राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
राजधानी दिल्ली में ऑड-इवन स्कीम फिर से लाने की तैयारी शुरू हो गई है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को एक अहम बैठक बुलाई है, जिसमें ऑड-इवन फिर से लागू करने का फैसला किया जाएगा। इस बीच दिल्ली की साफ हवा के सवाल को राष्ट्रपति ने जीवन के अधिकार के सवाल से जोड़ दिया है।
मंगलवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राज्यपालों के सम्मेलन में बढ़ते प्रदूषण का सवाल उठाया। सम्मेलन में दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग भी थे। प्रदूषण से लड़ाई के रास्ते इन दिनों दिल्ली सबसे ज़्यादा खोज रही है। राष्ट्रपति ने कहा, साफ हवा का हक़ जीने के हक़ से जुड़ता है। राष्ट्रपति ने कहा, "इस देश के नागरिकों को स्वस्थ, खुशहाल और उपयोगी ज़िंदगी जीने का हक है। हमारे शहरों में प्रदूषण का स्तर बढ़ने से जीवन का ये अधिकार कमज़ोर हो रहा है।"
ऑड इवन के पहले दौर की कामयाबी के बाद दूसरा दौर शुरू करने जा रहे केजरीवाल को राष्ट्रपति का ये बयान एक नई ताकत दे सकता है। फिलहाल प्रदूषण के ख़िलाफ़ जंग में एक दबाव बड़ी डीज़ल गाड़ियों ने बनाया हुआ है। जगुआर लैंड रोवर के सीईओ ने यहां तक कह दिया कि उनकी गाड़ियां दिल्ली की हवा को साफ़ करती हैं। सेन्टर फॉर साइन्स एंड इन्वायरनमेंट की ईडी अनुमिता रायचौधरी ने एनडीटीवी से कहा कि ये दावा बेबुनियाद है।
दिल्ली और एनसीआर में फिलहाल नई डीज़ल गाड़ियों पर पाबंदी है। अब सबको ऑड ईवन की नई तारीख़ों का इंतज़ार है। दिल्ली और देश के दूसरे शहरों में प्रदूषण के बढ़ते स्तर के मसले को जीवन का अधिकार से जोड़कर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस पर चल रही बहस को एक नई दिशा दी है। अब केंद्र और राज्य सरकारों के सामने अगली चुनौती इस सोच को ज़मीन पर कारगर तरीके से लागू करने की होगी।
मंगलवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राज्यपालों के सम्मेलन में बढ़ते प्रदूषण का सवाल उठाया। सम्मेलन में दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग भी थे। प्रदूषण से लड़ाई के रास्ते इन दिनों दिल्ली सबसे ज़्यादा खोज रही है। राष्ट्रपति ने कहा, साफ हवा का हक़ जीने के हक़ से जुड़ता है। राष्ट्रपति ने कहा, "इस देश के नागरिकों को स्वस्थ, खुशहाल और उपयोगी ज़िंदगी जीने का हक है। हमारे शहरों में प्रदूषण का स्तर बढ़ने से जीवन का ये अधिकार कमज़ोर हो रहा है।"
ऑड इवन के पहले दौर की कामयाबी के बाद दूसरा दौर शुरू करने जा रहे केजरीवाल को राष्ट्रपति का ये बयान एक नई ताकत दे सकता है। फिलहाल प्रदूषण के ख़िलाफ़ जंग में एक दबाव बड़ी डीज़ल गाड़ियों ने बनाया हुआ है। जगुआर लैंड रोवर के सीईओ ने यहां तक कह दिया कि उनकी गाड़ियां दिल्ली की हवा को साफ़ करती हैं। सेन्टर फॉर साइन्स एंड इन्वायरनमेंट की ईडी अनुमिता रायचौधरी ने एनडीटीवी से कहा कि ये दावा बेबुनियाद है।
दिल्ली और एनसीआर में फिलहाल नई डीज़ल गाड़ियों पर पाबंदी है। अब सबको ऑड ईवन की नई तारीख़ों का इंतज़ार है। दिल्ली और देश के दूसरे शहरों में प्रदूषण के बढ़ते स्तर के मसले को जीवन का अधिकार से जोड़कर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस पर चल रही बहस को एक नई दिशा दी है। अब केंद्र और राज्य सरकारों के सामने अगली चुनौती इस सोच को ज़मीन पर कारगर तरीके से लागू करने की होगी।
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