श्रीनगर/नई दिल्ली:
कश्मीर में सक्रिय लड़कियों के एकमात्र बैंड ‘प्रगाश’ ने सर्वोच्च मुफ्ती की ओर से गाने को गैर इस्लामी बताए जाने और ‘फतवा’ जारी करने के बाद गायिकी छोड़ने का फैसला किया।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला सहित बड़ी संख्या में लोग इन लड़कियों के समर्थन में सामने आए और उनसे गायिका नहीं छोड़ने का आग्रह किया था। सैयद अली शाह गिलानी की अगुआई वाले हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अलगाववादी धड़े ने भी इसके लिए सर्वोच्च मुफ्ती की आलोचना की।
इन लड़कियों ने पुरुष के वर्चस्व वाले क्षेत्र में कदम रखा था लेकिन रूढ़िवादी समाज के लोगों की ओर से उन्हें ऑनलाइन धमकी दी गई और अपशब्द कहे गए। इस बैंड के करीबी सूत्रों ने बताया कि लड़कियों ने मुफ्ती के फतवे के कारण गायिकी छोड़ने का फैसला किया है।
सर्वोच्च मुफ्ती बशिरूद्दीन अहमद ने गायिकी को गैर इस्लामिक करार देकर इसके खिलाफ फतवा जारी किया था।
गौरतलब है कि 10वीं कक्षा की छात्रा नोमा नजीर (गायिका, सह गिटारवादक), ड्रम वादक फराह दीबा और गिटारवादक अनीका खालिद ने ‘प्रगाश’ नाम का बैंड बनाकर पिछले साल दिसंबर में श्रीनगर में हुई ‘बैटल ऑफ दी बैंड्स’ प्रतियोगिता में जोरदार प्रस्तुति देकर पहली बार में ही सर्वोच्च प्रदर्शन का पुरस्कार हासिल किया।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला सहित बड़ी संख्या में लोग इन लड़कियों के समर्थन में सामने आए और उनसे गायिका नहीं छोड़ने का आग्रह किया था। सैयद अली शाह गिलानी की अगुआई वाले हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अलगाववादी धड़े ने भी इसके लिए सर्वोच्च मुफ्ती की आलोचना की।
इन लड़कियों ने पुरुष के वर्चस्व वाले क्षेत्र में कदम रखा था लेकिन रूढ़िवादी समाज के लोगों की ओर से उन्हें ऑनलाइन धमकी दी गई और अपशब्द कहे गए। इस बैंड के करीबी सूत्रों ने बताया कि लड़कियों ने मुफ्ती के फतवे के कारण गायिकी छोड़ने का फैसला किया है।
सर्वोच्च मुफ्ती बशिरूद्दीन अहमद ने गायिकी को गैर इस्लामिक करार देकर इसके खिलाफ फतवा जारी किया था।
गौरतलब है कि 10वीं कक्षा की छात्रा नोमा नजीर (गायिका, सह गिटारवादक), ड्रम वादक फराह दीबा और गिटारवादक अनीका खालिद ने ‘प्रगाश’ नाम का बैंड बनाकर पिछले साल दिसंबर में श्रीनगर में हुई ‘बैटल ऑफ दी बैंड्स’ प्रतियोगिता में जोरदार प्रस्तुति देकर पहली बार में ही सर्वोच्च प्रदर्शन का पुरस्कार हासिल किया।