देहरादून:
बाढ़ प्रभावित उत्तराखंड में पिछले दो दिनों से हो रही लगातार बारिश के कारण राहत कार्य बाधित हो गया है। सरकार ऐसे हेलीकॉप्टरों की सेवाएं लेने की तैयारी कर रही है, जो खराब मौसम में भी उड़ान भरके रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी एवं चमोली जिलों के प्रभावित इलाकों में खाद्य आपूर्ति कर सकें।
एक अधिकारी ने बताया कि इन जिलों में मुख्य सड़कों का नेटवर्क अब भी क्षतिग्रस्त है, जिस कारण प्रभावित गांवों खासकर अन्य स्थानों से पूरी से कट चुके गांवों में ट्रकों से राहत सामग्री पहुंचाना असंभव है। ऐसे में अधिकारियों के पास मौसम प्रतिरोधी हेलीकॉप्टरों की सेवाएं लेना ही एकमात्र विकल्प बचा है, ताकि खाद्यान्न की कमी का सामना कर रहे गांवों में खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
राज्य आपदा प्रबंधन एवं राहत विभाग एक आपातकालीन बैठक आयोजित करेगा, जिसमें इस बात पर चर्चा की जाएगी कि खराब मौसम में भी उड़ान भर सकने वाले हेलीकॉप्टरों को सेवा में कैसे लगाया जाए। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मलबा और शवों को हटाने के लिए केदारघाटी भेजे गए विशेषज्ञों के दल को भी खराब मौसम और भारी उपकरणों के अभाव के कारण काम करने में काफी दिक्कत हो रही है।
सूत्रों ने बताया कि एनडीआरएफ द्वारा मुहैया कराए गए हल्के उपकरण केदारघाटी में कई टन मलबा हटाने के लिए अपर्याप्त हैं। सूत्रों ने बताया कि राहत कार्य में लगे जवानों के लिए भोजन की कमी ने उनके कार्य को और मुश्किल बना दिया है। भोजन के भंडार में तेजी से कमी आ रही है और राहत कार्यों में लगे कुछ जवानों के भी बीमार पड़ने की खबर मिली है। केदारनाथ के लिए रवाना होने वाला 13-सदस्यीय एक पुलिस दल मलबे के कारण वहां पहुंच ही नहीं सका और उसे बीच रास्ते से ही वापस लौटना पड़ा।
केदारनाथ में पिछले दो दिनों से हो रही ताजा बारिश से मंदाकिनी और अलकनंदा का जलस्तर लगातार बढ़ने के कारण तीर्थस्थल से जुड़े गांवों के लोग भयभीत हैं। खराब मौसम के कारण पिछले तीन दिनों से भी अधिक समय से केदारघाटी के प्रभावित गांवों में राहत सामग्री पहुंचाई नहीं जा सकी है।
प्रशासन का दावा है कि रुद्रप्रयाग के 36 गांवों में राहत सामग्री भेजी गई है, लेकिन जिले के 128 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, जिसका मतलब यह हुआ कि 80 से अधिक गांवों में तत्काल राहत बल की सेवाएं पहुंचाने की जरूरत है। खराब मौसम के कारण चमोली, पिथौरागढ़ और उत्तरकाशी जिलों में भी राहत हेलीकॉप्टर अपनी सेवाएं नहीं दे सके। एक अधिकारी ने बताया कि केदारनाथ भेजी गई टीम को मलबा हटाने और शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए वापस बुलाने तथा इसे नई टीम की जगह राहत कार्य पर लगाने पर विचार किया जा रहा है।
एक अधिकारी ने बताया कि इन जिलों में मुख्य सड़कों का नेटवर्क अब भी क्षतिग्रस्त है, जिस कारण प्रभावित गांवों खासकर अन्य स्थानों से पूरी से कट चुके गांवों में ट्रकों से राहत सामग्री पहुंचाना असंभव है। ऐसे में अधिकारियों के पास मौसम प्रतिरोधी हेलीकॉप्टरों की सेवाएं लेना ही एकमात्र विकल्प बचा है, ताकि खाद्यान्न की कमी का सामना कर रहे गांवों में खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
राज्य आपदा प्रबंधन एवं राहत विभाग एक आपातकालीन बैठक आयोजित करेगा, जिसमें इस बात पर चर्चा की जाएगी कि खराब मौसम में भी उड़ान भर सकने वाले हेलीकॉप्टरों को सेवा में कैसे लगाया जाए। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मलबा और शवों को हटाने के लिए केदारघाटी भेजे गए विशेषज्ञों के दल को भी खराब मौसम और भारी उपकरणों के अभाव के कारण काम करने में काफी दिक्कत हो रही है।
सूत्रों ने बताया कि एनडीआरएफ द्वारा मुहैया कराए गए हल्के उपकरण केदारघाटी में कई टन मलबा हटाने के लिए अपर्याप्त हैं। सूत्रों ने बताया कि राहत कार्य में लगे जवानों के लिए भोजन की कमी ने उनके कार्य को और मुश्किल बना दिया है। भोजन के भंडार में तेजी से कमी आ रही है और राहत कार्यों में लगे कुछ जवानों के भी बीमार पड़ने की खबर मिली है। केदारनाथ के लिए रवाना होने वाला 13-सदस्यीय एक पुलिस दल मलबे के कारण वहां पहुंच ही नहीं सका और उसे बीच रास्ते से ही वापस लौटना पड़ा।
केदारनाथ में पिछले दो दिनों से हो रही ताजा बारिश से मंदाकिनी और अलकनंदा का जलस्तर लगातार बढ़ने के कारण तीर्थस्थल से जुड़े गांवों के लोग भयभीत हैं। खराब मौसम के कारण पिछले तीन दिनों से भी अधिक समय से केदारघाटी के प्रभावित गांवों में राहत सामग्री पहुंचाई नहीं जा सकी है।
प्रशासन का दावा है कि रुद्रप्रयाग के 36 गांवों में राहत सामग्री भेजी गई है, लेकिन जिले के 128 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, जिसका मतलब यह हुआ कि 80 से अधिक गांवों में तत्काल राहत बल की सेवाएं पहुंचाने की जरूरत है। खराब मौसम के कारण चमोली, पिथौरागढ़ और उत्तरकाशी जिलों में भी राहत हेलीकॉप्टर अपनी सेवाएं नहीं दे सके। एक अधिकारी ने बताया कि केदारनाथ भेजी गई टीम को मलबा हटाने और शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए वापस बुलाने तथा इसे नई टीम की जगह राहत कार्य पर लगाने पर विचार किया जा रहा है।
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