
- रूस के कमचटका प्रायद्वीप में बुधवार तड़के समुद्र की गहराई 20.7 किलोमीटर पर 8.8 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया
- भूकंप से उत्तरी प्रशांत क्षेत्र में सुनामी की चेतावनी रूस, जापान, अमेरिका, न्यूजीलैंड आदि देशों में जारी की गई
- रिंग ऑफ फायर में आता है जहां कई टेक्टोनिक प्लेट्स की गतिविधि से भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट होते रहते हैं
रूस में बुधवार तड़के 8.8 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया. अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (यूएसजीएस) के मुताबिक भूकंप का केंद्र समुंद्र में 20.7 किलोमीटर की गहराई पर था. भूकंप का केंद्र कमचटका प्रायद्वीप में पेट्रोपावलोव्स्क से करीब 136 किलोमीटर पूर्व में था.इस भूकंप की वजह से उत्तरी प्रशांत क्षेत्र में सुनामी आ गई. सुनामी की चेतावनी रूस, जापान, अमेरिका के अलास्का, हवाई और न्यूजीलैंड के दक्षिणी इलाके में जारी की गई. भूकंप के केंद्र से न्यूजीलैंड की दूरी करीब छह हजार किमी है. यह भूकंप की तिव्रता को समझने के लिए काफी है कि न्यूजीलैंड में भी सुनानी की चेतावनी जारी की गई है. जापान मौसम विज्ञान एजेंसी के मुताबिक लगभग 30 सेंटीमीटर ऊंची सुनामी की पहली लहर होक्काइडो के पूर्वी तट पर स्थित नेमुरो तक पहुंच गई.
रूस में आए इस भूकंप और उसके कारणों को समझने के लिए हमने भूकंप के विशेषज्ञ डाक्टर भावेश पांडेय से बातचीत की. उन्होंने बताया कि रूस में इतने बड़े पैमाने के भूकंप तो हाल फिलहाल नहीं आया था, लेकिन यह भूकंप जहां आया वह इलाका बड़े भूकंपों के लिए जाना जाता है. उन्होंने बताया कि अमेरिका-कनाडा के पश्चिमी हिस्से और दक्षिण में चीली तक और रूस से इंडोनेशिया तक एक यू शेप का इलाका बनता है. पैसिफिक के इस इलाके को ही 'रिंग आफ फायर' कहा जाता है. इस इलाके में बड़े-बड़े भूकंप आते रहते हैं. जापान, चिली, मैक्सिको और कोलंबिया में बड़े भूकंप आते हैं. उन्होंने बताया कि यहां समुद्र में बहुत-बहुत बड़े बड़े ज्वालामुखी हैं. भूकंप के पीछे इन ज्वालामुखी में होने वाले विस्फोट का हाथ होता है और कई बार भूकंप की वजह से भी ज्वालामुखी में विस्फोट हो जाता है. प्रशांत महासागर के एक तरफ रूस और जापान तो दूसरी तरह अमेरिका और कनाडा स्थित हैं.
रिंग ऑफ फायर क्या है
यह क्षेत्र कई टेक्टोनिक प्लेट्स (जैसे प्रशांत प्लेट, नाजका प्लेट और फिलीपींस प्लेट) के मिलन स्थल पर स्थित है. इन प्लेट्स की गतिविधि के कारण भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट आम बात हैं.दुनिया के 90 फीसदी से अधिक भूकंप इसी 'रिंग आफ फायर' में आते हैं. दुनिया के लगभग 75 फीसदी सक्रिय ज्वालामुखी इस इलाके में स्थित हैं. इनमें जापान का माउंट फुजी और इंडोनेशिया का क्रकटोआ प्रमुख हैं.
क्रम संख्या | देश और शहर | साल | मैग्निट्यूड |
1 | चीली,बायोबिओ | 1960 | 9.5 |
2 | अमेरिका, अलास्का | 1962 | 9.2 |
3 | इंडोनेशिया, सुमात्रा | 2004 | 9.1 |
4 | जापान, तोहोकू | 2011 | 9.1 |
5 | रूस-कमचटका | 1952 | 9.0 |
6 | चिली- बायोबिओ | 2010 | 8.8 |
7 | इक्वाडोर-कोलंबिया | 1906 | 8.8 |
8 | अमेरिका-अलास्का | 1965 | 8.7 |
9 | भारत-अरुणाचल प्रदेश | 1950 | 8.6 |
10 | इंडोनेशिया-सुमात्रा | 2012 | 8.6 |
'रिंग ऑफ फायर' प्रशांत महासागर के चारों ओर का एक भौगोलिक क्षेत्र है, जो भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध है. यह घोड़े के नाल की आकार का क्षेत्र है. यह करीब 40 हजार किलोमीटर लंबा है. इसमें रूस, जापान, इंडोनेशिया, फिलीपींस, न्यूजीलैंड, चिली, पेरू, मेक्सिको, और संयुक्त राज्य अमेरिका (अलास्का और कैलिफोर्निया) जैसे कई देश शामिल हैं.
सुनामी की चेतावनी
उन्होंने बताया कि इस भूकंप का केंद्र समुद्र में था. भूकंप का केंद्र जब समुद्र में होता हो तो सुनामी आने की आशंका रहती है. उन्होंने बताया कि प्रशांत में भूकंप का केंद्र होने की वजह से रूस और जापान के साथ-साथ अमेरिका कुछ दूसरे देशों में भी सुनामी की चेतावनी जारी की गई है.
उन्होंने बताया कि भूकंप के तरंगों की रफ्तार बहुत तेज होती है, इसलिए वो बहुत जल्दी ही पहुंच जाती हैं. वहीं भूकंप की वजह से पैदा हुई सुनानी के तरंगों की रफ्तार बहुत कम होती है, इसलिए भूकंप के बाद सुनामी आने में कुछ समय लगता है. उन्होंने कहा कि कोई तट भूकंप के केंद्र के जितना पास होता है, वहां सुनामी की लहरे जल्दी पहुंचती हैं और जो समुद्री तट भूकंप के केंद्र से दूर होता है, वहां सुनामी की लहरें देरी से पहुंचती हैं. उन्होंने कहा कि समुद्र में आने वाले हर भूकंप के बाद सुनामी आए ही, यह जरूरी नहीं है.
उन्होंने बताया कि समुद्र में भूकंप आने के बाद उठने वाली सुनामी की तरंगे हर तरफ जाती हैं. उन्होंने बताया कि दिसंबर 2004 में इंडोनेशिया में भूकंप आया था. इसका केंद्र बंगाल की खाड़ी में था. इस वजह से भारत के अंडमान निकोबार,करेल, आंध्र प्रदेश, पुडुचेरी और तमिलनाडु में सुनामी ने बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया था. इस सुनामी के बाद हैदराबाद में सुनामी की चेतावनी जारी करने वाले एक केंद्र खोला गया. यह केंद्र भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र के तहत काम करता है.
इस समय दुनिया के केवल कुछ देशों के पास ही भूकंप की चेतावनी देने वाला सिस्टम है. जापान, ताइवान और मैक्सिको के अलावा अमेरिका के पास भूकंप की चेतावनी देने वाला सिस्टम है. उन्होंने बताया कि अमेरिका में भूकंप की चेतावनी देने वाला केंद्र कैलिफोर्निया में है. उन्होंने बताया कि कैलिफोर्निया शहर के बीचो-बीच से एक फाल्ट लाइन जाती है, इसलिए अमेरिका ने अपना भूकंप चेतावनी केंद्र वहां बनाया है. वहीं अगर भारत की बात की जाए तो भारत में अभी कुछ साल पहले ही भूकंप की चेतावनी देने का काम शुरू किया गया है. इसे आईआईटी रुड़की के डिपार्टमेंट ऑफ अर्थक्वेक इंजीनियरिंग के पूर्व प्रमुख प्रोफेसर अशोक कुमार के नेतृत्व में विकसित किया गया है.
भूकंप की चेतावनी
उन्होंने बताया कि भूकंप और सुनामी के चेतावनी जारी करने को लेकर जापान ने बहुत अधिक काम किया है. उन्होंने बताया कि जापान में भूकंप की सार्वजनिक चेतावनी भी 15-20 सेकेंड पहले जारी कर दी जाती है. उन्होंने कहा कि इसका परिणाम यह हुआ कि 2011 में आए 9 प्वाइंट से अधिक के भूकंप में भी जापान में भूकंप से लोगों की जान नहीं गई, वहां जो जानें गईं, वो सुनामी की वजह से गईं. उन्होंने बताया कि जापान में लोगों को भूकंप के समय क्या करें और क्या न करें की ट्रेनिंग स्कूलों में नर्सरी की कक्षा से ही दी जाने लगती है. उन्होंने बताया कि इस तरह की चेतावनी देने की व्यवस्था जापाना के अलावा केवल ताइवान और मैक्सिको के पास ही है. उन्होंने बताया कि भारत में भी दिशा में काम चल रहा है.
रूस में आज आए भूकंप को मार्च 2011 के भूकंप के बाद दुनिया में आया सबसे शक्तिशाली भूकंप बताया जा रहा है. मार्च 2011 में उत्तर-पूर्वी जापान में आए भूकंप की तीव्रता 9.0 मापी गई थी. इसके कारण विशाल सुनामी आई थी. इस सुनामी ने फुकुशिमा दाइची परमाणु ऊर्जा संयंत्र की शीतलन प्रणालियों को निष्क्रिय कर दिया था.
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