
महाराष्ट्र के ठाणे में अंडरवर्ल्ड से जुड़ी 17 संपत्तियों को गिराने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाई है. संपत्तियों को ढहाने के हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया है.सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में दखल देने से इनकार किया,हालांकि याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट में फैसले पर रिव्यू दाखिल करने की छूट दी. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस मनमोहन ने कहा कि हम आपकी बात क्यों सुनें. हाईकोर्ट को सही फैसला लेने के लिए बधाई. आपने किसी तीसरे पक्ष की जमीन पर अतिक्रमण किया और बिना किसी मंजूरी के संपत्ति बना ली. कोई कानून का शासन नहीं है. ये लोग अंडरवर्ल्ड से जुड़े हैं.दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक अंतरिम आदेश पारित किया था, जिसमें ठाणे नगर निगम को महाराष्ट्र के ठाणे में 17 इमारतों को गिराने का निर्देश दिया गया था, जिन्हें अंडरवर्ल्ड से जुड़े बिल्डरों ने अवैध रूप से बनाया था.
जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि इन बिल्डरों ने उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना और तीसरे पक्ष की जमीन पर इनका निर्माण किया है. सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी इमारतों को गिराने के लिए 12 जून के अपने अंतरिम आदेश के माध्यम से हाईकोर्ट द्वारा उठाए गए कदमों की तारीफ की.
याचिकाकर्ता के अनुसार, इन 17 इमारतों में कम से कम 400 परिवार रहते हैं और अब वे बेघर हो गए हैं. याचिकाकर्ता इमारतों में एक इकाई के खरीदारों में से एक है और दावा किया है कि उसके अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि हाईकोर्ट ने नगर निगम को निर्देश जारी कर बिना किसी और आदेश का इंतजार किए तोड़फोड़ की कार्रवाई करने का अधिकार दिया है.
जस्टिस मनमोहन ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि यह चौंकाने वाली बात है कि कुछ लोगों में इस अदालत में आने की हिम्मत है. हाईकोर्ट को बधाई, हाईकोर्ट ने जागकर कानून का शासन स्थापित करने का प्रयास किया है. आपने बिना किसी अनुमति के कितनी इमारतें बनाई हैं? जब तक आप इन बेईमान बिल्डरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेंगे, यह सिलसिला जारी रहेगा. लोग आपके कंधों का इस्तेमाल करके गोरिल्ला लड़ाई करते रहेंगे, यह बंद होना चाहिए. निर्माण कार्य बिना किसी नियोजन प्राधिकरण की अनुमति के किया गया और वह भी तीसरे पक्ष की जमीन हड़प कर. एक निर्दोष खरीदार आया, वह महिला आई और उसने कहा कि मेरी जमीन पर इमारतें बन गई हैं.
जस्टिस भुइयां ने यह भी सवाल उठाया कि बिना दस्तावेजों के याचिकाकर्ता ने इमारतों में जमीन कैसे खरीदी. जस्टिस मनमोहन ने सुझाव दिया कि याचिकाकर्ता को बिल्डर के खिलाफ हाईकोर्ट जाना चाहिए. अपने शहर के बारे में सोचें, अन्यथा सब कुछ अतिक्रमण हो जाएगा.एक बार के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट ने बहुत साहसी रुख अपनाया है. बॉम्बे हाईकोर्ट का अंतरिम आदेश एक महिला द्वारा दायर रिट याचिका में पारित किया गया था, जिसने जमीन का मालिक होने का दावा किया था
उसने आरोप लगाया कि "भू-माफिया" ने जमीन पर अतिक्रमण किया है और 5 मंजिलों की इमारतें बनाई हैं.
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