पीएम मोदी ने कहा कि भारत छोड़ाे आंदोलन आजादी की लड़ाई में अहम पड़ाव रहा.(फाइल फोटो)
1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के 75 साल पूरे होने की याद में संसद में आयोजित विशेष बैठक को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमें राष्ट्र नायकों के आचरण का अनुकरण करना चाहिए. हम अपने कर्तव्यों का ठीक से पालन नहीं करते और छोटी-मोटी गलतियां हमारे व्यवहार का हिस्सा बन गई हैं. इस संदर्भ में उनके भाषण की अहम बातों पर आइए डालते हैं एक नजर:
सबसे बड़ा जन संघर्ष
1942 की घटना आजादी के आंदोलन में अंतिम सबसे बड़ा जन संघर्ष था. इस आंदोलन से देश के हर कोने का आदमी जुड़ गया था. यही वह दौर था जब अंतिम रूप से भारत छोड़ो की बात सामने आई.
करेंगे या मरेंगे
महात्मा गांधी ने जब 'करेंगे या मरेंगे' का नारा दिया तो ये शब्द अपने आप देश के लिए अजूबा थे. गांधी ने कहा था कि मैं पूर्ण स्वतंत्रता से कम किसी भी चीज पर संतुष्ट होने वाला नहीं हूं. हम करेंगे या मरेंगे.
पढ़ें: इतिहास के साथ छेड़खानी, पूरी कौम के साथ छेड़खानी है : संसद में शरद यादव
रामवृक्ष बेनीपुरी का उद्धरण
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हिंदी के वरिष्ठ कवि रामवृक्ष बेनीपुरी ने एक किताब में लिखा है कि उस समय देश में एक अद्भुत वातावरण बन गया. हर व्यक्ति नेता बन गया. हर चौराहे और कोने में 'करो या मरो' का नारा गूंजने लगा. हर व्यक्ति ने 'करो या मरो' के गांधीवाधी मंत्र को अपने दिल में बसा लिया. ब्रिटिश उपनिवेशवाद भारत से शुरू हुआ, और उसका अंत भी यहीं हुआ, क्योंकि जब हम एक मन से संकल्प करके लक्ष्य में जुट जाते हैं, तो देश को गुलामी की जंजीरों से बाहर निकाल सकते हैं.
सोहनलाल द्धिवेदी की कविता
पीएम मोदी ने राष्ट्रकवि सोहनलाल द्विवेदी की कविता का पाठ करते हुए कहा कि सोहनलाल द्विवेदी ने कहा था कि जिस तरफ गांधी के कदम पड़ जाते थे, वहां करोड़ों लोग चलने लगते थे. जहां गांधी की दृष्टि पड़ जाती थी, करोड़ों लोग उस ओर देखने लगते थे.
पढ़ें: पीएम नरेंद्र मोदी ने भाषण में रामवृक्ष बेनीपुरी का उल्लेख किया, क्या आप जानते हैं उन्हें..
VIDEO: जीएसटी पर बोले पीएम मोदी
आचरण में गिरावट
पीएम मोदी ने कहा कि देश को भ्रष्टाचार रूपी दीमक ने बर्बाद करके रखा हुआ है. उन्होंने गिरते सामाजिक आचरण पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि यदि कोई आज रेड लाइट क्रॉस करके निकलता है तो उसको लगता ही नहीं है कि वह गलत कर रहा है. दरअसल इसके पीछे हमारे व्यवहार में नियमों को तोड़ने का स्वभाव बनता जा रहा है. हमारी जिंदगी जीने के तरीके में ये बातें ऐसे घुस गई हैं कि लगता ही नहीं कि हम कुछ गलत कर रहे हैं या कानून तोड़ रहे हैं.
सबसे बड़ा जन संघर्ष
1942 की घटना आजादी के आंदोलन में अंतिम सबसे बड़ा जन संघर्ष था. इस आंदोलन से देश के हर कोने का आदमी जुड़ गया था. यही वह दौर था जब अंतिम रूप से भारत छोड़ो की बात सामने आई.
करेंगे या मरेंगे
महात्मा गांधी ने जब 'करेंगे या मरेंगे' का नारा दिया तो ये शब्द अपने आप देश के लिए अजूबा थे. गांधी ने कहा था कि मैं पूर्ण स्वतंत्रता से कम किसी भी चीज पर संतुष्ट होने वाला नहीं हूं. हम करेंगे या मरेंगे.
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रामवृक्ष बेनीपुरी का उद्धरण
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हिंदी के वरिष्ठ कवि रामवृक्ष बेनीपुरी ने एक किताब में लिखा है कि उस समय देश में एक अद्भुत वातावरण बन गया. हर व्यक्ति नेता बन गया. हर चौराहे और कोने में 'करो या मरो' का नारा गूंजने लगा. हर व्यक्ति ने 'करो या मरो' के गांधीवाधी मंत्र को अपने दिल में बसा लिया. ब्रिटिश उपनिवेशवाद भारत से शुरू हुआ, और उसका अंत भी यहीं हुआ, क्योंकि जब हम एक मन से संकल्प करके लक्ष्य में जुट जाते हैं, तो देश को गुलामी की जंजीरों से बाहर निकाल सकते हैं.
सोहनलाल द्धिवेदी की कविता
पीएम मोदी ने राष्ट्रकवि सोहनलाल द्विवेदी की कविता का पाठ करते हुए कहा कि सोहनलाल द्विवेदी ने कहा था कि जिस तरफ गांधी के कदम पड़ जाते थे, वहां करोड़ों लोग चलने लगते थे. जहां गांधी की दृष्टि पड़ जाती थी, करोड़ों लोग उस ओर देखने लगते थे.
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आचरण में गिरावट
पीएम मोदी ने कहा कि देश को भ्रष्टाचार रूपी दीमक ने बर्बाद करके रखा हुआ है. उन्होंने गिरते सामाजिक आचरण पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि यदि कोई आज रेड लाइट क्रॉस करके निकलता है तो उसको लगता ही नहीं है कि वह गलत कर रहा है. दरअसल इसके पीछे हमारे व्यवहार में नियमों को तोड़ने का स्वभाव बनता जा रहा है. हमारी जिंदगी जीने के तरीके में ये बातें ऐसे घुस गई हैं कि लगता ही नहीं कि हम कुछ गलत कर रहे हैं या कानून तोड़ रहे हैं.
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