भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने कहा है कि ‘चंद्रयान-2' अंतरिक्ष यान को बृहस्पतिवार देर रात सफलतापूर्वक दूसरी कक्षा में प्रवेश करा दिया गया. पृथ्वी से दिये गए निर्देश के जरिए यह किया गया. इसरो ने एक बयान में कहा कि यान ने बृहस्पतिवार देर रात करीब एक बजकर आठ मिनट पर दूसरी कक्षा में प्रवेश किया. इसके लिये उसने यान में मौजूद प्रणोदन प्रणाली का इस्तेमाल किया, जिसमें 883 सेकंड समय लगा. बयान के मुताबिक इस प्रयास के साथ अंतरिक्ष यान 251 X 54,829 किमी की कक्षा में प्रवेश कर गया.
Second earth bound orbit raising maneuver for #Chandrayaan2 spacecraft has been performed today (July 26, 2019) at 0108 hrs (IST) as planned.
— ISRO (@isro) July 25, 2019
For details please check https://t.co/raXNQB76O6#ISRO
इसरो ने बताया कि अंतरिक्षयान की सभी गतिविधियां सामान्य स्थिति में हैं. यह 29 जुलाई दोपहर को तीसरी कक्षा में प्रवेश करेगा, एक मून लैंडर और रोवर के साथ चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान भेजने की यह महत्वाकांक्षी परियोजना 22 जुलाई को दोपहर के वक्त शुरू हुई थी. इसरो का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर यान को उतारना है.
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स्वदेशी तकनीक से निर्मित 'चंद्रयान-2' में कुल 13 पेलोड हैं. आठ ऑर्बिटर में, तीन पेलोड लैंडर 'विक्रम' और दो पेलोड रोवर 'प्रज्ञान' में हैं. लैंडर 'विक्रम' का नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है. दूसरी ओर, 27 किलोग्राम वजनी 'प्रज्ञान' का मतलब संस्कृत में 'बुद्धिमता' है. ऑर्बिटर, चंद्रमा की सतह का निरीक्षण करेगा और पृथ्वी और 'चंद्रयान-2' के लैंडर 'विक्रम' के बीच संकेत प्रसारित करेगा. लैंडर 'विक्रम' को चंद्रमा की सतह पर भारत की पहली सफल लैंडिंग के लिए डिज़ाइन किया गया है.
'इसरो के वैज्ञानिक चंद्रयान 2 जैसे कठिन मिशन को करने के आदी'
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