केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को कहा कि बार-बार संघर्ष विराम उल्लंघनों के मद्देनजर भारत की जवाबी कार्रवाई को रोकने के लिए पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र की शरण लेने को मजबूर होना पड़ा।
सिंह ने कहा, 'उन्होंने (पाकिस्तान ने) संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से गुहार लगाई कि भारत को (जवाबी कार्रवाई) रोकने को कहा जाए।' उन्होंने कहा, 'कांग्रेस सरकार की नीति थी कि पाकिस्तान की ओर से किसी भारतीय को मार देने पर भी उसे केवल सफेद झंडे दिखाये जाएं। हमने बीएसएफ महानिदेशक से पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने को कहा।'
सिंह ने कहा, 'पाकिस्तान की ओर से अंतरराष्ट्रीय सीमा पर संघर्ष विराम उल्लंघनों के बाद मैंने बीएसएफ महानिदेशक से पूछा कि वे कैसे प्रतिक्रिया देते रहे हैं। उन्होंने जवाब दिया कि हम (भारतीय पक्ष) सफेद झंडे दिखाते हैं क्योंकि हम पाकिस्तान के साथ बातचीत चाहते हैं।'
उनके मुताबिक तब उन्होंने बीएसएफ के डीजी को निर्देश दिया कि पाकिस्तान को संघर्ष विराम उल्लंघन का मुंहतोड़ जवाब दिया जाए।
उन्होंने कहा कि भारत की तरफ से मुंहतोड़ जवाब की वजह से पाकिस्तान को संयुक्त राष्ट्र के आगे गुहार लगानी पड़ी।
सिंह के मुताबिक, 'उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से भारत को रोकने के लिए कहने का अनुरोध किया।' उन्होंने कहा कि कुछ लोग सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन हम कहते हैं कि हमें कश्मीर की जनता से विशेष लगाव है जिस वजह से बाढ़ के बाद मैंने और प्रधानमंत्री ने खुद घाटी में हालात का जायजा लिया।
गृहमंत्री के अनुसार कश्मीर के लोगों की दशा देखकर मोदी इतने विचलित हुए कि उन्होंने बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए न केवल 1000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी बल्कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के लोगों को भी मदद की पेशकश की।
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