प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव के सातवें चरण का प्रचार खत्म होने के बाद अगले दो दिनों तक कन्याकुमारी में रहेंगे. इस दौरान वह कन्याकुमारी के विवेकानंद मेमोरियल रॉक पर ध्यान लगाएंगे. पीएम मोदी कन्याकुमारी में करीब 45 घंटे रहेंगे.खास बात ये है कि पीएम मोदी कन्याकुमारी में उसी स्थान पर बैठकर ध्यान लगाएंगे जहां पर स्वामी विवेकानंद ने ध्यान लगाया था. यही वजह है कि इस जगह का नाम स्वाी विवेकानंद की याद में विवेकानंद रॉक मेमोरियल रखा गया है. इस प्वाइंट से कुछ ही दूरी पर पूर्वी और पश्चिमी घाट आपस में मिलते हैं. ये वही जगह है कि जहां हिन्द महासागर और अरब सागर मिलते हैं. पीएम मोदी की इस यात्रा को लेकर कन्याकुमारी और खासतौर पर विवेकानंद रॉक मेमोरियल के पास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं.
ये है पीएम का पूरा कार्यक्रम
अभी तक पीएम मोदी के कार्यक्रम को लेकर जो जानकारी बाहर आई है उसके मुताबिक पीएम मोदी आध्यात्मिक प्रवास के लिए 30 मई दोपहर बाद कन्याकुमारी पहुंचेंगे. यहां से वह विवेकानंद रॉक मेमोरियल जाएंगे. 30 मई की शाम से एक जून की शाम तक वह यहां के ध्यान मंडपम में ध्यान लगाएंगे. पीएम मोदी अपने आध्यात्मिक प्रवाश के दौरान श्री भगवती अम्मन मंदिर में दर्शन के लिए भी जाएंगे. इस दौरान पीएम यहां पूजा-अर्चना भी करेंगे. पीएम मोदी इसके बाद एक जून की शाम दिल्ली के लिए रवाना हो सकते हैं. हालांकि, खबर ये भी आ रही है कि पीएम मोदी दिल्ली के लिए रवाना होने से पहले तमिल कवि तिरुवल्लुवर की प्रतिमा देखने भी जा सकते हैं.
चाक चौबंद की गई है सुरक्षा व्यवस्था
पीएम मोदी के इस आध्यात्मिक प्रवास को लेकर कन्याकुमारी में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. उनकी सुरक्षा में 2000 हजार से ज्याद पुलिस के जवानों की तैनाती की गई है. कहा जा रहा है जितने समय तक पीएम मोदी विवेकानंद रॉक मेमोरियल पर रहेंगे तब तक किसी भी आम टूरिस्ट को वहां जाने की अनुमति नहीं होगी. पीएम मोदी की सुरक्षा में NSG कमांडो की तैनाती भी किए जाने की खबर है.
इस वजह से विवेकानंद रॉक मेमोरियल पर ध्यान करेंगे पीएम
भारतीय जनता पार्टी से जुड़े वरिष्ठ पदाधिकारियों की मानें तो पीएम मोदी द्वारा ध्यान लगाने के लिए विवेकानंद रॉक मेमोरियल को चुनने के पीछे की एक अहम वजह है. उन्होंने ऐसा इसलिए किया है क्योंकि वह चाहते हैं कि इससे उनकी वो प्रतिबद्धता दिखे जिसके तहत वह देश के लिए विवेकानंद के दृष्टिकोण को साकार करना चाहते हैं. कहा जा रहा है कि विवेकानंद देशभर में घूमने के बाद इसी चट्टान यानी रॉक पर पहुंचे थे. इसी रॉक पर उन्होंने तीन दिनों तक ध्यान लगाया और विकसित भारत का सपना देखा था.
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