शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों के नेताओं ने आतंकवाद के किसी भी कृत्य को ‘‘आपराधिक, अनुचित'' करार देते हुए राजनीतिक एवं भू-राजनीतिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए आतंकवादियों एवं चरमपंथी समूहों के इस्तेमाल को ‘‘अस्वीकार्य'' बताया. एससीओ देशों ने अपने-अपने राष्ट्रीय कानूनों के अनुरूप ऐसे आतंकवादियों, अलगाववादियों और चरमपंथी समूहों की समान सूची तैयार करने के लिए साझा सिद्धांत विकसित करने पर सहमति व्यक्त की, जिनकी गतिविधियां सदस्य देशों के क्षेत्रों में प्रतिबंधित है.
भारत की अध्यक्षता में डिजिटल माध्यम से आयोजित इस बैठक के समापन पर एक साझा बयान जारी किया गया. इसमें कहा गया है कि सदस्य देश आतंकवाद के वित्त पोषण के माध्यमों को रोकने, आतंकी भर्ती से जुड़ी गतिविधियों को बंद करने और सीमापार आतंकवादियों की आवाजाही पर लगाम लगाने के साथ आतंक के छिपे स्वरूपों और आतंकवादियों की पनाहगाहों को समाप्त करने की दिशा में कदम उठाएंगे.
इसमें कहा गया है कि सदस्य देश आतंकवाद के सभी स्वरूपों की कड़े शब्दों में निंदा करने को प्रतिबद्ध हैं, चाहे यह किसी के द्वारा और किसी उद्देश्य के लिए होता हो.
साझा बयान में कहा गया है कि आतंकवाद को किसी धर्म, सभ्यता, राष्ट्रीयता या जातीय समूह से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ आदि मौजूद थे.
शिखर बैठक में अलग से ‘दिल्ली घोषणापत्र' जारी किया गया जिसमें कहा गया है कि एससीओ के सदस्य देश आतंकवाद के प्रसार से निपटने के लिए उपयुक्त माहौल तैयार करने को प्रतिबद्ध हैं. इसमें डिजिटल परिवर्तन पर भी एक घोषणापत्र जारी किया गया.
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