एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (फाइल फोटो)
लखनऊ:
उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्सों में सियासी असर रखने वाले कौमी एकता दल के अध्यक्ष अफजल अंसारी ने एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के साथ गठबंधन का संकेत देते हुए दावा किया कि अगर ओवैसी भाजपा से करीबी होने का आरोप लगने के कारण ‘अछूत’ हैं तो भगवा दल के साथ कथित तौर पर ‘अंदरखाने हाथ मिलाकर चलने वाले’ सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव अस्पृश्य क्यों नहीं हैं।
कौएद अध्यक्ष ने कहा कि उनकी पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में गठबंधन के सिलसिले में अगस्त में कोई फैसला लेगी। अंसारी ने बातचीत में उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी रणनीति की चर्चा करते हुए कहा कि अकेले इतनी बड़ी जंग में ऐलान करना बेवकूफी की बात है, उसके लिये साथी तलाश करने होंगे। उनके अनुसार, वह चाहते हैं कि सियासत में निजी नेकनामी और बदनामी की वजह से कोई बड़ा फायदा उन फिरकापरस्त ताकतों को नहीं पहुंचे जिनसे लड़ते हुए उन्होंने 35-40 साल का राजनीतिक सफर तय किया है। ऐसी शक्तियों में सपा भी शामिल है।
उत्तर प्रदेश में जड़ें जमाने की कोशिश में जुटी ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम से गठबंधन की सम्भावना के सवाल पर उन्होंने कहा कि ओवैसी कोई ‘अछूत’ नहीं हैं। हालात और वक्त की नजाकत इंसान को नये फैसले लेने के लिये मजबूर करती है।
ओवैसी के भाजपा के प्रति झुकाव के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर अंसारी ने सवाल किया, ‘‘आप पहले हमें यह बता दें कि क्या समाजवादी पार्टी के लोगों के रिश्ते भाजपा के साथ नहीं है। क्या बसपा के रिश्ते भाजपा के साथ नहीं है। ओवैसी या अफजाल अंसारी को अपने सेकुलर होने के लिये किसी से चरित्र प्रमाणपत्र लेने की जरूरत नहीं है।’’ उन्होंने कहा ‘‘अगर ओवैसी बिहार में विधानसभा चुनाव लड़ने गये थे, तो क्या मुलायम सिंह नहीं गये थे, क्या यह सवाल सपा मुखिया से नहीं किया जाएगा। क्या मायावती गुजरात नहीं गयी थीं, क्या मुलायम सिंह गुजरात नहीं गये थे। लोग हालात और वक्त के हिसाब से फैसले लेते हैं। हम संजीदगी से सोच रहे हैं कि हमारे किसी कदम का फायदा फिरकापरस्त ताकतों को नहीं हो।’’
कौएद अध्यक्ष ने कहा कि उनकी पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में गठबंधन के सिलसिले में अगस्त में कोई फैसला लेगी। अंसारी ने बातचीत में उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी रणनीति की चर्चा करते हुए कहा कि अकेले इतनी बड़ी जंग में ऐलान करना बेवकूफी की बात है, उसके लिये साथी तलाश करने होंगे। उनके अनुसार, वह चाहते हैं कि सियासत में निजी नेकनामी और बदनामी की वजह से कोई बड़ा फायदा उन फिरकापरस्त ताकतों को नहीं पहुंचे जिनसे लड़ते हुए उन्होंने 35-40 साल का राजनीतिक सफर तय किया है। ऐसी शक्तियों में सपा भी शामिल है।
उत्तर प्रदेश में जड़ें जमाने की कोशिश में जुटी ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम से गठबंधन की सम्भावना के सवाल पर उन्होंने कहा कि ओवैसी कोई ‘अछूत’ नहीं हैं। हालात और वक्त की नजाकत इंसान को नये फैसले लेने के लिये मजबूर करती है।
ओवैसी के भाजपा के प्रति झुकाव के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर अंसारी ने सवाल किया, ‘‘आप पहले हमें यह बता दें कि क्या समाजवादी पार्टी के लोगों के रिश्ते भाजपा के साथ नहीं है। क्या बसपा के रिश्ते भाजपा के साथ नहीं है। ओवैसी या अफजाल अंसारी को अपने सेकुलर होने के लिये किसी से चरित्र प्रमाणपत्र लेने की जरूरत नहीं है।’’ उन्होंने कहा ‘‘अगर ओवैसी बिहार में विधानसभा चुनाव लड़ने गये थे, तो क्या मुलायम सिंह नहीं गये थे, क्या यह सवाल सपा मुखिया से नहीं किया जाएगा। क्या मायावती गुजरात नहीं गयी थीं, क्या मुलायम सिंह गुजरात नहीं गये थे। लोग हालात और वक्त के हिसाब से फैसले लेते हैं। हम संजीदगी से सोच रहे हैं कि हमारे किसी कदम का फायदा फिरकापरस्त ताकतों को नहीं हो।’’
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Quami Ekta Dal (QED), यूपी विधानसभा चुनाव 2017, कौमी एकता दल, असदुद्दीन ओवैसी, Asaduddin Owaisi, UP Assembly Poll 2017