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कांग्रेस ने कहा है कि केंद्र सरकार को मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) के नाम तय करने वाली समिति की बैठक अगले एक-दो दिनों के लिए स्थगित करनी चाहिए थी, क्योंकि उच्चतम न्यायालय संबंधित कानून पर सुनवाई करने वाला है. पार्टी प्रवक्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने यह दावा भी किया कि चयन समिति से प्रधान न्यायाधीश को बाहर रखने का मतलब है कि यह सरकार इस संवैधानिक संस्था पर अपना नियंत्रण चाहती है.
सिंघवी के मुताबिक, मोदी सरकार को चयन समिति की बैठक करने के बजाय उच्चतम न्यायालय से आग्रह करना चाहिए था कि मामले का त्वरित निस्तारण हो. उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि वर्तमान चयन समिति उच्चतम न्यायालय के दो मार्च, 2023 के उस आदेश का स्पष्ट और सीधा उल्लंघन है, जिसमें कहा गया था कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और प्रधान न्यायाधीश की मौजूदगी वाली समिति होनी चाहिए.
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सोमवार शाम मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर साउथ ब्लॉक स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय में पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई में तीन सदस्यीय चयन समिति की बैठक हुई. इसमें लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी शामिल हुए.
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "बैठक में क्या हुआ है यह अगले 24 या 48 घंटे में पता चल जाएगा."
जल्दबाजी में बनाया गया कानून - अभिषेक मनु सिंघवी
सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, "कार्यपालिका को अधिकार है वो कानून बनाए, लेकिन उच्चतम न्यायालय के व्यापक उद्देश्य को समझे बिना मोदी सरकार द्वारा जल्दबाजी में कानून बनाया गया. कानून बनाने के अधिकार का मतलब यह नहीं है कि अब वही कानून बनाए जाएंगे जो सरकार के अनुकूल हों."
उन्होंने कहा, "अगले 48 घंटे में जब उच्चतम न्यायालय की सुनवाई हो सकती है तो फिर इस बैठक को टाला भी जा सकता था."
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सिंघवी ने आरोप लगाया कि सरकार ने न सिर्फ उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन किया है, बल्कि लोकतंत्र की भावना को भी दरकिनार किया है.
वहीं कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अजय माकन ने कहा, "उच्चतम न्यायालय ने संकेत दिया था कि 19 फरवरी को इस विषय में सुनवाई की जाएगी और यह फैसला आएगा कि समिति का गठन किस तरीके का होना चाहिए. ऐसे में आज की बैठक को स्थगित करना चाहिए था."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय चयन समिति की सिफारिश के बाद राष्ट्रपति भारत के नए मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) की नियुक्ति करेंगी. अब तक परंपरा रही है कि सबसे वरिष्ठ चुनाव आयुक्त को मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में प्रमोट किया जाता है.
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इस समय चुनाव आयोग में वरिष्ठता के आधार पर इस पद के लिए नामों पर चर्चा की जा रही है. ऐसे में चयन समिति बैठक के बाद अपनी सिफारिश राष्ट्रपति को सौंपेगी और राष्ट्रपति द्वारा उस सिफारिश के आधार पर अगले मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की जाएगी.
कानून के अनुसार, सीईसी और ईसी की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एक चयन समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी, जिसमें लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक कैबिनेट स्तर के केंद्रीय मंत्री शामिल होंगे.
आपको बता दें, मुख्य चुनाव आयुक्त का पद भारतीय चुनाव आयोग का एक महत्वपूर्ण पद होता है, जो देश भर में चुनाव आयोजित कराने के साथ इसकी पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाता है.
मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार 18 फरवरी को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. राजीव कुमार के बाद ज्ञानेश कुमार सबसे वरिष्ठ निर्वाचन आयुक्त हैं. उनका कार्यकाल 26 जनवरी, 2029 तक है. सुखबीर सिंह संधू दूसरे निर्वाचन आयुक्त हैं.
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