राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट कोटा पहुंचे और जेके लोन अस्पताल में एडमिट बच्चों के परिवार वालों से मिले. जेके लोन अस्पताल में पिछले एक महीने में 106 बच्चों की मौत हो चुकी है. इससे पहले सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा था कि इसकी ज़िम्मेदारी तय करनी होगी. जहां अशोक गहलोत पिछली सरकार से तुलना कर रहे थे, वहीं अब डिप्टी सीएम सचिन पायलट का कहना है कि पिछली सरकार से तुलना करने की कोई तुक नहीं. कहीं कमी रही होगी तभी ये सब हुआ और ज़िम्मेदारी तय होनी चाहिए. तो अब देखना है कि क्या राज्य सरकार कोई कार्रवाई करेगी या सिर्फ बयानबाज़ी ही देखने को मिलेगी? सचिन पायलट का ये बयान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के उस दावे के एक दिन बाद आया है जिसमें उन्होने कहा था कि बच्चों की मौत बीजेपी की सरकार के दौरान भी होती थीं, बल्कि अब तो उनमें कमी आई है.
केंद्र सरकार की तरफ से भेजी गई विशेषज्ञों की टीम ने शनिवार को अस्पताल का दौरा किया. लोकसभा स्पीकर और कोटा से सांसद ओम बिरला भी कोटा पहुंच गए हैं उन्होंने उन बच्चों के परिवारों से मुलाकात की जिनकी अस्पताल में मौत हुई. कोटा में बच्चों की मौत की जांच जारी है, इसी दौरान बूंदी के एक अस्पताल से दिसंबर में 10 बच्चों की मौत की खबर आई है. अस्पताल प्रशासन का कहना है कि ये मौते उनकी लापरवाही की वजह से नहीं हुई हैं. लेकिन एडिशनल डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर ने इस मामले में रिपोर्ट मांगी है. बाड़मेर के सरकारी अस्पताल में 2019 में जिन 2966 बच्चों को दाखिल करवाया गया उनमें से 202 की मौत हो गई. ये कोटा में बच्चों की मौत से दर से कहीं ज़्यादा है.
वहीं, राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृहक्षेत्र जोधपुर में एस एन मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विभाग में रोज़ाना 5 नवज़ातों की मौत हो रही है. 2019 में कुल 754 बच्चों की मौत हुई जिसमें अकेले दिसंबर महीने में 146 मासूम दम तोड़ चुके हैं, यहां बच्चों की मौत के आंकड़ों में भी हेराफेरी की बात सामने आ रही है. जोधपुर प्रदेश में दिसंबर का महीना बच्चों के लिए काल बनकर सामने आया है. कोटा के जेके लोन अस्पताल के बाद अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृहनगर जोधपुर में तो जेके लोन से भी बड़ा बच्चों की मौत पर खुलासा हुआ है. यहां एक महीने के अंदर 146 बच्चों की मौत हो चुकी है. इसी माह में 4689 बच्चे हुए थे जिनमें से 146 बच्चों की मौत हुई.
दिसंबर 2019 के आंकड़ों की बात करें तो यहां 146 बच्चों ने दम तोड़ा है आंकड़ा इसलिए ज्यादा है क्योंकि साल 2019 में NICU, PICU में कुल 754 बच्चों की मौत हुई यानि हर माह 62 की मौत, लेकिन दिसम्बर में अचानक यह आंकड़ा 146 तक जा पहुंचा. ऐसे में यहां की व्यवस्थाएं संदेह के घेरे में हैं. जोधपुर मेडिकल कॉलेज एमडीएम और उम्मेद अस्पताल में शिशु रोग विभाग का संचालन करता है. कोटा में हुई त्रासदी के बाद मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की ओर से तैयार की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है.
कोटा, बाड़मेर के बाद अब बूंदी में चौंकाने वाला मामला आया सामने, एक महीने में हुई 10 बच्चों की मौत
खास बात यह है, अस्पताल में पड़ताल की तो सामने आया, कि मेडिकल कॉलेज ने जो आंकड़े तैयार किये, उसने बच्चों की मौत का प्रतिशत विभाग में भर्ती होने वाले कुल बच्चों की संख्या से निकाला, जिसमें यह बहुत संतुलित नजर आता है. जबकि सर्वाधिक मौतें नियोनेटल केयर यूनिट (NICU) और पीडियाट्रिक आईसीयू (PICU) में हुई है. 2019 में शिशु रोग विभाग में कुल 47,869 बच्चे भर्ती हुए, जिनमें 754 की मौत हुई. इस हिसाब से मौतें 1.57% हुईं. लेकिन 2019 में ही एनआईसीयू और पीआईसीयू में 5,634 गंभीर नवजात भर्ती हुए, जिनमें 754 की मौत हुई है. यह 13 फीसदी से भी ज्यादा है. अचरज इस बात का भी है कि 2019 में वार्ड में एक भी मौत नहीं हुई. लेकिन विभाग ने मौतों का प्रतिशत निकालने में वार्डों में भर्ती होने वाले 42 हजार बच्चों की संख्या भी जोड़ दी. जिससे मौतों की संख्या कम नजर आए डॉ एसएन मेडिकल कॉलेज के अस्पताल की व्यवस्था पहले भी सवालों के घेरे में रही है.
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इस मुद्दे को लेकर एक दूसरे पर कीचड़ उछालने का काम जारी है. राजस्थान में हर 1000 नवजातों में से 38 की मौत होती है जो राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक बहुत ही बुरी हालत है.
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