रामविलास पासवान का फाइल फोटो
''दाल के मसले पर राज्य सरकारों की लापरवाही की वजहों से केंद्र बदनाम हो रहा है", यह कहकर दाल की कीमतों पर काबू पाने में जुटे खाद्य मंत्री ने सोमवार को इस समस्या के लिए राज्य सरकारों को ज़िम्मेदार ठहरा दिया। सोमवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में दाल पर हुई उच्च-स्तरीय मीटिंग के बाद राम विलास पासवान ने ये आरोप लगाया। पासवान का बयान उस सवाल के जवाब में आया जिसमें उनसे ये पूछा गया कि क्यों केंद्र की बार-बार गुज़ारिश के बावजूद बिहार सहित कई राज्य सरकारें सस्ते रेट पर कच्ची दाल नहीं खरीद रहे थे।
पासवान यहीं नहीं रुके...दाल पर वित्त मंत्री की उच्चस्तरीय बैठक के ठीक बाद बिहार सरकार पर सीधे ये आरोप लगा दिया कि वो दाल किसानों से खरीद ही नहीं रही है। पासवान ने कहा कि पिछले हफ्ते हाजीपुर के एक गांव में उन्हें कौशल किशोर सिंह नाम के एक छोटे किसान मिले जिन्होंने उन्हें बताया कि बिहार सरकार उनसे दाल नहीं खरीद रही है...और उनके इलाके में किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से भी कम कीमत पर दाल बेचने को मजबूर हो रहे हैं।
बिहार सरकार ने जवाब देने में देरी नहीं की...कहा पासवान का आरोप बेबुनियाद है। बिहार के खाद्य मंत्री मदन साहनी ने कहा कि पासवान को पता है कि बिहार सरकार किसानों से दाल की खरीदारी नहीं करती है।
उधर वित्त मंत्री की अध्यक्षता में हुई उच्च-स्तरीय मीटिंग में दाल की कीमतों पर काबू पाने के लिए कई अहम फैसले लिये गए। सरकार ने तय किया है कि दाल के बफर स्टाक की सीमा 8 लाख टन से बढ़ाकर 20 लाख टन किया जाएगा। ये फैसला दाल अर्थव्यवस्था की अनिश्चितता से निपटने के लिए लिया गया है।
जानकार मानते हैं कि ऐसे वक्त पर जब देश में दाल का स्टॉक सीमित है, दाल का बफर स्टाक बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। नीति आयोग में लैंड लीजिंग कमेटी के चेयरमैन टी हक ने एनडीटीवी इंडिया से कहा, "कभी (बफर स्टॉक बनाने का) सरकार का फैसला सही साबित हो सकता है और कभी नहीं। बड़े संकट के समय जब बाज़ार में दाल की कमी हो और बफर स्टॉक से सही तरीके से अगर बाज़ार में दाल नहीं पहुंचाया गया तो संकट बढ़ सकता है...इसमें रिस्क होता है। सरकार को इसी स्टॉक का सही तरीके से इस्तेमाल करना होगा।"
सरकार ने ये भी तय किया कि मुख्य आर्थिक सलाहकार की अध्यक्षता में एक कमेटी दाल की MSP और बोनस जैसे मसलों पर एक नया रोडमैप सरकार के सामने पेश करेगी।
पासवान यहीं नहीं रुके...दाल पर वित्त मंत्री की उच्चस्तरीय बैठक के ठीक बाद बिहार सरकार पर सीधे ये आरोप लगा दिया कि वो दाल किसानों से खरीद ही नहीं रही है। पासवान ने कहा कि पिछले हफ्ते हाजीपुर के एक गांव में उन्हें कौशल किशोर सिंह नाम के एक छोटे किसान मिले जिन्होंने उन्हें बताया कि बिहार सरकार उनसे दाल नहीं खरीद रही है...और उनके इलाके में किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से भी कम कीमत पर दाल बेचने को मजबूर हो रहे हैं।
बिहार सरकार ने जवाब देने में देरी नहीं की...कहा पासवान का आरोप बेबुनियाद है। बिहार के खाद्य मंत्री मदन साहनी ने कहा कि पासवान को पता है कि बिहार सरकार किसानों से दाल की खरीदारी नहीं करती है।
उधर वित्त मंत्री की अध्यक्षता में हुई उच्च-स्तरीय मीटिंग में दाल की कीमतों पर काबू पाने के लिए कई अहम फैसले लिये गए। सरकार ने तय किया है कि दाल के बफर स्टाक की सीमा 8 लाख टन से बढ़ाकर 20 लाख टन किया जाएगा। ये फैसला दाल अर्थव्यवस्था की अनिश्चितता से निपटने के लिए लिया गया है।
जानकार मानते हैं कि ऐसे वक्त पर जब देश में दाल का स्टॉक सीमित है, दाल का बफर स्टाक बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। नीति आयोग में लैंड लीजिंग कमेटी के चेयरमैन टी हक ने एनडीटीवी इंडिया से कहा, "कभी (बफर स्टॉक बनाने का) सरकार का फैसला सही साबित हो सकता है और कभी नहीं। बड़े संकट के समय जब बाज़ार में दाल की कमी हो और बफर स्टॉक से सही तरीके से अगर बाज़ार में दाल नहीं पहुंचाया गया तो संकट बढ़ सकता है...इसमें रिस्क होता है। सरकार को इसी स्टॉक का सही तरीके से इस्तेमाल करना होगा।"
सरकार ने ये भी तय किया कि मुख्य आर्थिक सलाहकार की अध्यक्षता में एक कमेटी दाल की MSP और बोनस जैसे मसलों पर एक नया रोडमैप सरकार के सामने पेश करेगी।
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