दिल्ली हाई कोर्ट ट्रिब्यूनल ने केंद्र सरकार द्वारा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर भारत मे लगाए बैन के फैसले को बरकरार रखा है. गृह मंत्रालय ने 28 सितंबर को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत पीएफआई और उसके 8 सहयोगियों को 5 साल के लिए बैन कर दिया था. पीएफआई पर आरोप है कि इस्लामिक स्टेट (आईएस) जैसे वैश्विक आतंकवादी संगठनों से उसके संबंध रह हैं. केंद्र ने पीएफआई और इसके सहयोगी या इससे संबंद्ध संगठनों पर रोक लगा दी थी, जिसमें रेहाब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई), ऑल इंडिया इमाम्स काउंसिल (एआईआईसी), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यमून राइट्स ऑर्गनाइज़ेशन (एनसीएचआरओ), नेशनल वूमंस फ्रंट, जूनियर फ्रंट, इम्पावर इंडिया फाइंडेशन और रेहाब फाउंडेशन, केरल शामिल था.
नेशनल वूमंस फ्रंट की पैरवी कर रहे वकील कार्तिक वेणु ने कहा कि अधिकरण ने सभी आठ संगठनों पर प्रतिबंध की पुष्टि की है.केंद्र सरकार ने पिछले साल 27 सितंबर को जारी अधिसूचना में कहा था ‘‘उक्त कारणों के चलते केंद्र सरकार का दृढ़ता से यह मानना है कि पीएफआई की गतिविधियों को देखते हुए उसे और उसके सहयोगियों या मोर्चों को तत्काल प्रभाव से गैरकानूनी संगठन घोषित करना जरूरी है.
उक्त अधिनियम की धारा-3 की उपधारा (3) में दिए गए अधिकार का इस्तेमाल करते हुए इसे गैर-कानूनी घोषित किया जाता है.'' पीएफआई से कथित रूप से जुड़े 150 से अधिक लोगों को पिछले साल सितंबर में सात राज्यों में छापेमारी के दौरान हिरासत में लिया गया था या गिरफ्तार किया गया था.
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