पूजा को लेकर हिन्दू धर्म में साधू-महंत भी एकमत नहीं हैं। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने तो शनि के भगवान के दर्जे पर सवाल उठा दिये, ऐसे में मंदिर में पूजा का सवाल भी सिर्फ अधिकारों तक सीमित नहीं है। परंपरावादियों की अपनी दलीले हैं, सुधारवादियों की अपनी, फैसला अब मुख्यमंत्री को करना है, सवाल आधी आबादी के अधिकार का जो है।
शनिवार दोपहर महाराष्ट्र में अहमदनगर के कलेक्टर ने जो बैठक बुलाई में उसमें मंदिर के ट्रस्टी, अधिकारी और महिला भक्त सब शामिल हुए। बैठक ख़त्म होने के बाद भूमाता रणरागिनी ब्रिगेड की तृप्ति देसाई ने कहा, 'बातचीत सकारात्मक हुई, वो कुछ कदम पीछे आए हैं। जिलाधिकारी और एसपी ने भी हमारे मांगों का समर्थन किया। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री जो कहेंगे सबको मंज़ूर होगा। हमने कहा कि ट्रस्टी महिला हैं इसलिए पूजा में महिलाओं को बराबरी का अधिकार मिलना चाहिए।'
कुछ दिनों पहले एक महिला शनि भगवान के चबूतरे तक पहुंच गई थी, जिसके बाद शिंगणापुर एक दिन के लिए बंद रहा, चबूतरे की सफाई हुई। भूमाता ब्रिगेड में इस कथित शुद्धिकरण के खिलाफ मोर्चा खोल दिया, कई दिनों तक प्रदर्शन किया। 29 जनवरी को 400 साल पुरानी परंपरा को तोड़ने तकरीबन 400 महिलाओं ने मंदिर तक पहुंचने की कोशिश, लेकिन उन्हें सूपा में रोक दिया गया।
शनि मंदिर में पूजा को लेकर हिन्दू धर्म में साधू-महंत भी एकमत नहीं हैं। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने तो शनि के भगवान के दर्जे पर सवाल उठा दिये, ऐसे में मंदिर में पूजा का सवाल भी सिर्फ अधिकारों तक सीमित नहीं है। परंपरावादियों की अपनी दलीले हैं, सुधारवादियों की अपनी, फैसला अब मुख्यमंत्री को करना है, सवाल आधी आबादी के अधिकार का जो है।
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