आंध्र प्रदेश ने खुद को खुले में शौच मुक्त (ODF) राज्य बताया है, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है. दक्षिण राज्य ने एक कदम आगे जाते हुए खुद को ODF Plus बताया है. हालांकि लोगों को लगता है कि यह दावे केवल कागजों तक ही सीमित हैं. पिछले साल जून में तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने राज्य के ODF होने की घोषणा की थी. उन्होंने दावा किया था कि राज्य ने 2.77 लाख निजी शौचालय बनाकर राज्य के लक्ष्य को पार कर लिया है. बता दें कि वर्ष 2016 में महात्मा गांधी जयंती के मौके पर राज्य के सभी 110 शहरी स्थानीय निकाय ने दावा किया था कि उन्होंने स्वच्छ आंध्र कारपोरेशन (SAC) के माध्यम से ODF के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है. SAC की स्थापना राज्य सरकार ने 2015 में स्वच्छ भारत मिशन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए की थी.
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हालांकि कई लोग ऐसे हैं, जो सरकार के इन दावों को स्वीकार नहीं करते हैं. उनका कहना है कि ग्रामीण और शहरी स्थानों पर अभी भी लोग खुले में शौच जा रहे हैं. विजयवाड़ा में सामाजिक कार्यकर्ता वी. सत्यनारायण ने कहा, 'सार्वजनिक स्थान पर शौचालय बना देना ही लक्ष्य नहीं हो सकता. उनके रखरखाव का क्या? कोई भी शहर में जाकर देख सकता है, लोग अभी भी शौचालयों के स्थान पर उनके पास ही खुले में पेशाब कर रहे हैं और इसका कारण है बनाए गए शौचालयों के रखरखाव में कमी.'
वी. सत्यनारायण ने दावा किया कि विभिन्न विभागों में किसी प्रकार का कोई तालमेल नहीं है. उन्हें बिना तालमेल के बनाया गया है. इस वजह से अधिक शौचालय प्रयोग में लाने लायक नहीं हैं. उन्होंने पूछा, 'उन्होंने उचित जल निकासी भी सुनिश्चित नहीं की. कई सार्वजनिक शौचालयों में या तो पानी का ठहराव है या वे बदबू मार रहे हैं. सिर्फ शौचालय बना देने से सरकार की जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती है. उनके रखरखाव का क्या हुआ?'
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं