सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता एमएल शर्मा ने राफेल डील पर याचिका से बढ़ाई है मोदी सरकार की मुसीबत.
नई दिल्ली:
राफेल डील(Rafale deal) पर यूं तो इस वक्त सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) में चार याचिकाएं पहुंच चुकी हैं, मगर सबसे पहले इस मामले को कोर्ट में ले जाने वाले शख्स हैं एमएल शर्मा (Lawyer ML Sharma). मथुरा के रहने वाले शर्मा सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैं. पांच सितंबर को सबसे पहले इन्होंने ही राफेल का मामला सुप्रीम कोर्ट की दहलीज तक पहुंचाया. जिसके बाद तीन अन्य याचिकाएं शीर्ष अदालत में पहुंची. आठ अक्टूबर को आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह और फिर हाल में 24 अक्टूबर को अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा के साथ संयुक्त रूप से प्रशांत भूषण ने इसी मसले पर याचिका दाखिल की. एक अन्य वकील भी याचिका दाखिल कर चुके हैं. एमएल शर्मा की याचिका पर ही बीते 10 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने 10 दिनों के भीतर राफेल सौदे की पूरी प्रक्रिया की जानकारी सीलबंद लिफाफे में मांगी थी. जिसके बाद केंद्र सरकार ने संबंधित सूचनाओं को पहली बार कोर्ट को उपलब्ध कराया.
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अब सभी चारों याचिकाओं पर कोर्ट 14 नवंबर को सुनवाई करेगा. तब तक कोर्ट ने राफेल विमानों की कीमत से जुड़ी जानकारी भी लिफाफे में देने को बताया है. जबकि अब तक सरकार यह जानकारी देने से इन्कार करती रही है. एनडीटीवी से बातचीत में वकील एमएल शर्मा ने कहा कि राफेल डील सौदे को लेकर जिस ढंग से सरकार जानकारियां छिपा रही है, उससे दाल में काला साफ जाहिर हो रहा है. भ्रष्टाचार से जुड़े मामले वह जनहित याचिकाओं के जरिए कोर्ट के सामने उठाते रहे हैं. यूपीए सरकार में जिस तरह से कोल ब्लॉक का केस सुप्रीम कोर्ट में लड़े थे, उसी तरह राफेल डील पर अब मोदी सरकार के खिलाफ लड़ रहे हैं.
यूपीए सरकार के खिलाफ भी केस लड़ चुके हैं शर्मा
एमएल शर्मा वही वकील हैं, जिन्होंने कोयला घोटाले का केस सुप्रीम कोर्ट में लड़कर यूपीए सरकार के लिए मुसीबत पैदा कर दी थी. कैग रिपोर्ट के आधार पर उन्होंने कोयला ब्लॉक आवंटन रद्द करने की मांग की थी. जिसके बाद कई ब्लॉकों का आवंटन रद्द हुआ था. देश ही नहीं दुनिया में भूचाल लाने वाले पनामा पेपर्स लीक का मामला भी एमएल शर्मा ही सुप्रीम कोर्ट में ले गए थे. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, सीबीआई और आरबीआई से जवाब मांगा था. उत्तराखंड में जब 2016 में राष्ट्रपति शासन लगा था तो इस मामले को भी सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका के जरिए उठा चुके हैं. पीएनबी में 11,400 करोड़ रुपये के लोन फ्राड के मामले में एसआइटी गठित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का शर्मा ने ही दरवाजा खटखटाया था.
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राफेल डील पर क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
राफेल मामले (Rafale Deal) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई करते हुए सरकार से दस दिनों के भीतर सील बंद लिफाफे में राफेल विमान की कीमत और उसके डिटेल जमा करने को कहा है.पिछली बार सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ सौदे की प्रक्रिया की जानकारी मांगी थी. मगर इस बार सुप्रीम कोर्ट ने महज 10 दिनों के भीतर राफेल की कीमत और उसकी विस्तृत जानकारी मांगी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार जो भी जानकारी कोर्ट को दे, वह याचिकाकर्ताओं को भी दे ताकि वह इस पर अपना जवाब दे सके. कोर्ट ने कहा कि सरकार को लगता है कि कोई जानकारी गोपनीय है तो वह उसे याचिकाकर्ता को देने से मना कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को कहा है कि वह यह भी बताएं कि ऑफसेट पार्टनर कैसे चुना गया.अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि राफेल से जुड़े कुछ दस्तावेज ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट के तहत आते हैं. जिन्हें दिया नहीं जा सकता. इस पर सीजेआई ने कहा कि आप कोर्ट में हलफनामा दायर करो कि आप क्यों दस्तावेज नहीं दे सकते?
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विवादों से भी घिरे
निर्भया गैंगरेप के आरोपियों का केस लड़ने और उस दौरान एक कमेंट को लेकर एमएल शर्मा विवादों में घिर चुके हैं.इसके अलावा कुछ जनहित याचिकाओं पर उन्हें कोर्ट की नाराजगी का शिकार भी होना पड़ा है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की ब्रिटिश नागरिकता विवाद मामले में वकील एम एल शर्मा ने 2015 मे केस किया था. तब चीफ जस्टिस एच एल दत्तू ने कई सवालों के साथ नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था - आप कैसे किसी व्यक्तिगत मामले में जनहित याचिका दाखिल कर सकते हैं?'मैं इस पद पर केवल दो और दिन के लिए हूं... आपके खिलाफ जुर्माना लगाने के लिए बाध्य मत करिये।'
वीडियो-सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा- लिफाफे में दें राफेल विमानों की कीमत की जानकारी
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अब सभी चारों याचिकाओं पर कोर्ट 14 नवंबर को सुनवाई करेगा. तब तक कोर्ट ने राफेल विमानों की कीमत से जुड़ी जानकारी भी लिफाफे में देने को बताया है. जबकि अब तक सरकार यह जानकारी देने से इन्कार करती रही है. एनडीटीवी से बातचीत में वकील एमएल शर्मा ने कहा कि राफेल डील सौदे को लेकर जिस ढंग से सरकार जानकारियां छिपा रही है, उससे दाल में काला साफ जाहिर हो रहा है. भ्रष्टाचार से जुड़े मामले वह जनहित याचिकाओं के जरिए कोर्ट के सामने उठाते रहे हैं. यूपीए सरकार में जिस तरह से कोल ब्लॉक का केस सुप्रीम कोर्ट में लड़े थे, उसी तरह राफेल डील पर अब मोदी सरकार के खिलाफ लड़ रहे हैं.
यूपीए सरकार के खिलाफ भी केस लड़ चुके हैं शर्मा
एमएल शर्मा वही वकील हैं, जिन्होंने कोयला घोटाले का केस सुप्रीम कोर्ट में लड़कर यूपीए सरकार के लिए मुसीबत पैदा कर दी थी. कैग रिपोर्ट के आधार पर उन्होंने कोयला ब्लॉक आवंटन रद्द करने की मांग की थी. जिसके बाद कई ब्लॉकों का आवंटन रद्द हुआ था. देश ही नहीं दुनिया में भूचाल लाने वाले पनामा पेपर्स लीक का मामला भी एमएल शर्मा ही सुप्रीम कोर्ट में ले गए थे. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, सीबीआई और आरबीआई से जवाब मांगा था. उत्तराखंड में जब 2016 में राष्ट्रपति शासन लगा था तो इस मामले को भी सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका के जरिए उठा चुके हैं. पीएनबी में 11,400 करोड़ रुपये के लोन फ्राड के मामले में एसआइटी गठित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का शर्मा ने ही दरवाजा खटखटाया था.
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राफेल डील पर क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
राफेल मामले (Rafale Deal) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई करते हुए सरकार से दस दिनों के भीतर सील बंद लिफाफे में राफेल विमान की कीमत और उसके डिटेल जमा करने को कहा है.पिछली बार सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ सौदे की प्रक्रिया की जानकारी मांगी थी. मगर इस बार सुप्रीम कोर्ट ने महज 10 दिनों के भीतर राफेल की कीमत और उसकी विस्तृत जानकारी मांगी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार जो भी जानकारी कोर्ट को दे, वह याचिकाकर्ताओं को भी दे ताकि वह इस पर अपना जवाब दे सके. कोर्ट ने कहा कि सरकार को लगता है कि कोई जानकारी गोपनीय है तो वह उसे याचिकाकर्ता को देने से मना कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को कहा है कि वह यह भी बताएं कि ऑफसेट पार्टनर कैसे चुना गया.अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि राफेल से जुड़े कुछ दस्तावेज ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट के तहत आते हैं. जिन्हें दिया नहीं जा सकता. इस पर सीजेआई ने कहा कि आप कोर्ट में हलफनामा दायर करो कि आप क्यों दस्तावेज नहीं दे सकते?
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विवादों से भी घिरे
निर्भया गैंगरेप के आरोपियों का केस लड़ने और उस दौरान एक कमेंट को लेकर एमएल शर्मा विवादों में घिर चुके हैं.इसके अलावा कुछ जनहित याचिकाओं पर उन्हें कोर्ट की नाराजगी का शिकार भी होना पड़ा है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की ब्रिटिश नागरिकता विवाद मामले में वकील एम एल शर्मा ने 2015 मे केस किया था. तब चीफ जस्टिस एच एल दत्तू ने कई सवालों के साथ नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था - आप कैसे किसी व्यक्तिगत मामले में जनहित याचिका दाखिल कर सकते हैं?'मैं इस पद पर केवल दो और दिन के लिए हूं... आपके खिलाफ जुर्माना लगाने के लिए बाध्य मत करिये।'
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