नई दिल्ली:
सरकार ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम में संशोधन करने से संबंधित एक विधेयक सोमवार को लोकसभा में पेश किया। इस संशोधन के जरिए राजनीतिक दल आरटीआई अधिनियम के दायरे से बाहर हो जाएंगे। केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण राज्य मंत्री वी. नारायणसामी ने लोकसभा में विधेयक पेश किया।
यह मुद्दा तब से सुर्खियों में है, जब केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने तीन जून को आदेश दिया कि छह राजनीतिक दल आरटीआई अधिनियम के दायरे में होंगे, क्योंकि वे सार्वजनिक प्राधिकरण हैं, और सरकार से पर्याप्त मात्रा में फंड प्राप्त करते हैं।
सरकार को इस विधेयक को पारित कराने में कोई कठिनाई नहीं होगी, क्योंकि अधिकांश पार्टियां सीआईसी के इस आदेश के खिलाफ हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दो अगस्त को ही संशोधनों को मंजूरी दे दी थी।
संशोधनों का बचाव करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने उस समय कहा था कि यदि सीआईसी के आदेश का क्रियान्वयन हुआ तो कोई भी राजनीतिक दल काम नहीं कर पाएगा।
यह मुद्दा तब से सुर्खियों में है, जब केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने तीन जून को आदेश दिया कि छह राजनीतिक दल आरटीआई अधिनियम के दायरे में होंगे, क्योंकि वे सार्वजनिक प्राधिकरण हैं, और सरकार से पर्याप्त मात्रा में फंड प्राप्त करते हैं।
सरकार को इस विधेयक को पारित कराने में कोई कठिनाई नहीं होगी, क्योंकि अधिकांश पार्टियां सीआईसी के इस आदेश के खिलाफ हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दो अगस्त को ही संशोधनों को मंजूरी दे दी थी।
संशोधनों का बचाव करते हुए केंद्रीय कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने उस समय कहा था कि यदि सीआईसी के आदेश का क्रियान्वयन हुआ तो कोई भी राजनीतिक दल काम नहीं कर पाएगा।