विज्ञापन
This Article is From Mar 08, 2017

'रंगसापाड़ा' के लोगों ने जगाई साफ-सफाई की अलख, छोटा सा गांव बना 'असम' के लिए मिसाल

'रंगसापाड़ा' के लोगों ने जगाई साफ-सफाई की अलख, छोटा सा गांव बना 'असम' के लिए मिसाल
गारो समुदाय के गांव रंगसापाड़ा के हर घर में पक्का शौचालय बना हुआ है
गुवाहाटी: गुवाहाटी से करीब 150 किलोमीटर दूर ग्वालपाड़ा जिले में एक ब्लाक है बालिजाना. और बालिजाना का गांव है रंगसापाड़ा. 88 घरों वाले इस गांव की कुल आबादी है महज 500 लोगों की, लेकिन इन चंद लोगों ने मिलकर जो मिसाल कायम की है, वह आज पूरे असम में किसी विजयगाथा की तरह सुनाई जाती है.

इन दिनों देश में 'स्वच्छ भारत मिशन' चल रहा है. प्रधानमंत्री हर मंच से स्वच्छता का संदेश देते हैं, लेकिन रंगसापाड़ा के लोगों ने स्वच्छता को आज से 27 साल पहले ही अपना मूलमंत्र बना लिया था. उसी का नतीजा है कि ग्वालपाड़ा को पूरे असम का सबसे स्वच्छ गांव होने का खिताब मिला है. असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने एक बड़े कार्यक्रम में गांव को पांच लाख रुपये की नकद राशि देकर सम्मानित किया.

रंगसापाड़ा को यह कामयाबी यू ही नहीं मिली. मेहनत-मजदूरी करने वाले इस गांव के लोगों में साफ-सफाई के प्रति इतनी समझ कैसे आई, उसके लिए हमें 1990 के समय में जाना होगा. गांव के मुखिया रॉबर्टसन मोमिन बताते हैं कि और गांवों की तरह उनके गांव में भी गंदगी रहती थी, लोग नशे का सेवन करते थे, आपस में लड़ाई-झगड़ा भी होता था. एक दिन गांव वालों ने मिलकर सोचा कि गांव की दशा सुधारने की दिशा में कुछ करना है.
 
rangsapara

गांव के लोगों ने एक बैठक बुलाई और उसमें आपसी समझ से कुछ सख्त फैसले लिए गए. जैसे कोई भी खुले में शौच को नहीं जाएगा, घर के आगे गंदगी नहीं डालेगा और कोई भी किसी भी तरह का नशा नहीं करेगा. ये तीन प्रण गांव वालों ने लिए और इन नियमों को तोड़ने की सजा भी तय की. जरा सोचकर देखो कि आज से 27-28 साल पहले पूरव के सुदूर गांव वालों ने नियम तोड़ने पर क्या जुर्माना तय किया था..पूरे 5001 रुपये का. इतना बड़ा दंड उस जमाने तो क्या आज भी बहुत भारी लगता है.

मोमिन बताते हैं कि जुर्माना ज्यादा इसलिए रखा कि कोई डर से नियम ना तोड़े. मगर गांव वालों इस स्वच्छता मिशन में पूरा साथ दिया और कभी ऐसी नौबत नहीं आई कि किसी पर जुर्माना लगाना पड़े. मोमिन ने बताया कि सन 2000 में विलेज मैनेजमेंट कमेटी बनाई गई. इसमें 10 सदस्य हैं. कमेटी का चयन हर साल गांव वाले मिलकर करते हैं और यह कमेटी गांव की साफ-सफाई, भाईचारे और नशे आदि पर नज़र रखती है.

बालिजाना ब्लाक की प्रमुख रत्ना देवी बताती हैं कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'स्वच्छ भारत मिशन' का आगाज किया तो सबसे ज्यादा खुशी रंगसापाड़ा के लोगों को हुई. खुले में शौच मुक्त पर वे बताती हैं कि पहले यहां लोगों ने घरों में ही कच्चे शौचालय बनाए थे. इसके लिए सभी ने मिलकर श्रमदान किया था. सरकारी तरफ से योजना आने पर अब हर घर में पक्के शौचालय बन गए हैं. उन्होंने बताया कि जल्द ही गांव को पक्की सड़क से जोड़ा जाएगा, इसके लिए सरकार द्वारा बजट की मंजूरी हो गई है.

यूनिसेफ के स्वच्छता कार्यक्रम के असम प्रभारी तुषार राणे ने बताया कि असम सरकार ने इस साल अक्टूबर तक पूरे राज्य को खुले में शौचमुक्त करने का फैसला लिया है. इसमें यूनिसेफ यहां काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से गांव-गांव जाकर स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरुक करने में लगा हुआ है और पक्के शौचालय बनवाने में मदद कर रहा है.


 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Open Defecation Free, Rangsapara Villege, खुले में शौचमुक्त, रंगसापाड़ा गांव, यूनिसेफ
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com