संसद (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड के गठन की मांग को लेकर अन्नाद्रमुक सदस्यों द्वारा आज राज्यसभा की कार्यवाही बाधित किये जाने के कारण उच्च सदन की बैठक एक बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिये स्थगित कर दी गयी. राज्यसभा से सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों का विदाई भाषण इस कारण से नहीं हो सका.
सभापति एम वेंकैया नायडू ने अपने स्थानों पर खड़े अन्नाद्रमुक सदस्यों से बैठने का बार बार अनुरोध किया, लेकिन उनके नहीं मानने पर सदन की कार्यवाही बुधवार तक के लिये स्थगित कर दी गयी. नायडू ने सदन की गरिमा दांव पर होने का भी हवाला दिया लेकिन अपने स्थान पर खड़े अन्नाद्रमुक सदस्यों पर इसका भी कोई असर नहीं हुआ.
एक बार के स्थगन के बाद सदन की बैठक 11 बजकर 23 मिनट पर शुरु होने पर नायडू ने सेवानिवृत्त हो रहे लगभग 40 सदस्यों द्वारा विदाई भाषण में अपनी भावनायें व्यक्त करने देने की सभी सदस्यों से अपील की। इस पर विभिन्न मुद्दों को लेकर पहले से हंगामा कर रहे तेदेपा और वाईएसआर कांग्रेस के सदस्य सदन की कार्यवाही चलने देने पर सहमति देते हुये अपने स्थानों पर बैठ गये. लेकिन अन्नाद्रमुक के सदस्य आसन के समीप से हटकर अपने स्थानों पर जाकर खड़े हो गये और उन्होंने बैठने से मना कर दिया.
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नायडू के अनुरोध पर अन्नाद्रमुक सदस्यों को छोड़कर सभी दलों के सदस्यों ने सदन की भावना के अनुरुप बैठक को शांतिपूर्वक चलने देने की सहमति दे दी. सिर्फ अन्नाद्रमुक सदस्य अंत तक अपने स्थानों पर खड़े रहे. ये लोग कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड के गठन की अपनी मांग पर सदन में मौजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से हस्तक्षेप करने की मांग कर रहे थे.
इससे पहले सुबह 11 बजे सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाये. इसके तुरंत बाद तेदेपा और अन्नाद्रमुक सदस्य विभिन्न मुद्दों पर नारेबाजी करते हुये आसन के समीप आ गये. नायडू ने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थानों पर लौटने का बार-बार अनुरोध किया लेकिन उनके नहीं मानने पर उन्होंने बैठक 15 मिनट के लिये स्थगित करते हुये विभिन्न दलों के नेताओं को अपने कक्ष में मिलने के लिये बुलाया.
एक बार के स्थगन के बाद बैठक फिर शुरू होने पर अन्नाद्रमुक सदस्यों का विरोध थमते नहीं देख नायडू ने नेता प्रतिपक्ष और फिर सत्तापक्ष से स्थिति का हवाला देते हुये सदन के संचालन में अपनी मजबूरी जतायी. इस पर नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सभी विपक्षी दल सदन के शांतिपूर्वक संचालन के पक्षधर हैं. नायडू ने कहा कि ऐसे में अब उनके पास दो ही विकल्प हैं, पहला अपने स्थान पर नहीं बैठ रहे सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई करें और दूसरा बैठक को स्थगित कर सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों को विदाई भाषण देने के अधिकार से वंचित कर दें.
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सत्तापक्ष और विपक्ष के तमाम दलों के सदस्यों द्वारा पहला विकल्प अपनाने की सभापति से मांग की गयी. इसके बाद भी अन्नाद्रमुक सदस्यों के अपने रवैये पर अड़े रहने के कारण नायडू ने समूचे घटनाक्रम को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुये बैठक दिन भर के लिये स्थगित कर दी.
सदन स्थगित होने की घोषणा के बाद एक अप्रत्याशित घटनाक्रम के तहत नेता प्रतिपक्ष आजाद ने अन्नाद्रमुक सदस्यों के रवैये के विरोध में विपक्षी सदस्यों से सदन से बाहर नहीं जाने की अपील की. आजाद ने कहा कि विपक्ष सदन चलने देने का पक्षधर है और जो लोग सदन चलने नहीं देना चाहते, उनके विरोध में दोपहर 12 बजे तक हम सदन में ही बैठेंगे. हालांकि कुछ समय बाद सपा और बसपा सहित अन्य विपक्षी दलों के सदस्य धीरे धीरे सदन से बाहर चले गये। कांग्रेस के सदस्य 12 बजे तक अपने अपने स्थानों पर बैठे रहे.
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सभापति एम वेंकैया नायडू ने अपने स्थानों पर खड़े अन्नाद्रमुक सदस्यों से बैठने का बार बार अनुरोध किया, लेकिन उनके नहीं मानने पर सदन की कार्यवाही बुधवार तक के लिये स्थगित कर दी गयी. नायडू ने सदन की गरिमा दांव पर होने का भी हवाला दिया लेकिन अपने स्थान पर खड़े अन्नाद्रमुक सदस्यों पर इसका भी कोई असर नहीं हुआ.
एक बार के स्थगन के बाद सदन की बैठक 11 बजकर 23 मिनट पर शुरु होने पर नायडू ने सेवानिवृत्त हो रहे लगभग 40 सदस्यों द्वारा विदाई भाषण में अपनी भावनायें व्यक्त करने देने की सभी सदस्यों से अपील की। इस पर विभिन्न मुद्दों को लेकर पहले से हंगामा कर रहे तेदेपा और वाईएसआर कांग्रेस के सदस्य सदन की कार्यवाही चलने देने पर सहमति देते हुये अपने स्थानों पर बैठ गये. लेकिन अन्नाद्रमुक के सदस्य आसन के समीप से हटकर अपने स्थानों पर जाकर खड़े हो गये और उन्होंने बैठने से मना कर दिया.
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नायडू के अनुरोध पर अन्नाद्रमुक सदस्यों को छोड़कर सभी दलों के सदस्यों ने सदन की भावना के अनुरुप बैठक को शांतिपूर्वक चलने देने की सहमति दे दी. सिर्फ अन्नाद्रमुक सदस्य अंत तक अपने स्थानों पर खड़े रहे. ये लोग कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड के गठन की अपनी मांग पर सदन में मौजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से हस्तक्षेप करने की मांग कर रहे थे.
इससे पहले सुबह 11 बजे सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाये. इसके तुरंत बाद तेदेपा और अन्नाद्रमुक सदस्य विभिन्न मुद्दों पर नारेबाजी करते हुये आसन के समीप आ गये. नायडू ने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थानों पर लौटने का बार-बार अनुरोध किया लेकिन उनके नहीं मानने पर उन्होंने बैठक 15 मिनट के लिये स्थगित करते हुये विभिन्न दलों के नेताओं को अपने कक्ष में मिलने के लिये बुलाया.
एक बार के स्थगन के बाद बैठक फिर शुरू होने पर अन्नाद्रमुक सदस्यों का विरोध थमते नहीं देख नायडू ने नेता प्रतिपक्ष और फिर सत्तापक्ष से स्थिति का हवाला देते हुये सदन के संचालन में अपनी मजबूरी जतायी. इस पर नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सभी विपक्षी दल सदन के शांतिपूर्वक संचालन के पक्षधर हैं. नायडू ने कहा कि ऐसे में अब उनके पास दो ही विकल्प हैं, पहला अपने स्थान पर नहीं बैठ रहे सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई करें और दूसरा बैठक को स्थगित कर सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों को विदाई भाषण देने के अधिकार से वंचित कर दें.
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सदन स्थगित होने की घोषणा के बाद एक अप्रत्याशित घटनाक्रम के तहत नेता प्रतिपक्ष आजाद ने अन्नाद्रमुक सदस्यों के रवैये के विरोध में विपक्षी सदस्यों से सदन से बाहर नहीं जाने की अपील की. आजाद ने कहा कि विपक्ष सदन चलने देने का पक्षधर है और जो लोग सदन चलने नहीं देना चाहते, उनके विरोध में दोपहर 12 बजे तक हम सदन में ही बैठेंगे. हालांकि कुछ समय बाद सपा और बसपा सहित अन्य विपक्षी दलों के सदस्य धीरे धीरे सदन से बाहर चले गये। कांग्रेस के सदस्य 12 बजे तक अपने अपने स्थानों पर बैठे रहे.
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