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This Article is From May 13, 2019

सासाराम : मीरा कुमार के सामने विरासत बचाने की चुनौती, तो बीजेपी प्रत्याशी छेदी पासवान को चौथी जीत की उम्मीद

सासाराम में सवर्ण वर्ग में ब्राह्मण और राजपूत सबसे ज्यादा हैं. लेकिन मतदाताओं की सबसे बड़ी संख्या दलितों की है. दलितों में मीरा कुमार की जाति रविदास पहले नंबर पर और दूसरे नंबर पर छेदी पासवान की जाति पासवान है.  सासाराम लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा सीटें मोहनिया, भभुआ, चौनपुर, चेनारी, सासाराम और करहगर आती हैं.

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सासाराम : मीरा कुमार के सामने विरासत बचाने की चुनौती, तो बीजेपी प्रत्याशी छेदी पासवान को चौथी जीत की उम्मीद
नई दिल्ली:

बिहार के सासाराम लोकसभा क्षेत्र में तपती धरती और लू के बीच शहर से लेकर गांव तक चुनावी चर्चा गर्म है. शहर में पान की दुकानों से लेकर गांव में चाय की दुकानों तक लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक की चर्चा कर रहे हैं. स्थानीय उम्मीदवारों को लेकर भी चाय पर चर्चा जारी रहती है. सासाराम (सुरक्षित) संसदीय सीट पर इस चुनाव में पिछले लोकसभा चुनाव की तरह मुख्य मुकाबला महागठबंधन प्रत्याशी कांग्रेस नेता और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता छेदी पासवान के बीच है. हालांकि यहां 13 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. सासाराम सीट पर अंतिम और सातवें चरण में 19 मई को मतदान होना है. इस सीट पर जहां मीरा कुमार के सामने अपने पिता बाबू जगजीवन राम की विरासत बचाने की चुनौती है तो वहीं भाजपा प्रत्याशी छेदी पासवान के सामने इस क्षेत्र से चौथी बार जीत दर्ज करने की चुनौती है. सासाराम कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है. जगजीवन राम और सासाराम एक-दूसरे के पर्याय रहे हैं. 1984 में जब कांग्रेस के विरोध में पूरे देश में हवा चल रही थी, तब भी यह सीट कांग्रेस के खाते में आई थी और जगजीवन राम यहां से आठवीं बार विजयी हुए थे. इसके बाद वर्ष 1989 में हुए आम चुनाव में यह सीट जनता दल के हाथ में चली गई, परंतु 1996 में इस सीट पर भाजपा ने कब्जा जमा लिया. पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के छेदी पासवान ने कांग्रेस की मीरा कुमार को पराजित कर तीसरी बार जीत दर्ज की थी. उस चुनाव में पासवान को जहां 3,66,087 मत मिले थे, वहीं मीरा कुमार को 3,02,760 मत मिले थे.

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सासाराम में सवर्ण वर्ग में ब्राह्मण और राजपूत सबसे ज्यादा हैं. लेकिन मतदाताओं की सबसे बड़ी संख्या दलितों की है. दलितों में मीरा कुमार की जाति रविदास पहले नंबर पर और दूसरे नंबर पर छेदी पासवान की जाति पासवान है.  सासाराम लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा सीटें मोहनिया, भभुआ, चौनपुर, चेनारी, सासाराम और करहगर आती हैं. इनमें तीन विधानसभा सीटें रोहतास जिले की, जबकि तीन कैमूर जिले की हैं. इस क्षेत्र का लोकसभा में सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व जगजीवन राम और उनकी पुत्री ने किया है. इस संबंध में पूछे जाने पर कैमूर जिला के रामपुर के भलुआ गांव निवासी रामप्रवेश तिवारी कहते हैं, "यह कृषि प्रधान क्षेत्र है. मीरा कुमार दुर्गावती जलाशय परियोजना जमीन पर लाईं, परंतु आज तक कई क्षेत्रों में इससे खेतों में पानी नहीं पहुंचाया जा सका है. हालांकि इनकी ही देन है कि इंद्रपुरी डैम का निर्माण हुआ है. दुर्गावती परियोजना की योजना अगर ठीक ढंग से पूरी हो जाए तो 'धान का कटोरा' माने जाने वाले इस क्षेत्र में किसान फिर से संपन्न हो जाएंगे."

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शिक्षा के क्षेत्र में विकास नहीं होने से इस क्षेत्र के लोगों में नाखुशी है. मझिगांव के टुना पांडेय, दरिगांव के धनंजय सिंह कहते हैं कि जिले में एक भी महिला कॉलेज नहीं है. संबंधित कॉलेजों में छात्राएं डिग्री प्राप्त कर रही हैं. सरकारी स्कूलों की हालत भी बहुत अच्छी नहीं है. मीरा कुमार को इस बार राष्ट्रीय जनता दल, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा, रालोसपा सहित कई छोटे दलों का समर्थन है, जबकि भाजपा को जद (यू) का साथ है. पिछले चुनाव में रालोसपा राजग के साथ थी, लेकिन इस बार वह महागठबंधन के साथ है.  सासाराम के वरिष्ठ पत्रकार और क्षेत्र की राजनीति पर गहरी नजर रखने वाले विनोद कुमार तिवारी कहते हैं, "इस चुनाव में महागठबंधन की प्रत्याशी मीरा कुमार और राजग प्रत्याशी छेदी पासवान के बीच सीधा मुकाबला है, परंतु पिछले चुनाव में चौथे स्थान पर रहे मनोज राम इस चुनाव में भी बहुजन समाज पार्टी से चुनाव मैदान में हैं, जो मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं."

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तिवारी कहते हैं, "दलितों में रविदास मतदाता यहां सबसे अधिक करीब 19 प्रतिशत हैं. इस वर्ग पर मीरा कुमार की अच्छी पकड़ है. परंतु मनोज इस वोटबैंक में सेंध लगाने के लिए प्रयासरत हैं. ऐसे में बसपा जो भी वोट लेगी, वह कांग्रेस के वोट को ही काटेगी." तिवारी कहते हैं, "कांग्रेस को इस चुनाव में मुस्लिम, यादव के अलावा सवर्णों का भी साथ मिल रहा है. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा युवाओं की पसंद बना हुआ है, जिस कारण मुकाबला कांटे का है."

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