एनडीटीवी के प्रणय रॉय (Prannoy Roy ) ने टाउन हाल की शृंखला (Townhall With Experts) की तीसरी कड़ी में अर्थव्यवस्था में तेज वापसी के अनुमानों के आगे भारत के लिए आगे की राह पर चर्चा की. रॉय ने आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन, कौशिक बसु, नोबेल विजेताओं पॉल मिलग्रोम, माइकल क्रेमर और अभिजीत बनर्जी से चर्चा की. पैनल ने भारत और विश्व में लोकतंत्र के महत्व और भविष्य पर और यह विषय कैसे अर्थव्यवस्था से जुड़ा हुआ है, उस पर चर्चा की.
पेश हैं प्रणय रॉय के शो के कुछ प्रमुख अंश :
प्रोफेसर माइकल क्रेमर : वर्ल्ड बैंक ने वैक्सीन के लिए 12 अरब डॉलर के कर्ज की व्यवस्था की है, लेकिन इसका काफी पैसा इस्तेमाल नहीं हुआ है. अगर मैं वित्त मंत्री होता तो मैं मानता कि यह सबसे जरूरी खर्च है, जो किया जा सकता है. कोवैक्स कार्यक्रम के तहत सिर्फ 20 फीसदी आबादी के लिए टीके की व्यवस्था हुई है, जिसे बढ़ाने की जरूरत है. सबसे कम आय वाले देशों के लिए वैक्सीन खरीदने की जरूरत है.
एनडीटीवी : हमारे देश में बच्चों के कुपोषण और ठिगनेपन के क्या कारण हैं
प्रोफेसर कौशिक बसु : देश के गरीब तबके की आय घट रही है. देश की तरक्की के बावजूद उनका विकास नीचे जा रहा है. असमानता बढ़ी है.
एनडीटीवी : कोई सामान्य जानकारी वाला व्यक्ति को बचत और निवेश के फैसलों में बिटक्वाइन जैसे वर्चुअल करेंसी को कैसे समझना चाहिए और उसकी भूमिका का आकलन करना चाहिए.
प्रोफेसर पॉल मिलग्रोम : आप विशेषकर बिटक्वाइन की बात कर रहे हैं. जो दस साल पहले 25 डॉलर पर थी, लेकिन आज इसका मूल्य 50 से 60 हजार डॉलर पर है. यह अविश्वसनीय है. इसे समझ पाना आसान नहीं है, क्योंकि इसके साथ बहुत सारे जोखिम भी जुड़े हुए हैं. लोग ब्लॉकचेन में निवेश कर रहे हैं, क्योंकि इसकी कुछ विशिष्टताएं हैं और लेनदेन आसान है. सरकार इसे आपसे जब्त नहीं कर सकती.
रघुराम राजन :बिटक्वाइन को खर्च करना भी बेहद मुश्किल है. हम देश की महत्वपूर्ण ऊर्जा को बिटक्वाइन की निगरानी में खर्च कर रही है. यह गैर महत्वपूर्ण संपत्ति है. बिटक्वाइन का लेनदेन संभव बनाने के लिए कंप्यूटिंग पॉवर को काफी मात्रा में बढ़ाने की जरूरत है . लिहाजा मुझे नहीं कि लंबे वक्त तक यह लेनदेन या भुगतान का स्वीकार्य माध्यम रह पाएगा.
एनडीटीवी : क्या सामाजिक मूल्यों का विकास दर और गरीबी के स्तर पर सीधा असर होता है.
प्रोफेसर कौशिक बसु : भारत ने साझा पहचान वाले देश के निर्माण में काफी कुछ जोर दिया है. मैं इसको लेकर काफी निश्चिंत नहीं हूं., लेकिन मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि जिस तरह से विकास दर गिरी है, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी. देश में राजनीति बहुत ज्यादा विभाजनकारी है.
#NDTVTownhall | Prof Kaushik Basu, Former Chief Economic Adviser, on the global trend of democratic values and norms being eroded pic.twitter.com/czgQbxbgnj
— NDTV (@ndtv) March 5, 2021
हमारी निर्यात विकास दर 16 से 24 फीसदी की जगह गिरकर 3 फीसदी पर आ गई है, यह सब कोरोना के पहले का है. हालांकि हमारा आयात भी 15 की जगह 4 फीसदी की वृद्धि दर पर आ गया है.
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