पृथक विदर्भ राज्य के गठन की मांग का जोरदार विरोध करते हुए शिवसेना ने गुरुवार को कहा कि इस मांग का कोई आधार नहीं है और आरोप लगाया कि राज्यों का विभाजन की मांग करने वाले देश को बांटने का प्रयास कर रहे हैं।
पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा, 'चुनाव से पहले जो कई मुद्दे सामने आ गए हैं, उनमें पृथक विदर्भ एक मुद्दा है। चूंकि जनता इस मांग का समर्थन नहीं कर रही है, ऐसे में कहा जा सकता है कि कुछ लोग जो करेंगे, वे बस लोगों का ध्यान खींचने के लिए करेंगे।'
उसमें कहा गया है, 'नितिन गडकरी अब केंद्र में एक मंत्री है और दिल्ली में उनका प्रभाव है। वह विदर्भ का विकास सुनिश्चित करने के लिए सबकुछ करेंगे।' संपादकीय में नागपुर में गडकरी के निवास के बाहर विदर्भ की मांग करने वाले कुछ लोगों द्वारा विरोध मार्च किए जाने का उल्लेख है।
उसमें कहा गया है, 'यह संगठित मराठी राज्य है और हमारी इच्छा भी यही है। आंध्रप्रदेश को काटकर तेलंगाना बनाया गया है, लेकिन क्या वहां खुशहाली की बयार बह रही है? तेलंगाना के मुख्यमंत्री की बेटी ने कहा कि तेलंगाना और कश्मीर दो ऐसे स्वतंत्र राज्य हैं जिन्हें जबर्दस्ती भारत में शामिल कर लिया गया।'
विदर्भ पर शिवसेना का दृष्टिकोण ऐसे समय में आया है जब दो दिन पहले महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एवं राकांपा के कद्दावर नेता अजित पवार ने विदर्भ पर शिवसेना एवं भाजपा के बीच मतभेद का जिक्र किया था।
पवार ने कहा, 'मैं शिवसेना और भाजपा के नेताओं को खुले में एक मंच पर आने और यह घोषणा करने की चुनौती देता हूं कि 11-12 जिलों वाले विदर्भ पर उनका रुख क्या है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र फड़नवीस विदर्भ से हैं और वह विदर्भ के गठन का खुलकर समर्थन कर रहे हैं।'
उन्होंने कहा, 'कैसे कोई व्यक्ति, जो महाराष्ट्र का विभाजन चाहता है, इस राज्य के मुख्यमंत्री के पद की दौड़ में हो सकता है? क्या शिवसेना यह सुन नही है? क्या वह ऐसी पार्टी के साथ काम करेगी जो महाराष्ट्र का विभाजन चाहती है?'
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