
सड़क निर्माण बना मुसीबत
नई दिल्ली:
छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सली हमले में 25 जवान शहीद हो गए. यह इस साल का सबसे बड़ा हमला है. देश के 100 ज़िले नक्सल प्रभावित हैं. 35 ज़िलों में नक्सलियों का ज़्यादा प्रभाव है. ज्यादा प्रभाव वाले इलाकों में सुकमा भी है.नक्सल प्रभावित ज़िलों के लिए सरकार ने अलग एक्शन प्लान बनाया है. इसका मकसद बुनियादी सुविधा तैयार करना, सुरक्षा से जुड़े ख़र्च, राज्यों के बीच तालमेल स्थापित करना है. ताकि ग्रामीणों को सरकार का महत्व पता चले और नक्सलियों को प्रभाव कमजोर हो. सोमवार को जब हमला हुआ तब भी सीआरपीएफ जवान सड़क निर्माण के लिए सुरक्षा दे रहे थे.
आइये जानते हैं कि सड़क कैसे सिरदर्द बनी
आइये जानते हैं कि सड़क कैसे सिरदर्द बनी
- सड़क निर्माण के लिए सुरक्षा देती है रोड ओपनिंग पार्टी
- कल भी सुरक्षा के लिए ही सुकमा में थी ROP की टीम
- सड़क निर्माण का काम काफ़ी धीमा: CRPF
- नई तकनीक का नहीं होता है इस्तेमाल: CRPF
- ROADCEM तकनीक से हर दिन 2-3 किमी सड़क का निर्माण
- दोरनापाल से जागरगुंडा तक बननी है सड़क
- 57 किमी सड़क का होना है निर्माण
- पिछले 3 साल से अटका है काम
- ठेकेदार फ़ायदे के लिए पुरानी तकनीक के पक्ष में
- स्थानीय विधायकों का ठेकेदारों को समर्थन
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