महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 में से 30 सीटें जीतने वाली कांग्रेस (Congress) के कम से कम सात विधायकों ने शुक्रवार को हुए विधान परिषद चुनाव (Maharashtra Legislative Council elections) में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के उम्मीदवारों के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की. सूत्रों ने यह जानकारी दी है. विपक्षी दलों की महाविकास अघाड़ी के लिए एक चिंताजनक संकेत है.
आम तौर पर इन चुनावों के नतीजों के संकेत पहले ही साफ तौर पर मिल जाते हैं. विधान परिषद चुनाव को नवंबर के आसपास संभावित महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा था. विधान परिषद चुनाव में 11 सीटों के लिए 12 उम्मीदवार मैदान में थे.
संभवतः सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों द्वारा क्रॉस-वोटिंग से लाभ उठाने की उम्मीद में विपक्षी दलों के गठबंधन ने अपने पास मौजूद संख्या से एक अधिक उम्मीदवार खड़ा किया था. लेकिन ऐसा लगता है कि विपक्ष को फायदे के बजाय वोटों का नुकसान उठाना पड़ा.
हर उम्मीदवार को जीत के लिए 23 प्रथम वरीयता वोटों की जरूरत थी
महाराष्ट्र विधानसभा में विधायकों की संख्या 288 है, लेकिन वर्तमान में 274 विधायक हैं. इसका मतलब है कि प्रत्येक एमएलसी उम्मीदवार को जीतने के लिए 23 प्रथम वरीयता वोटों की जरूरत थी.
एनडीए गठबंधन के हिस्से महाराष्ट्र की महायुति में भाजपा, शिवसेना का एकनाथ शिंदे गुट और एनसीपी का अजित पवार गुट शामिल है. महायुति ने नौ उम्मीदवार मैदान में उतारे थे और उसके पास निर्दलीय और छोटे दलों सहित 201 विधायक हैं.
महा विकास अघाड़ी (MVA), जो कि इंडिया गठबंधन का हिस्सा है, में कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) प्रमुख घटक दल हैं. इसने केवल 67 विधायकों का समर्थन होने के बावजूद तीन उम्मीदवार खड़े किए थे. एक निर्दलीय सहित छह विधायक तटस्थ रहे.
इस चर्चा के बीच कि अजीत पवार एनसीपी समूह के कुछ नेता शरद पवार गुट के संपर्क में हैं, एमवीए को उम्मीद थी कि उसे महायुति से कुछ वोट मिलेंगे.
जयंत पाटिल हुए पराजित
शरद पवार गुट द्वारा समर्थित उम्मीदवार पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी के जयंत पाटिल पर्याप्त वोट नहीं मिलने के कारण हार गए. कांग्रेस उम्मीदवार और शिवसेना (यूबीटी) उम्मीदवार जीत गए. साथ ही भाजपा से पांच और शिंदे शिवसेना और अजीत पवार की एनसीपी से दो-दो उम्मीदवार जीत गए.
सूत्रों ने बताया कि 37 विधायकों वाली कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार प्रद्यना सातव के लिए 30 प्रथम वरीयता वोटों का कोटा तय किया था और शेष सात वोट शिवसेना यूबीटी के मिलिंद नार्वेकर को मिलने थे. उन्होंने बताया कि सातव को 25 प्रथम वरीयता वोट मिले और नार्वेकर को 22, जिसका मतलब है कि कम से कम सात कांग्रेस विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की.
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