Rahul Gandhi Advise To Mallikarjun Kharge: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की बैठक में महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों में हार को लेकर दो-टूक कहा कि अब जवाबदेही तय की जाएगी तथा कठोर निर्णय लिए जाएंगे. साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) ने चुनावी प्रक्रिया को संदिग्ध बना दिया है और ऐसे में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित कराना निर्वाचन आयोग का संवैधानिक दायित्व है. कार्य समिति ने यह फैसला किया कि चुनावी प्रक्रिया से ‘‘हो रहे गंभीर समझौते'' से जुड़ी चिंता को राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में उठाया जाएगा. पार्टी का यह भी कहना है कि वह इस मुद्दे पर ‘इंडिया' गठबंधन के घटक दलों को भी साथ लेगी.
कौन-कौन बैठक में था?
पार्टी ने चुनावी प्रदर्शन और संगठन के मामलों पर विचार के लिए एक आंतरिक समिति गठित करने का फैसला भी किया है. बैठक में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश और पार्टी के कई अन्य नेता शामिल हुए. करीब साढ़े चार घंटे तक चली मैराथन बैठक में 81 नेताओं ने हिस्सा लिया.
राहुल गांधी की सलाह
सूत्रों ने बताया कि जब चुनावों को लेकर जवाबदेही तय करने की बात हो रही थी तो राहुल गांधी ने कहा, ‘‘खरगे जी, चाबुक चलाइए.'' कार्य समिति की बैठक में दिए अपने अपने संबोधन में खरगे ने कहा कि पार्टी नेताओं को अनुशासन का सख्ती से पालन करना चाहिए और पार्टी को पुराने ढर्रे की राजनीति से हर बार सफलता नहीं मिल सकती. कांग्रेस और उसके सहयोगियों को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है. इससे पहले उसे हरियाणा में भी आश्चर्यजनक हार का सामना करना पड़ा था.
बयानबाजी से नुकसान
खरगे ने कार्य समिति की बैठक में कहा, ‘‘हमें तुरंत चुनावी नतीजों से सबक लेते हुए संगठन के स्तर पर अपनी सभी कमजोरियों और खामियों को दुरुस्त करने की जरूरत है. ये नतीजे हमारे लिए संदेश हैं.'' उन्होंने कई प्रदेशों में पार्टी के भीतर गुटबाजी की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘सबसे अहम बात जो मैं बार-बार कहता हूं कि आपसी एकता की कमी और एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी हमें काफी नुकसान पहुंचाती है.''
खरगे का मंत्र
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘जब तक हम एक होकर चुनाव नहीं लड़ेंगे, आपस में एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी का सिलसिला बंद नहीं करेंगे, तो अपने विरोधियों को राजनीतिक शिकस्त कैसे दे सकेंगे? उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए जरूरी है कि हम सख्ती से अनुशासन का पालन करें. हर हालत में एकजुट रहना है. पार्टी के पास अनुशासन का भी हथियार है, लेकिन हम नहीं चाहते कि अपने साथियों को किसी बंधन में डालें.'' कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘सबको ये सोचने की दरकार है कि कांग्रेस पार्टी की जीत में ही हम सबकी जीत है और हार में हम सबकी हार है. पार्टी की ताकत से ही हमारी ताकत है.''
माहौल जीत की गारंटी नहीं
खरगे ने कहा, ‘‘चुनावों में माहौल हमारे पक्ष में था, लेकिन केवल माहौल पक्ष में होने भर से जीत की गारंटी नहीं मिल जाती. हमें माहौल को नतीजों में बदलना सीखना होगा. क्या कारण है कि हम माहौल का फायदा नहीं उठा पाते?'' उन्होंने जोर देते हुए कहा, ‘‘हमें पर्याप्त मेहनत करने के साथ समयबद्ध तरीके से रणनीति बनानी होगी. हमें अपने संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत करना होगा. हमें मतदाता सूची बनाने से लेकर वोट की गिनती तक रात-दिन सजग, सचेत और सावधान रहना होगा. हमारी तैयारी आरंभ से मतगणना तक ऐसी होनी चाहिए कि हमारे कार्यकर्ता और ‘सिस्टम' मुस्तैदी से काम करें.''
चुनाव आयोग पर आरोप
Congress अध्यक्ष ने कहा कि कई राज्यों में पार्टी का संगठन अपेक्षा के अनुरूप नहीं है. संगठन का मजबूत होना हमारी सबसे बड़ी जरूरत है. उन्होंने यह भी पूछा कि राष्ट्रीय मुद्दों और राष्ट्रीय नेताओं के सहारे राज्यों का चुनाव आप कब तक लड़ेंगे? कार्य समिति की बैठक में पारित प्रस्ताव में महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनावी नतीजों का हवाला देते हुए कहा गया है, ‘‘ पूरी चुनावी प्रक्रिया की शुचिता से गंभीर रूप से समझौता किया जा रहा है. स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव एक संवैधानिक दायित्व है, जो चुनाव आयोग की पक्षपातपूर्ण कार्यप्रणाली के कारण गंभीर सवालों के घेरे में आ रहा है. समाज के कई वर्ग निराश और बेहद आशंकित हो रहे हैं. कांग्रेस इन जन चिंताओं को एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में उठाएगी.''
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