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This Article is From Feb 13, 2022

भारत और पाकिस्तान के बीच झूल रहे शख्स के बच्चों ने सुप्रीम कोर्ट से लगाई पिता की रिहाई की गुहार

मोहम्मद कमर (62) को 8 अगस्त 2011 को यूपी के मेरठ से गिरफ्तार किया गया था और अदालत ने वीजा खत्म होने की अवधि से अधिक समय तक देश में रहने के लिए दोषी ठहराया था. उसे तीन साल छह महीने की जेल और 500 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई है.

भारत और पाकिस्तान के बीच झूल रहे शख्स के बच्चों ने सुप्रीम कोर्ट से लगाई पिता की रिहाई की गुहार
PAKISTANI Citizenship : मोहम्मद कमर को पाकिस्तानी नागरिक घोषित किया गया था
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक अनोखा मामला पहुंचा है, जिसमें एक शख्स को भारत ने पाकिस्तानी नागरिक घोषित कर दिया है और पाकिस्तान निर्वासित करने का फैसला भी कर दिया. लेकिन पाकिस्तान की इमरान खान सरकार उसे स्वीकार नहीं कर रही है. इस कारण वो दोनों देशों के बीच गतिरोध के कारण जेल की सजा पूरी करने के बाद भी हिरासत केंद्र में बंद है. परिवार से सात साल से दूरी के बावजूद मामला हल न होते देख उसके बच्चों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. 
अदालत द्वारा उसे पाकिस्तानी नागरिक घोषित किया गया था और भारत में अवैध प्रवेश की वो सजा भी भुगत चुका है. वो अब हिरासत केंद्र में है, क्योंकि पड़ोसी देश ने उसे अपना नागरिक नहीं माना है. और अब इस व्यक्ति के बच्चों ने उसकी रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.

मोहम्मद कमर (62) को 8 अगस्त 2011 को यूपी के मेरठ से गिरफ्तार किया गया था और अदालत ने वीजा खत्म होने की अवधि से अधिक समय तक देश में रहने के लिए दोषी ठहराया था. उसे तीन साल छह महीने की जेल और 500 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई है.छह फरवरी, 2015 को अपनी सजा पूरी करने के बाद, कमर को सात फरवरी, 2015 को नरेला के लामपुर डिटेंशन सेंटर में पाकिस्तान निर्वासन के लिए भेजा गया था. हालांकि, पाकिस्तान सरकार ने उसके निर्वासन को स्वीकार नहीं किया और वह अभी भी नजरबंदी केंद्र में है. SC की पीठ को वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने कहा कि अगर कमर को उचित शर्तों पर रिहा किया जाता है, तो वह भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करेगा क्योंकि उसकी पत्नी और पांच बच्चे तीन बेटे और दो बेटियां सभी भारतीय नागरिक हैं.

कोर्ट ने कहा, ‘हमने फाइल देखी है, इस मामले में क्या किया जा सकता है? वैसे भी नागरिकता के मुद्दे पर क्या हो रहा है, यह देखने के लिए हम नोटिस जारी कर रहे हैं. दो सप्ताह में इस पर जवाब दाखिल किया जाए.'पीठ ने केंद्र और यूपी सरकार से जवाब मांगा और इसे 28 फरवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया. पारिख ने कहा कि कमर अपनी सजा पूरी करने के बाद पिछले सात साल से एक हिरासत केंद्र में बंद है और उसे अपने परिवार के साथ रहने के लिए रिहा किया जा सकता है. वकील सृष्टि अग्निहोत्री के माध्यम से शीर्ष अदालत का रुख करने वाली उनकी बेटी और बेटे के अनुसार, उनके पिता कमर उर्फ मोहम्मद कामिल का जन्म 1959 में भारत में हुआ था.

शीर्ष कोर्ट में दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में कहा गया है, ‘ कमर 1967-1968 में लगभग 7-8 साल की उम्र में भारत से पाकिस्तान में अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए वीजा पर गया था. हालांकि, उसकी मां की मृत्यु हो गई, और वह अपने रिश्तेदारों की देखभाल में ही पाकिस्तान में रहता रहा.' इसमें कहा गया है कि कमर, वयस्क होने पर, 1989-1990 के आसपास पाकिस्तानी पासपोर्ट पर भारत वापस आ गया और उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक भारतीय नागरिक शहनाज बेगम से शादी कर ली. याचिका में कहा गया है कि विवाह के बाद पांच बच्चे पैदा हुए.

कमर के पास यह दिखाने के लिए कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है कि वह अपनी मां के साथ 1967-68 के आसपास पाकिस्तान गया था और उसकी मां की मृत्यु हो गई थी. मेरठ में वो नौकरी कर रहा था और अपने परिवार के साथ वहां रह रहा था, जिनके पास जारी आधार कार्ड हैं. कमर ने 2017 में दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर कर रिहाई का आग्रह किया ताकि वह अपने परिवार के साथ रह सके.

उच्च न्यायालय ने 9 मार्च, 2017 को अपने आदेश में उसकी याचिका का निपटारा करते हुए निर्देश दिया कि उसके मामले पर कानून के अनुसार विचार किया जाए.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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