साल भर पहले आम आदमी पार्टी के विधायकों की जो सादगी मीडिया की सुर्खियां बनी थीं, अब उन्हीं पर विरोधी पार्टियां सवाल उठा रही हैं। मॉडल टाउन के विधायक रहे चुके अखिलेशपति त्रिपाठी के सीसी कॉलोनी में किराये के घर और कार को लेकर कई संदेश लोगों के मोबाइल पर घूम रहे हैं।
साल भर पहले जब लालबाग की झुग्गियों में रहकर अखिलेश ने विधानसभा चुनाव जीता था, तो वह रातोंरात मीडिया की सुर्खियां बन गए थे। मीडिया के लोग जब तंग और गंदी गलियों में कैमरा लेकर पहुंचे, तो चौंक गए कि आम आदमी पार्टी का यह नौजवान भी विधायक बन सकता है। वह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कंवर सिंह तंवर को हराकर विधानसभा में पहुंचे थे।
साल भर बाद लालबाग के उसी इलाके में गंदगी और पानी की समस्या जस की तस है, लेकिन उनके उस छोटे-से मकान में ताला लगा है। पता चला है कि अखिलेशपति त्रिपाठी अब ज्यादातर सीसी कॉलोनी के घर में रहते हैं, और वहीं उनका दफ्तर भी है। हालांकि उनके कई रिश्तेदार और समर्थक यहां रहते हैं, और उनका कहना है कि अखिलेशपति यहां आते रहते हैं और कई बार रुकते भी हैं।
अब इसी को बीजेपी के विवेक गर्ग और कांग्रेस के कंवर सिंह तंवर ने राजनीतिक हथियार बना लिया है। विवेक गर्ग कहते हैं कि अखिलेशपति त्रिपाठी ने 001 नंबर की एक कार खरीदी है, और उसके पेपर तक उनके पास हैं। वहीं कांग्रेस के कंवर सिंह तंवर, जिनके खुद के पास 001 नंबर की कार है, कहते हैं कि मुझे कोई दिक्कत नहीं है कि अखिलेशपति के पास क्या है, मेरे पास भी कार और घर हैं, लेकिन मैंने उसका ब्योरा चुनाव आयोग में दे रखा है, जबकि अखिलेशपति त्रिपाठी ने हलफनामे में लिखा है कि उनके पास कुछ नहीं है।
हालांकि अखिलेशपति त्रिपाठी का कहना है कि चुनाव से पहले भी यही उनका दफ्तर था और अब भी है। विरोधियों के पास मेरे खिलाफ कोई ठोस मुद्दा नहीं है, इसके चलते इस तरह के भ्रामक आरोप लगा रहे हैं।
यही नहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली पूछते हैं कि 'आप' हर महीने 30 करोड़ रुपये प्रचार पर खर्च कर रही है, इसलिए पूछना पड़ेगा कि उसके पास पैसा कहां से आ रहा है।
आम आदमी पार्टी की सिरदर्दी उसके कुछ विधायक भी बढ़ा रहे हैं। मसलन, हरीश खन्ना और राजेश गर्ग ने खुद चुनाव लड़ने से मना कर दिया है, तो 'आप' समर्थक स्वर्गीय संतोष कोली के भाई धर्मेंद्र कोली, जो विधायक रह चुके हैं, पैसे को लेकर अरविंद केजरीवाल को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। धर्मेंद्र कोली को पार्टी ने इस बार टिकट नहीं दिया, लिहाजा वह निराश हैं। कहते हैं कि विधायक बनने के बाद न तो वह घर के हैं और न घाट के। अरविंद केजरीवाल बड़ा नाम बन चुके हैं, लिहाजा जो लोग शुरुआत से जुड़े रहे हैं, उनसे मिलने के लिए भी उनके पास टाइम नहीं है। शायद उन्हें कोई ज्यादा पैसा दे रहा हो, इसके चलते मेरी जगह वह किसी और को चुनाव लड़वा रहे हैं। मेरे पास चुनाव लड़ने के लिए पैसे नहीं है। किसी पराजित योद्धा की तरह वह सिर पर हाथ रखे कहते हैं कि विधायक बनने के बाद कोई उन्हें नौकरी पर रखेगा नहीं, उल्टा लोग हंसी जरूर उड़ा रहे हैं...
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