प्रथम विश्व युद्ध के सौ साल हो गए। इस लड़ाई में भारतीय सैनिकों के साहस और बहादुरी को याद करते हुए भारतीय सेना ने दिल्ली के मॉनेकशॉ सेंटर में एक प्रर्दशनी लगाई है। प्रर्दशनी देखने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पहुंचे।
इस प्रदर्शनी को देख प्रधानमंत्री मोदी काफी खुश हुए और इस प्रदशर्नी को दस दिनों तक बढ़ाने का निर्देश दिया है, ताकी ज्यादा से ज्यादा आम लोग इस प्रदर्शनी को देख सकें।
प्रदर्शनी में प्रथम विश्व युद्ध जैसे हालात फिर से बनाने की कोशिश की गई है। बात चाहे वेशभूषा की हो या हथियार की। इस लड़ाई में करीब 74 हजार भारतीय जवान शहीद हुए थे, जबकि 60 हजार से ज्यादा घायल हुए थे। इस विश्व युद्ध में जितने भारतीय सैनिक मारे गए थे, उतने सैनिक आज़ादी के बाद हुए युद्ध में भी शहीद नहीं हुए हैं।
सौ साल पहले भारतीय सैनिकों ने असाधारण लड़ाई लड़ी। उस वक्त ये सैनिक बिट्रेन की ओर से लड़ने के लिए फ्रांस, पूर्वी अफ्रीका से लेकर ईराक तक गए।
इन सैनिकों की बहादुरी और साहस को भारतीय सेना ने याद किया। वह जवान तो नहीं रहे, लेकिन उनकी यादों को जरूर तरोताजा किया गया। पहले तीनों सेनाओं के सुप्रीम कमांडर और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आये थे और आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आए।
इतिहास में इन जवानों के योगदान को लगभग भूला दिया गया है, लेकिन सौ साल बाद ही सही उन भारतीय जवानों को याद करने की यह एक अच्छी कोशिश है, जिन्होंने अपने वीरता के परचम दुनिया में लहराए। शायद कई लोगों को यह जानकारी नही होगी कि इडिया गेट का निर्माण ब्रिटेन ने प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की याद में करवाया था।
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