नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को मुजफ्फनगर हिंसा को बड़ी त्रासदी करार दिया और दोषियों को दंडित किए जाने की बात कही। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ प्रधानमंत्री मुजफ्फनगर के दौरे पर गए थे।
पीएम ने उत्तर प्रदेश सरकार से विस्थापितों की सुरक्षा और पुनर्वास सुनिश्चित कराने के लिए कहा। इसके साथ ही उन्होंने इस कार्य के लिए राज्य सरकार को केंद्र द्वारा पूरी मदद दिए जाने का भरोसा दिया।
मनमोहन, सोनिया और राहुल के साथ सबसे पहले बस्सीकलां गांव गए और राहत शिविरों में रह रहे लोगों का दुख-दर्द सुना।
प्रधानमंत्री ने संवाददाताओं से संक्षिप्त बातचीत में कहा, "मैं कांग्रेस अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के साथ संकट की घड़ी में शामिल होने आया हूं, ताकि घटना की भयावहता का आकलन कर सकूं।"
सात सितंबर को भड़की सांप्रदायिक हिंसा में अब तक 47 लोगों की जान जा चुकी है और 100 से अधिक लोग घायल हुए हैं। हिंसा के कारण 43,000 से अधिक विस्थापित हो गए हैं। हालात को नियंत्रण में लाने के लिए सेना की मदद ली गई है।
मनमोहन ने संवाददाताओं से कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इलाके में सुरक्षा के हालात सुधरने पर लोग अपने घर वापस लौट आएंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा, "लोगों के जानमाल की हिफाजत करने की पूरी कोशिश की जाए, ताकि लोग फिर से अपने घरों में जाकर बस सकें। उन्होंने कहा कि लोगों को सुरक्षा दी जाए। इस जघन्य हिंसा के जिम्मेदार लोगों को दंडित किया जाएगा और उत्तर प्रदेश सरकार को मदद जारी रखी जाएगी।" उन्होंने सोनिया और राहुल के साथ राहत शिविरों में जाकर पीड़ितों की तकलीफें सुनीं। तीनों नेता बाद में तावली गांव पहुंचे। मुजफ्फरनगर शहर जाने के दौरान राहुल केंद्रीय गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह के साथ गांजक गांव गए और घटना के संबंध में स्थानीय लोगों से जानकारी ली।
इस बीच, प्रधानमंत्री ने आरपीएन सिंह को लोगों की अर्जी पर ध्यान देने के निर्देश दिए।
प्रधानमंत्री के इस दौरे के दौरान उप्र के राजपाल बीएल जोशी और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन भी उनके साथ थे।
इसके बाद सभी ने दिवंगत टीवी पत्रकार राजेश वर्मा के परिजनों से मुलाकात की और दस लाख रुपये मुआवजा राशि दिए जाने की घोषणा की।
इससे पहले, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा वर्मा के परिवार को 15 लाख रुपये मुआवजे के साथ पुत्र को नौकरी देने की घोषणा की गई थी।
उधर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी का हिंसाग्रस्त मुजफ्फरनगर का दौरा "सांप्रदायिक दंगों पर धर्मनिरपेक्ष पर्यटन" के अलावा कुछ नहीं है।
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने संवाददाताओं से कहा, "लोगों के घाव इससे नहीं भरेंगे। यह पूरी तरह सांप्रदायिक दंगों पर धर्मनिरपेक्ष पर्यटन है और इसके सिवाय कुछ नहीं है।" उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने जो कुछ कहा उसका कोई अर्थ नहीं है, क्योंकि लोग काम चाहते हैं और सरासर बयानबाजी नहीं।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने भाजपा की प्रतिक्रिया पर जवाब देते हुए कहा कि जहां संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने विभिन्न समुदायों को एकजुट करने में रचनात्मक भूमिका निभाई है, वहीं दूसरी ओर भाजपा पूरे देश में सांप्रदायिक उन्माद पैदा करने में माहिर है।
तिवारी ने कहा, "भाजपा को सहानुभूति के ऐसे कार्य का अनुसरण करना चाहिए। पूरे देश में दुखी लोगों तक पहुंचना कांग्रेस और संप्रग की परंपरा है।" उन्होंने कहा, "हम हमेशा रचनात्मक भूमिका निभाने का प्रयास करते हैं, हमेशा विभिन्न समुदायों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध कायम करने का प्रयास करते हैं। और भाजपा पूरे देश में इन सभी वर्षों में उनमें से एक है जो सांप्रदायिक उन्माद पैदा करने में माहिर ही नहीं वरन अत्यधिक माहिर हैं।"
पीएम ने उत्तर प्रदेश सरकार से विस्थापितों की सुरक्षा और पुनर्वास सुनिश्चित कराने के लिए कहा। इसके साथ ही उन्होंने इस कार्य के लिए राज्य सरकार को केंद्र द्वारा पूरी मदद दिए जाने का भरोसा दिया।
मनमोहन, सोनिया और राहुल के साथ सबसे पहले बस्सीकलां गांव गए और राहत शिविरों में रह रहे लोगों का दुख-दर्द सुना।
प्रधानमंत्री ने संवाददाताओं से संक्षिप्त बातचीत में कहा, "मैं कांग्रेस अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के साथ संकट की घड़ी में शामिल होने आया हूं, ताकि घटना की भयावहता का आकलन कर सकूं।"
सात सितंबर को भड़की सांप्रदायिक हिंसा में अब तक 47 लोगों की जान जा चुकी है और 100 से अधिक लोग घायल हुए हैं। हिंसा के कारण 43,000 से अधिक विस्थापित हो गए हैं। हालात को नियंत्रण में लाने के लिए सेना की मदद ली गई है।
मनमोहन ने संवाददाताओं से कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इलाके में सुरक्षा के हालात सुधरने पर लोग अपने घर वापस लौट आएंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा, "लोगों के जानमाल की हिफाजत करने की पूरी कोशिश की जाए, ताकि लोग फिर से अपने घरों में जाकर बस सकें। उन्होंने कहा कि लोगों को सुरक्षा दी जाए। इस जघन्य हिंसा के जिम्मेदार लोगों को दंडित किया जाएगा और उत्तर प्रदेश सरकार को मदद जारी रखी जाएगी।" उन्होंने सोनिया और राहुल के साथ राहत शिविरों में जाकर पीड़ितों की तकलीफें सुनीं। तीनों नेता बाद में तावली गांव पहुंचे। मुजफ्फरनगर शहर जाने के दौरान राहुल केंद्रीय गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह के साथ गांजक गांव गए और घटना के संबंध में स्थानीय लोगों से जानकारी ली।
इस बीच, प्रधानमंत्री ने आरपीएन सिंह को लोगों की अर्जी पर ध्यान देने के निर्देश दिए।
प्रधानमंत्री के इस दौरे के दौरान उप्र के राजपाल बीएल जोशी और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन भी उनके साथ थे।
इसके बाद सभी ने दिवंगत टीवी पत्रकार राजेश वर्मा के परिजनों से मुलाकात की और दस लाख रुपये मुआवजा राशि दिए जाने की घोषणा की।
इससे पहले, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा वर्मा के परिवार को 15 लाख रुपये मुआवजे के साथ पुत्र को नौकरी देने की घोषणा की गई थी।
उधर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी का हिंसाग्रस्त मुजफ्फरनगर का दौरा "सांप्रदायिक दंगों पर धर्मनिरपेक्ष पर्यटन" के अलावा कुछ नहीं है।
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने संवाददाताओं से कहा, "लोगों के घाव इससे नहीं भरेंगे। यह पूरी तरह सांप्रदायिक दंगों पर धर्मनिरपेक्ष पर्यटन है और इसके सिवाय कुछ नहीं है।" उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने जो कुछ कहा उसका कोई अर्थ नहीं है, क्योंकि लोग काम चाहते हैं और सरासर बयानबाजी नहीं।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने भाजपा की प्रतिक्रिया पर जवाब देते हुए कहा कि जहां संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने विभिन्न समुदायों को एकजुट करने में रचनात्मक भूमिका निभाई है, वहीं दूसरी ओर भाजपा पूरे देश में सांप्रदायिक उन्माद पैदा करने में माहिर है।
तिवारी ने कहा, "भाजपा को सहानुभूति के ऐसे कार्य का अनुसरण करना चाहिए। पूरे देश में दुखी लोगों तक पहुंचना कांग्रेस और संप्रग की परंपरा है।" उन्होंने कहा, "हम हमेशा रचनात्मक भूमिका निभाने का प्रयास करते हैं, हमेशा विभिन्न समुदायों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध कायम करने का प्रयास करते हैं। और भाजपा पूरे देश में इन सभी वर्षों में उनमें से एक है जो सांप्रदायिक उन्माद पैदा करने में माहिर ही नहीं वरन अत्यधिक माहिर हैं।"
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