पंजाब में बदहाल किसानों का आरोप है कि उन्हें सरकार से मदद नहीं मिल रही है
संगरूर:
संगरूर के छजली गांव में पतंग की दुकान पर धंधा मंदा है। दूकानदार राज कहते हैं कि बसंत पंचमी पर पतंगबाजी पंजाब के गांवों में सदियों पुराना शगल है लेकिन इस साल आसमान में पतंगे कम नज़र आ रही हैं। पिछली तीन फसलों में किसानों को घाटा हुआ है और यह उसी का असर है। भारतीय किसान यूनियन के संत सिंह बताते हैं कि कपास की फसल सफ़ेद कीट ने बर्बाद कर दी और सरकार ने उचित मुआवज़ा भी नहीं दिया। इसके बाद बासमती के दाम भी नहीं मिले, पिछले साल 4500 से 5 हज़ार का रेट मिला था। इस बार सिर्फ 800 से 1450 ही मिले। संत कहते हैं कि आढ़तिया और सरकार ने मिलकर किसान को लूट लिया है।
पंजाब में पिछले एक साल के दौरान किसानों की ख़ुदकुशी के मामलों में बेतहाशा इजाफा हुआ है। लगातार चौपट होती फसलों से कर्ज़ में डूबे किसान मौत को गले लगा रहे हैं। किसान यूनियन दावा कर रही है कि अगस्त से अब तक संगरूर, बठिंडा और मनसा में लगभग 100 किसान ख़ुदकुशी कर चुके हैं। मालवा की कपास पट्टी के ज़िलों में हालत और ज़्यादा ख़राब है।
बर्बाद फसल से हौंसला पस्त
25 साल के बिकर सिंह ने नवंबर में सल्फास खाकर जान दे दी। परिवार पर 12 लाख का क़र्ज़ है जिसकी गारंटी बिकर पर थी। एक के बाद एक फसल बर्बाद होने से उसका हौंसला जवाब दे गया। बिकर के पिता राम सिंह कहते हैं कि उन्होंने 10-12 एकड़ खेत ठेके पर लिए थे जिसके लिए लोन लेना पड़ा। नुकसान के चलते क़िस्त अदा नहीं हुई, कपास और धान में बहुत नुकसान हुआ जिसकी वजह से उनका बेटा तनाव में रहने लगा था।
छजली गाँव में ७० साल की बंत कौर के घर में उनके अलावा तीन और विधवाएं हैं। पिछले एक दशक में परिवार के चार मर्द क़र्ज़ के भंवर में जान गंवा चुके हैं। बादल सरकार ख़ुदकुशी करने वाले किसान के परिवार को तीन लाख रुपये मुआवज़ा देती है। लेकिन बंत कौर कहती हैं 'हमें कभी कोई मदद नहीं मिली सरकार से। अगर कुछ मिले तो क़र्ज़ चुकाएं। मेरे दो पोते और दो लड़कों ने खुदकुशी कर ली। वह कर्ज़ नहीं चुका पाए वरना कोई अपनी जान क्यों दे।'
महिलाओं के हाथ में हल
परिवार के पास अब सिर्फ 1.5 एकड़ जमीन बची है जो गिरवी पड़ी है। परिवार की महिलाओं को ही खेत भी संभालने पड़ रहे हैं। पौत्र वधु गुरप्रीत कौर पर यह ज़िम्मेदारी है। वह बताती है कि 'इस फसल से हमें सिर्फ खाने भर को मिलेगा। बाकी सब क़र्ज़ चुकाने में चला जायेगा, किसी तरह बच्चों को पाल रही हूं। पंजाबी यूनिवर्सिटी के सर्वे के मुताबिक पंजाब के किसानों पर 70 हज़ार करोड़ का क़र्ज़ है। जबकि सरकार कहती है कि ज़्यादातर ख़ुदकुशी घरेलू वजहों के चलते हुई हैं।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल कपास के किसानों को 600 करोड़ रुपये बतौर मुआवज़ा बांटे गए। इस साल राज्य सरकार ने ट्यूब वेल को मुफ्त बिजली के लिए 4900 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं लेकिन किसानों की ख़ुदकुशी का सिलसिला जारी है।
पंजाब में पिछले एक साल के दौरान किसानों की ख़ुदकुशी के मामलों में बेतहाशा इजाफा हुआ है। लगातार चौपट होती फसलों से कर्ज़ में डूबे किसान मौत को गले लगा रहे हैं। किसान यूनियन दावा कर रही है कि अगस्त से अब तक संगरूर, बठिंडा और मनसा में लगभग 100 किसान ख़ुदकुशी कर चुके हैं। मालवा की कपास पट्टी के ज़िलों में हालत और ज़्यादा ख़राब है।
बर्बाद फसल से हौंसला पस्त
25 साल के बिकर सिंह ने नवंबर में सल्फास खाकर जान दे दी। परिवार पर 12 लाख का क़र्ज़ है जिसकी गारंटी बिकर पर थी। एक के बाद एक फसल बर्बाद होने से उसका हौंसला जवाब दे गया। बिकर के पिता राम सिंह कहते हैं कि उन्होंने 10-12 एकड़ खेत ठेके पर लिए थे जिसके लिए लोन लेना पड़ा। नुकसान के चलते क़िस्त अदा नहीं हुई, कपास और धान में बहुत नुकसान हुआ जिसकी वजह से उनका बेटा तनाव में रहने लगा था।
छजली गाँव में ७० साल की बंत कौर के घर में उनके अलावा तीन और विधवाएं हैं। पिछले एक दशक में परिवार के चार मर्द क़र्ज़ के भंवर में जान गंवा चुके हैं। बादल सरकार ख़ुदकुशी करने वाले किसान के परिवार को तीन लाख रुपये मुआवज़ा देती है। लेकिन बंत कौर कहती हैं 'हमें कभी कोई मदद नहीं मिली सरकार से। अगर कुछ मिले तो क़र्ज़ चुकाएं। मेरे दो पोते और दो लड़कों ने खुदकुशी कर ली। वह कर्ज़ नहीं चुका पाए वरना कोई अपनी जान क्यों दे।'
महिलाओं के हाथ में हल
परिवार के पास अब सिर्फ 1.5 एकड़ जमीन बची है जो गिरवी पड़ी है। परिवार की महिलाओं को ही खेत भी संभालने पड़ रहे हैं। पौत्र वधु गुरप्रीत कौर पर यह ज़िम्मेदारी है। वह बताती है कि 'इस फसल से हमें सिर्फ खाने भर को मिलेगा। बाकी सब क़र्ज़ चुकाने में चला जायेगा, किसी तरह बच्चों को पाल रही हूं। पंजाबी यूनिवर्सिटी के सर्वे के मुताबिक पंजाब के किसानों पर 70 हज़ार करोड़ का क़र्ज़ है। जबकि सरकार कहती है कि ज़्यादातर ख़ुदकुशी घरेलू वजहों के चलते हुई हैं।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल कपास के किसानों को 600 करोड़ रुपये बतौर मुआवज़ा बांटे गए। इस साल राज्य सरकार ने ट्यूब वेल को मुफ्त बिजली के लिए 4900 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं लेकिन किसानों की ख़ुदकुशी का सिलसिला जारी है।
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