इन कमांडो ने दिया सेना के ऑपरेशन को अंजाम
नई दिल्ली:
भारतीय सेना ने एक बड़े ऑपरेशन में म्यांमार सीमा में दो किलोमीटर अंदर घुसकर उग्रवादियों के दो कैंप नेस्तनाबूद कर डाले। सेना की इस कार्रवाई में करीब 100 से ज्यादा उग्रवादियों के मारे जाने की खबर है। जनवरी 2006 में भी दोनों देशों ने एक ऐसा ही ज्वाइंट मिलिट्री ऑपरेशन चलाया था और म्यांमार से NSCN (खपलांग) ग्रुप को खदेड़ दिया था। लेकिन यह पहली बार है जब आतंकवादियों के हमले के इतने कम समय के भीतर ऐसा (क्रॉस बॉर्डर) ऑपरेशन चलाया गया हो। चलिए मंगलवार को हुए इस ऑपरेशन से जुड़ी खास सात बातें आपको बताएं जो NDTV को अपने सूत्रों से पता चली हैं :
योजना 4-5 दिन पहले ही बना ली गई थी
पिछले हफ्ते 4 जून को मणिपुर के चंदेल जिले में उग्रवादियों ने घात लगाकर हमला किया था, जिसमें सेना के 18 जवान शहीद हो गए। इसके बाद सरकार ने तय किया कि उग्रवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। पांच दिनों से इस पूरे ऑपरेशन को लेकर योजना बना ली गई थी। सेना को खबर मिल ही चुकी थी कि मणिपुर और नगालैंड सीमा पर उग्रवादी फिर से हमले की साजिश रचने में लगे हैं। म्यांमार सरकार के सहयोग से योजनाबद्ध तरीके से सेना ने उग्रवादी कैंपों पर सुबह साढ़े नौ बजे हमला बोल दिया।
पीएम नरेंद्र मोदी ने दी थी ऑपरेशन की मंजूरी
केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने एनडीटीवी से कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना को म्यांमार में आतंकवादियों के खिलाफ ‘कार्रवाई’ की मंजूरी दी थी, जिसमें उग्रवादियों के दो शिविरों को पूरी तरह से नेस्तनाबूद कर दिया गया। राठौर ने बताया, ‘उन सभी के लिए अब बिल्कुल स्पष्ट संदेश है, जो हमारे देश में आतंकवादी इरादे रखते हैं। यह यद्यपि अभूतपूर्व है लेकिन हमारे प्रधानमंत्री ने एक बहुत ही साहसिक कदम उठाया और म्यांमार में कार्रवाई के लिए मंजूरी दी।’
ऑपरेशन शुरू होने के बाद म्यांमार को सूचना
म्यांमार की सरकार को इस बारे सूचना इस ऑपरेशन की काफी हद तक कार्रवाई पूरी हो जाने के बाद दी गई। सोमवार रात 3 बजे ऑपरेशन शुरू किया गया था। ऑपरेशन के काफी समय बीत जाने के बाद ही म्यांमार सरकार को बाद में सूचना दी गई।
आर्मी चीफ़ समेत नेशनल सिक्यॉरिटी एडवायजर ने रद्द किए दौरे
नेशनल सिक्यॉरिटी एडवायजर डोवाल को बांग्लादेश जाना था, लेकिन उन्होंने इस ऑपरेशन के चलते अपना दौरा रद्द कर दिया। साथ ही आर्मी चीफ ने ब्रिटेन का दौरा रद्द किया। इन दोनों ने इस ऑपरेशन में अहम रोल प्ले किया। डोभाल और आर्मी चीफ़ मणिपुर रवाना हुए और जमीनी हकीकत का जायजा भी लिया।
भारतीय सेना को कोई नुकसान नहीं
इस पूरे ऑपरेशन के बारे में अहम बात यह रही कि भारतीय सेना के किसी सैनिक को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। इंटेलिजेंस से मिली सटीक सूचना से ऑपरेशन संभव हो सका।
दो कैंपों में क़रीब 150 उग्रवादी थे
दो कैंपों में क़रीब 150 उग्रवादी थे। दोनों कैंप पूरी तरह से नष्ट किए, शायद कुछ भागे गए हों। लेकिन यह निश्चित तौर पर 50 से ज्यादा यानी कि 100 से ज़्यादा उग्रवादी ढेर किए गए। ज़्यादातर कैंप में मारे गए। कार्रवाई ख़त्म कर मंगलवार दोपहर को ऐलान किया गया।
ऑपरेशन का फैसला था राजनीतिक, अमलीकरण था सेना का..
पीएम ने खुद इस ऑपरेशन की हामी भरी। सिचुएशन रूम से खुद पीएम मोदी ने इस पूरे ऑपरेशन को रियल टाइम में देखा। यह गौरतलब है कि यदि राजनीतिक रूप से हरी झंडी नहीं मिली होती तो इतने बड़े ऑपरेशन को अंजाम देना सेना के लिए मुश्किल था।
योजना 4-5 दिन पहले ही बना ली गई थी
पिछले हफ्ते 4 जून को मणिपुर के चंदेल जिले में उग्रवादियों ने घात लगाकर हमला किया था, जिसमें सेना के 18 जवान शहीद हो गए। इसके बाद सरकार ने तय किया कि उग्रवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। पांच दिनों से इस पूरे ऑपरेशन को लेकर योजना बना ली गई थी। सेना को खबर मिल ही चुकी थी कि मणिपुर और नगालैंड सीमा पर उग्रवादी फिर से हमले की साजिश रचने में लगे हैं। म्यांमार सरकार के सहयोग से योजनाबद्ध तरीके से सेना ने उग्रवादी कैंपों पर सुबह साढ़े नौ बजे हमला बोल दिया।
पीएम नरेंद्र मोदी ने दी थी ऑपरेशन की मंजूरी
केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने एनडीटीवी से कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना को म्यांमार में आतंकवादियों के खिलाफ ‘कार्रवाई’ की मंजूरी दी थी, जिसमें उग्रवादियों के दो शिविरों को पूरी तरह से नेस्तनाबूद कर दिया गया। राठौर ने बताया, ‘उन सभी के लिए अब बिल्कुल स्पष्ट संदेश है, जो हमारे देश में आतंकवादी इरादे रखते हैं। यह यद्यपि अभूतपूर्व है लेकिन हमारे प्रधानमंत्री ने एक बहुत ही साहसिक कदम उठाया और म्यांमार में कार्रवाई के लिए मंजूरी दी।’
ऑपरेशन शुरू होने के बाद म्यांमार को सूचना
म्यांमार की सरकार को इस बारे सूचना इस ऑपरेशन की काफी हद तक कार्रवाई पूरी हो जाने के बाद दी गई। सोमवार रात 3 बजे ऑपरेशन शुरू किया गया था। ऑपरेशन के काफी समय बीत जाने के बाद ही म्यांमार सरकार को बाद में सूचना दी गई।
आर्मी चीफ़ समेत नेशनल सिक्यॉरिटी एडवायजर ने रद्द किए दौरे
नेशनल सिक्यॉरिटी एडवायजर डोवाल को बांग्लादेश जाना था, लेकिन उन्होंने इस ऑपरेशन के चलते अपना दौरा रद्द कर दिया। साथ ही आर्मी चीफ ने ब्रिटेन का दौरा रद्द किया। इन दोनों ने इस ऑपरेशन में अहम रोल प्ले किया। डोभाल और आर्मी चीफ़ मणिपुर रवाना हुए और जमीनी हकीकत का जायजा भी लिया।
भारतीय सेना को कोई नुकसान नहीं
इस पूरे ऑपरेशन के बारे में अहम बात यह रही कि भारतीय सेना के किसी सैनिक को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। इंटेलिजेंस से मिली सटीक सूचना से ऑपरेशन संभव हो सका।
दो कैंपों में क़रीब 150 उग्रवादी थे
दो कैंपों में क़रीब 150 उग्रवादी थे। दोनों कैंप पूरी तरह से नष्ट किए, शायद कुछ भागे गए हों। लेकिन यह निश्चित तौर पर 50 से ज्यादा यानी कि 100 से ज़्यादा उग्रवादी ढेर किए गए। ज़्यादातर कैंप में मारे गए। कार्रवाई ख़त्म कर मंगलवार दोपहर को ऐलान किया गया।
ऑपरेशन का फैसला था राजनीतिक, अमलीकरण था सेना का..
पीएम ने खुद इस ऑपरेशन की हामी भरी। सिचुएशन रूम से खुद पीएम मोदी ने इस पूरे ऑपरेशन को रियल टाइम में देखा। यह गौरतलब है कि यदि राजनीतिक रूप से हरी झंडी नहीं मिली होती तो इतने बड़े ऑपरेशन को अंजाम देना सेना के लिए मुश्किल था।
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