राहुल गांधी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
गुजरात की हार को कांग्रेस बेशक अपनी जीत की तरह पेश कर रही हो लेकिन अंदरखाने वह हार की समीक्षा में भी जुट गई है. हार की रिपोर्ट लेने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी खुद गुजरात के दौरे पर जाने वाले हैं. पहले खबर थी कि हार की समीक्षा की जिम्मेदारी पहले गुजरात कांग्रेस के प्रभारी महासचिव अशोक गहलोत और गुजरात प्रदेश अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी संभालेंगें. इनके बीच की चर्चा के बाद बताया जा रहा है कि 22 दिसंबर को राहुल गांधी खुद इसमें शिरकत करने अहमदाबाद पहुंचेंगे और वहां 2 से 3 दिन बिताएंगे.
तो इस तरह से गुजरात में बीजेपी ने हारी बाजी जीत ली
कांग्रेस इस बात से अचंभित है कि सूरत जैसे शहर में जीएसटी को लेकर तमाम विरोध-प्रदर्शनों और व्यापारी वर्ग की नाराजगी के बावजूद चुनाव नतीजे कांग्रेस के पक्ष में क्यों नहीं आए. खास तौर पर शहरी इलाकों में बीजेपी अपनी सीटें बचाने में किस तरह कामयाब रही. राहुल के दौरे का मकसद इस बात को लेकर गंभीरता दिखाने की है कि हार की जो भी वजह रही, उस पर काम अभी से शुरू हो जाए ताकि 2019 में कांग्रेस की तरफ से कोई गलती ना हो.
विधानसभा में सीनियर नेताओं के ना पहुंचने से अच्छी तादाद होते हुए भी कांग्रेस विपक्ष की भूमिका में कमजोर साबित न हो यह भी एक सवाल है. राहुल गांधी के गुजरात दौरे का एक मकसद यह भी है कि प्रदेश में जनता का कांग्रेस से जो एक कनेक्ट बना है उसे बरकरार रखा जाए और यह संदेश दिया जाए कि सिर्फ चुनाव के वक्त ही नहीं, राहुल गांधी चुनाव के बाद भी गुजरात से वही नाता रखना चाहते हैं.
वो हार को ही विजय मानते हैं तो उनको ऐसी विजय मुबारक : प्रकाश जावड़ेकर
पहले की कांग्रेस परंपरा यह थी हार की समीक्षा के लिए दिल्ली से किसी नेता को भेजा जाता था और वह आकर हाई कमान को अपनी रिपोर्ट सौंप देता था या फिर समीक्षा बैठक दिल्ली में ही बुला ली जाती थी. लेकिन कांग्रेस को बदलने की कवायद में लगे राहुल न सिर्फ गुजरात जा रहे हैं बल्कि इसी तरह की समीक्षा के लिए वह हिमाचल प्रदेश भी जाएंगे जहां पार्टी ने सत्ता गंवाई है.
VIDEO: गुजरात में BJP को जबरदस्त झटका: राहुल गांधी
तो इस तरह से गुजरात में बीजेपी ने हारी बाजी जीत ली
कांग्रेस इस बात से अचंभित है कि सूरत जैसे शहर में जीएसटी को लेकर तमाम विरोध-प्रदर्शनों और व्यापारी वर्ग की नाराजगी के बावजूद चुनाव नतीजे कांग्रेस के पक्ष में क्यों नहीं आए. खास तौर पर शहरी इलाकों में बीजेपी अपनी सीटें बचाने में किस तरह कामयाब रही. राहुल के दौरे का मकसद इस बात को लेकर गंभीरता दिखाने की है कि हार की जो भी वजह रही, उस पर काम अभी से शुरू हो जाए ताकि 2019 में कांग्रेस की तरफ से कोई गलती ना हो.
विधानसभा में सीनियर नेताओं के ना पहुंचने से अच्छी तादाद होते हुए भी कांग्रेस विपक्ष की भूमिका में कमजोर साबित न हो यह भी एक सवाल है. राहुल गांधी के गुजरात दौरे का एक मकसद यह भी है कि प्रदेश में जनता का कांग्रेस से जो एक कनेक्ट बना है उसे बरकरार रखा जाए और यह संदेश दिया जाए कि सिर्फ चुनाव के वक्त ही नहीं, राहुल गांधी चुनाव के बाद भी गुजरात से वही नाता रखना चाहते हैं.
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पहले की कांग्रेस परंपरा यह थी हार की समीक्षा के लिए दिल्ली से किसी नेता को भेजा जाता था और वह आकर हाई कमान को अपनी रिपोर्ट सौंप देता था या फिर समीक्षा बैठक दिल्ली में ही बुला ली जाती थी. लेकिन कांग्रेस को बदलने की कवायद में लगे राहुल न सिर्फ गुजरात जा रहे हैं बल्कि इसी तरह की समीक्षा के लिए वह हिमाचल प्रदेश भी जाएंगे जहां पार्टी ने सत्ता गंवाई है.
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