
- रक्षा मंत्री ने सैन्य कमांडरों से अदृश्य खतरों जैसे सूचना, वैचारिक और जैविक युद्ध के लिए तैयारी करने को कहा
- उन्होंने युद्ध की निरंतर बदलती प्रकृति और प्रौद्योगिकी-सक्षम सैन्य बल की बढ़ती महत्ता पर विशेष ध्यान दिया
- पीएम मोदी के विजन के अनुसार स्वदेशी हवाई रक्षा प्रणाली सुदर्शन चक्र के निर्माण के लिए समिति गठित की गई है
लगातार बदलती जा रही युद्ध की प्रकृति का ज़िक्र करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सैन्य कमांडरों से अदृश्य खतरों से निपटने की तैयारी करने के लिए कहा है. रक्षा मंत्री ने कहा कि युद्ध की पारंपरिक अवधारणाओं से परे जाकर सूचना, वैचारिक और जैविक युद्ध जैसी असामान्य चुनौतियों से पैदा होने वाले अदृश्य खतरों के प्रति तैयार रहें. रक्षा मंत्री पश्चिम बंगाल के कोलकाता में आयोजित संयुक्त कमांडरों के सम्मेलन में बोल रहे थे.
उन्होंने साफ कहा कि युद्ध की प्रकृति निरंतर बदल रही है और हालिया वैश्विक संघर्षों ने यह स्पष्ट किया है कि प्रौद्योगिकी–सक्षम सैन्य बल की महत्ता पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि “आज के युद्ध अचानक और अप्रत्याशित होते हैं. उनकी अवधि का अनुमान लगाना कठिन है. वे दो माह भी चल सकते हैं, एक वर्ष या पांच वर्ष तक भी. हमें हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी अतिरिक्त क्षमता पर्याप्त बनी रहे.”
भारत के रक्षा क्षेत्र को आक्रामक और रक्षात्मक क्षमताओं का संगम बताते हुए राजनाथ सिंह ने कमांडरों से सक्रिय दृष्टिकोण अपनाने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप स्वदेशी हवाई रक्षा प्रणाली सुदर्शन चक्र के निर्माण पर फोकस करने के लिए कहा. उन्होंने बताया कि इस परियोजना के लिए एक समिति गठित की गई है, जो यथार्थपरक कार्ययोजना तैयार करेगी. साथ ही उन्होंने आगामी पांच वर्षों के लिए मध्यावधि योजना तथा अगले दस वर्षों के लिए दीर्घकालिक योजना बनाने का सुझाव दिया.
रक्षा मंत्री ने कहा कि देश का रक्षा क्षेत्र आधुनिकीकरण, अभियानगत तत्परता और तकनीकी श्रेष्ठता पर केंद्रित है. उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन सत्र में दिए गए एकजुटता, आत्मनिर्भरता व नवाचार मंत्र को मार्गदर्शक बताते हुए उद्योग एवं शिक्षा जगत के साथ गहरे सहयोग करने, भविष्य की प्रौद्योगिकियों के विकास पर और निजी क्षेत्र की आधिकाधिक भागीदारी पर बल दिया.
उन्होंने सशस्त्र बलों तथा अन्य एजेंसियों के बीच एकजुटता और तालमेल को “भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए अनिवार्य” बताया. रक्षा मंत्री ने ट्राई-सर्विस लॉजिस्टिक्स नोड्स और ट्राई-सर्विस लॉजिस्टिक प्रबंधन एप्लिकेशन जैसी पहल का उल्लेख किया और नागरिक व सैन्य ढांचे में सहयोग को भी महत्त्वपूर्ण बताया.
राजनाथ सिंह ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर ने यह सिद्ध किया है कि शक्ति, रणनीति और आत्मनिर्भरता ही वे तीन स्तंभ हैं, जो 21वीं सदी में भारत को आवश्यक सामर्थ्य प्रदान करेंगे. आज हमारे पास स्वदेशी प्लेटफार्मों एवं प्रणालियों के साथ-साथ हमारे सैनिकों के अदम्य साहस का संबल है. यही आत्मनिर्भर भारत की असली शक्ति है.” उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में सैन्य बलों के उत्कृष्ट प्रदर्शन की सराहना भी की. सरकार की आत्मनिर्भर भारत के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भरता कोई नारा नहीं बल्कि रणनीतिक स्वायत्तता की कुंजी है.
इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, थल सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, रक्षा उत्पादन सचिव संजीव कुमार, पूर्व सैनिक कल्याण सचिव डॉ. नितेन चंद्रा, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव एवं डीआरडीओ अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत, वित्तीय सलाहकार (रक्षा सेवाएं) डॉ. मयंक शर्मा तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.
इससे पहले सोमवार को संयुक्त कमांडर कांफ्रेस को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संबोधित किया था. हर दो साल में एक बार होने वाले संयुक्त कमांडर कांफ्रेस में सेना के तीनों अंगों के प्रमुख समेत रक्षा मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, रक्षा राज्य मंत्री, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और रक्षा सचिव शामिल होते हैं. खास बात ये है कि ऑपरेशन सिन्दूर के बाद यह पहला मौका है जब कम्बाइंड कमांडर कांफ्रेस हुई है. इसमें देश के शीर्ष सिविल और मिलिट्री लीडरशिप एक साथ बैठकर देश के सामने आने वाली चुनौतियों को लेकर गहन चर्चा करती है.
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