फाइल फोटो
नई दिल्ली:
समाज की कूरीतियों में से एक 'वर्जिनिटी टेस्ट' को खत्म करने को लेकर चल रही मुहिम अब विदेश में भी सुर्खियां बटोर रही है. पुणे में एक समुदाय विशेष द्वारा व्हाट्सएप पर चलाए जा रहे इस मुहिम को बीते दिनों वाशिंगटन पोस्ट ने भी सराहा. अखबार ने लिखा कि भटनगर के पास नवयुवक इस प्रथा के खिलाफ शादियों में जाकर विरोध जता रहे हैं, साथ ही अन्य युवाओं को जागरुक भी कर रहे हैं. गौरतलब है कि वर्जिनिटी टेस्ट सदियों पुरानी प्रथा है जिसके तहत नव-विवाहित महिला की वर्जिनिटी टेस्ट की जाती है. इस टेस्ट के बाद उस समाज के बडे़ लोग संबंधित महिला को पवित्र या अपवित्र घोषित करते हैं. आज के आधुनिक भारत में आज वर्जिनिटी टेस्ट एक दुलर्भ चीज है. और अब यह कुछ छोटे जगहों या जाति तक ही सीमित है.
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ऐसी ही एक जाती है कंजरभट. इस जाति में आज भी इस टेस्ट को किया जाता है और शादी होने के बाद इस टेस्ट के आधार पर ही नव-विवाहित महिला को पवित्र घोषित किया जाता है. लेकिन आज के समाज में ऐसी कुरीतियों को दूर करने के लिए नवयुवक काम कर रहे हैं. पुणे के पास इन दिनों इस कूरीति के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जा रहा है. इस मुहिम के तहत महिलाओं के अधिकारी की बात की जा रही है साथ ही इस टेस्ट को महिलाओं और समाज के खिलाफ बताया जा रहा है. आज युवा व्हाट्सएप की मदद से अपने आसपास के लोगों को इस प्रथा के विरोध में आवाज उठाने के लिए प्रेरित कर रहे है.
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बीते कई दशकों में बड़ी संख्या में महिलाओं ने इस कूरीति को झेला. इनमें से ही एक महिला 55 वर्षीय लीलाबाई ने बताया कि उन्हें भी इस टेस्ट से करीब चार दशक पहले होकर गुजरना पड़ा था. लीलाबाई ने बताया कि उस समय उनकी उम्र 12 साल थी. उस समय मैं जवान थी और मुझे इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि यह मेरे साथ क्या और क्यों हो रहा है. लीलाबाई इस प्रथा के खिलाफ कई वर्षों तक अपना रोष प्रकट करती रही हैं. हालांकि उस दौरान वह इस प्रथा को रोकने के लिए कुछ नहीं कर पाईं. यही वजह थी कि वह अपनी बेटी को भी इससे नहीं बचा सकीं. लेकिन वह अब अपने कंजरभट समाज में इस प्रथा का विरोध जोरशोर से कर रही हैं. इस प्रथा के विरोध में लोगों के खड़े होने के बाद इस समाज में भी दो धड़े बंट गए है. खासकर जब विवेक टामईचिकर ने इस प्रथा के विरोध में लोगों को जागरूर करने के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया.
VIDEO: अमरनाथ को लेकर शुरू हुआ विवाद.
टामईचिकर, जिनकी इस साल आखिर तक शादी होने वाली है ने कहा कि वह अपने परिवार में इसे (वर्जिनिटी टेस्ट) को नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि इस प्रथा का विरोध करने पर उनका काफी हद तक बहिष्कार भी किया गया लेकिन वह फिर भी युवाओं के इसके प्रति जागरूक कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे.
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ऐसी ही एक जाती है कंजरभट. इस जाति में आज भी इस टेस्ट को किया जाता है और शादी होने के बाद इस टेस्ट के आधार पर ही नव-विवाहित महिला को पवित्र घोषित किया जाता है. लेकिन आज के समाज में ऐसी कुरीतियों को दूर करने के लिए नवयुवक काम कर रहे हैं. पुणे के पास इन दिनों इस कूरीति के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जा रहा है. इस मुहिम के तहत महिलाओं के अधिकारी की बात की जा रही है साथ ही इस टेस्ट को महिलाओं और समाज के खिलाफ बताया जा रहा है. आज युवा व्हाट्सएप की मदद से अपने आसपास के लोगों को इस प्रथा के विरोध में आवाज उठाने के लिए प्रेरित कर रहे है.
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बीते कई दशकों में बड़ी संख्या में महिलाओं ने इस कूरीति को झेला. इनमें से ही एक महिला 55 वर्षीय लीलाबाई ने बताया कि उन्हें भी इस टेस्ट से करीब चार दशक पहले होकर गुजरना पड़ा था. लीलाबाई ने बताया कि उस समय उनकी उम्र 12 साल थी. उस समय मैं जवान थी और मुझे इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि यह मेरे साथ क्या और क्यों हो रहा है. लीलाबाई इस प्रथा के खिलाफ कई वर्षों तक अपना रोष प्रकट करती रही हैं. हालांकि उस दौरान वह इस प्रथा को रोकने के लिए कुछ नहीं कर पाईं. यही वजह थी कि वह अपनी बेटी को भी इससे नहीं बचा सकीं. लेकिन वह अब अपने कंजरभट समाज में इस प्रथा का विरोध जोरशोर से कर रही हैं. इस प्रथा के विरोध में लोगों के खड़े होने के बाद इस समाज में भी दो धड़े बंट गए है. खासकर जब विवेक टामईचिकर ने इस प्रथा के विरोध में लोगों को जागरूर करने के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया.
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टामईचिकर, जिनकी इस साल आखिर तक शादी होने वाली है ने कहा कि वह अपने परिवार में इसे (वर्जिनिटी टेस्ट) को नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि इस प्रथा का विरोध करने पर उनका काफी हद तक बहिष्कार भी किया गया लेकिन वह फिर भी युवाओं के इसके प्रति जागरूक कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे.
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