फाइल फोटो
नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी आवास आबंटित करने से संबंधित कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह जनता से जुड़ा मामला है और इस विस्तार से सुनवाई होनी चाहिए क्योंकि ये सिर्फ यूपी में ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों से भी जुड़ा है. सुप्रीम कोर्ट ने गोपाल सुब्रमण्यम को इस मामले में अमेक्स क्यूरी ( न्याय मित्र) बनाया है. 10 अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई होगी.
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पिछली सुनवाई में एक गैर सरकारी संगठन 'लोक प्रहरी' की ओर से दायर याचिका पर कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था. याचिका में पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास आबंटित करने के लिए कानून में किए गए संशोधन को चुनौती दी गई है.
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लोक प्रहरी के महासचिव और पूर्व नौकरशाह एसएन शुक्ला शिकायकर्ता के तौर पर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. उनका आरोप है कि कानून में संशोधन कर सुप्रीम कोर्ट के उस पूर्व आदेश को निष्प्रभावी कर दिया गया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास आबंटित करने पर रोक लगा दी थी.गौरतलब है कि एक अगस्त 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के छह पूर्व मुख्यमंत्रियों को अपने-अपने सरकारी आवास खाली करने का निर्देश दिया था.
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