प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा का जवाब दिया. इस दौरान पीएम मोदी ने कांग्रेस को निशाने पर रखा. उन्होंने बाबा साहेब आंबेडकर, आरक्षण और ओबीसी आयोग के बहाने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला. उन्होंने अपने भाषण के जरिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी को साधने का भी प्रयास किया. उन्होंने कांग्रेस पर जातिवाद के नाम पर समाज में जहर फैलाने का आरोप लगाया. कांग्रेस नेता राहुल गांधी पिछले कुछ सालों से जातिगत जनगणना की मांग का समर्थन कर रहे हैं. इसके अलावा वो केंद्र सरकार को चलाने वाले अधिकारियों की नियुक्ति में भी ओबीसी और अन्य वंचित जातियों के अधिकारियों की अनदेखी करने का आरोप लगा रहे हैं.
पीएम मोदी अपने भाषण डॉक्टर आंबेडकर का जिक्र क्यों करते हैं
पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर से कांग्रेस को कितनी नफरत थी, उनके प्रति कांग्रेस में इतना गुस्सा था कि उनकी हर बात से कांग्रेस चिढ़ जाती थी.उन्होंने कहा कि इसके सारे दस्तावेज मौजूद हैं. इसी गुस्से के कारण दो-दो बार बाबा साहेब को चुनाव में हराने के लिए क्या कुछ नहीं किया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने बाबा साहेब को कभी भी 'भारत रत्न' के योग्य नहीं समझा.उन्होंने कहा कि जब देशवासियों और सर्व-समाज ने बाबा साहेब की भावना का आदर किया. तब जाकर आज कांग्रेस को मजबूरन 'जय भीम' बोलना पड़ रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने एससी-एसटी एक्ट को मजबूत बनाकर दलित और आदिवासी समाज के सम्मान और सुरक्षा के संबंध में अपनी प्रतिबद्धता भी दिखाई है और उसे आगे भी बढ़ाया है.
ओबीसी आयोग को संवैधानिक बनाने का फायदा किसे हुआ
पीएम मोदी ने कहा कि आज जातिवाद का जहर फैलाने का प्रयास हो रहा है. लेकिन तीन दशक तक, दोनों सदनों में सभी दलों के ओबीसी सासंद सरकारों से मांग करते रहे थे कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया जाए, लेकिन उनकी मांग को ठुकरा दिया गया. क्योंकि शायद उस समय उनकी (कांग्रेस) राजनीति को ये सूट नहीं करता होगा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने राजनीति का एक ऐसा मॉडल तैयार किया था, जिसमें झूठ, फरेब, भ्रष्टाचार परिवारवाद, तुष्टिकरण आदि का घालमेल था.उन्होंने कहा कि कांग्रेस के मॉडल में 'परिवार पहले' ही सर्वोपरि है. इसलिए, उनकी नीति-रीति, वाणी-वर्तन उस एक चीज को संभालने में ही खपता रहा है.उन्होंने कहा कि मेरे लिए यह सौभाग्य की बात है कि हमने ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया है.उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने न सिर्फ उनकी मांगों को पूरा किया है, बल्कि उनका मान सम्मान भी बढ़ाया है.हम जनता जनार्दन को पूजने वाले देश हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस के कालखंड में तुष्टीकरण हर चीज में होता था. यही उनका एक प्रकार से राजनीति की औषधि थी. स्वार्थनीति, राजनीति, देशनीति सबका एक घोटाला करके रखा था. तरीका यह होता था कि छोटे तबके को कुछ दे देना और बाकियों को तरसा कर रखना. जब चुनाव आए तब यह कहना कि देखो उनको मिला है, आपको भी मिल जाएगा. इस प्रकार से झुनझुना बांटा जाता था. चुनाव के समय वोट की खेती होते रहे, यही काम चलता रहता था.
मीडिल क्लास और सवर्ण समुदाय को भी साधा
इस असवर पर पीएम मोदी ने एससी-एसटी, ओबीसी के साथ-साथ सामान्य वर्ग और मीडिल क्लास को साधने की कोशिश की. इसके लिए उन्होंने सामान्य वर्ग के लोगों को दिए गए 10 फीसदी आरक्षण का जिक्र किया.उन्होंने कहा कि पहली बार हमारी सरकार ने 'सबका साथ-सबका विकास' के मंत्र की प्रेरणा से सामान्य वर्ग के गरीब को 10 फीसदी आरक्षण दिया.
उन्होंन कहा कि यह आरक्षण उनकी सरकार ने बिना किसी तनाव के और किसी दूसरे वर्ग के आरक्षण से कटौती किए बिना दिया है.उन्होंने कहा जब हमने यह फैसला किया तो एससी-एसटी और और ओबीसी समुदाय ने भी उसका स्वागत किया था. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि देश में 2013 में केवल दो लाख रुपये तक की आय ही कर मुक्त थी, लेकिन उनकी सरकार ने 12 लाख रुपये तक की आय को कर मुक्त कर दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से मीडिल क्लास को बड़ी राहत मिलने वाली है.
सत्ता सुख के लिए, शाही परिवार के अहंकार के लिए देश के लाखों परिवारों को तबाह कर दिया गया था, देश को जेलखाना बना दिया गया था. बहुत लंबा संघर्ष चला. आखिर में अपने आप को बहुत बड़ा 'तीस मार खां' मानने वालों को जनता जनार्दन की ताकत स्वीकारनी पड़ी, घुटने टेकने पड़े और जनता जनार्दन के सामर्थ्य से देश से इमरजेंसी हटी.उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने दूसरों की लकीर छोटा करने का जो रास्ता चुना है, लोकसभा के बाद भी जो उनके साथ थे, वह भाग रहे हैं.देश की सबसे पुरानी पार्टी की इतनी दुर्दशा. यह दूसरों की लकीर छोटी करने में शक्ति खपा रहे हैं. अगर वो खुद की लकीर लंबी करते तो उनकी यह दशा नहीं होती.
जाति जनगणना और बीजेपी
जाति जनगणना को लेकर देश में जारी लड़ाई को बीजेपी अपने वोटों के बिखराव के रूप में देख रही है.यही वजह है कि वह न तो इसका खुल कर विरोध कर पा रही है और ना ही खुलकर समर्थन. वह ऊहापोह की स्थिति में है.दरअसल जाति जनगणना होने पर यह पता चल जाएगा कि देश में किस जाति की कितनी आबादी है और देश के संसाधनों में उनकी कितनी हिस्सेदारी है. बीजेपी को डर है कि इससे उसके हिंदुत्व वाले वोटों में बिखराव होगा और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में उसकी पैठ कमजोर हो जाएगी. माना जाता है कि ओबीसी ही देश का सबसे बड़ा जातीय समूह है. इसलिए बीजेपी नेताओं ने अपना जोर अब हिंदुत्व की जगह सनातन पर देना शुरू कर दिया है. उनको लगता है कि सनातन की डोर हिंदुत्व से भी मजबूत है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपने हर सार्वजनिक कार्यक्रम में अपने हाथ में संविधान की प्रति लहराते हुए उस पर खतरा बताते हैं. इससे एससी-एसटी के लोगों का रुझान कांग्रेस की ओर बढ़ा है. यह लोकसभा चुनाव के परिणाम में भी नजर आया था. क्योंकि संविधान से डॉक्टर आंबेडकर के जुड़ा होने के वजह से दलितों में संविधान के प्रति विशेष लगाव है. दलित समाज में यह भावना है कि जबतक संविधान है, तभी तक उन्हें आरक्षण का लाभ मिलेगा, इसलिए भी वो संविधान और संविधान की रक्षा करने की बात करने वालों को पसंद करने लगे हैं. बीजेपी के कुछ नेताओं के संविधान बदलने वाले बयान से दलितों में यह बात घर कर गई है कि संविधान खतरे में है. पीएम मोदी ने अपने भाषण में डॉक्टर आंबेडकर और आरक्षण की चर्चा कर इसी डर को निकालने का प्रयास किया.
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