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भारत ने पाक में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया तो किसके साथ होगी दुनिया, किधर हैं अमेरिका, रूस और चीन

भारत ने पहलगाम हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ बताया है. उसने सिंधु जल समझौते को स्थगित कर कई और कदम उठाए हैं.सैन्य कार्रवाई की भी संभावना जताई जा रही है. आइए जानते हैं कि सैन्य कार्रवाई की स्थिति में अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत की स्थिति क्या हो सकती है.

भारत ने पाक में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया तो किसके साथ होगी दुनिया, किधर हैं अमेरिका, रूस और चीन
नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देश में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है. भारत सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया में कई कदम उठाए हैं. इनमें सिंधु जल समझौते को स्थगित करना, पाकिस्तानी नागरिकों को दिए गए वीजा को रद्द करना, अटारी-बाघा सीमा से होने वाले व्यापार को रोकने समेत कई और कदम शामिल है. भारत ने पाकिस्तान के साथ राजयनिक संबंधों को सीमित कर लिया है. इसके साथ ही इस बात की संभावना बढ़ती जा रही है कि भारत पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य विकल्प को भी अपना सकता है. भारत ने सेना को सतर्क और तैयार रहने को कहा है. आइए देखते हैं कि सैन्य कार्रवाई की स्थिति में भारत के साथ कौन-कौन से देश खड़े नजर आएंगे.

पहलगाम हमले पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

आतंकवादियों ने 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में जब पर्यटकों को निशाना बनाया तो दुनिया भर के नेताओं ने इसकी निंदा की थी. इनमें अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय यूनियन, इजरायल, जर्मनी, ईरान और सऊदी अरब समेत दुनिया के कई देशों और मुस्लिम वर्ल्ड लीग जैसे संगठन शामिल थे. इन सभी देशों ने भारत के साथ एकजुटता प्रदर्शित की है. यह हमला ऐसे समय हुआ जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत के आधिकारिक दौरे पर थे. हमले के बाद वेंस ने पीएम मोदी से बात कर पहलगाम हमले की निंदा करते हुए भारत से एकजुटता दिखाई थी. हमले के बाद अपनी यात्रा को रद्द करने की जगह उसे जारी रखने का फैसला किया. वहीं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा कि कश्मीर से बहुत परेशान करने वाली खबर आई है. आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका भारत के साथ मजबूती से खड़ा है. इस तरह से अमेरिका ने यह दिखाया कि अमेरिका भारत के साथ कितनी मजबूती से खड़ा है.

पहलगाम हमले के बाद भी भारत का दौरा जारी रखते हुए अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने आतंक के आकाओं को एक तगड़ा संदेश दिया था.

पहलगाम हमले के बाद भी भारत का दौरा जारी रखते हुए अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने आतंक के आकाओं को एक तगड़ा संदेश दिया था.

भारत के एक और विश्वसनीय सहयोगी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पहलगाम हमले के बाद पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संदेश भेजा. उन्होंने कहा कि वो भारत के साथ हैं. वहीं इजराइली प्रधानमंत्री ने भी भारत के साथ एकजुटता दिखाई. भारत की रक्षा जरूरतों को पूरा करने में इजरायल का बड़ा हाथ है. वह भारत को कई तरह के उपकरण मुहैया कराता है. वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत का मजबूती से समर्थन देता है. 

पहलगाम हमले पर अमेरिका और चीन का रुख

पहलगाम हमला ऐसे समय हुआ जब अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से शुरू किए गए टैरिफ वार की वजह से एक नया वर्ल्ड ऑर्डर आकार ले रहा है. आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दुनिया के अधिकांश देश भारत के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय समुदाय में आजकल पाकिस्तान का सबसे बड़ा खैरख्वाह चीन ही है. वह हर समय उसके साथ खड़ा नजर आता है. लेकिन पहलगाम हमले के बाद चीन की जो प्रतिक्रिया दी वह काफी उत्साहजनक रही. नई दिल्ली स्थिति चीनी दूतावास ने अपने बयान में कहा कि पहलगाम में हुए हमले से स्तब्ध हूं और इसकी निंदा करता हूं. पीड़ितों के प्रति गहरी संवेदना और घायल और शोक संतप्त परिवारों के प्रति हार्दिक सहानुभूति. सभी प्रकार के आतंकवाद का विरोध करें. चीन की इस प्रतिक्रिया के पीछे उस बदलते ग्लोबल ऑर्डर का हाथ है, जो ट्रंप के टैरिफ वार के बाद आकार ले रहा है. इस टैरिफ वार से परेशान भारत और चीन आर्थिक सहयोग के नए रास्ते तलाश रहे हैं. यहां यह समझ लेना भी जरूरी है कि सीमा पर तनाव और 2020 में गलवान जैसी घटना होने के बाद भी भारत-चीन ने व्यापार ठप नहीं किया. चीन का हित पाकिस्तान से अधिक भारत के साथ है, क्योंकि भारत जितना बड़ा बाजार पाकिस्तान में नहीं है. ऐसे में युद्ध की स्थिति में चीन कोई फैसला लेने से पहले इस बात को ध्यान में जरूर रखेगा. ऐसा उसने अतीत में दिखाया भी है. भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्धों में चीन ने खुद को दूर रखा था. 

पिछले कुछ दशक से अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत की स्थिति काफी मजबूत हुई है. भारत की हर बात को गौर से सुना जाता है. दुनिया हर छोटे-बड़े ईलीट क्लब की सदस्यता भारत के पास है. वहीं पाकिस्तान की हालत दिन प्रति दिन खराब होती जा रही है. आज उसे असफल देश की श्रेणी में रखा जा रहा है. उसकी आर्थिक स्थिति भी बद से बदतर होती जा रही है. वह लगातार अंतरराष्ट्रीय समर्थन भी खोता जा रहा है. वह पिछले कुछ सालों से अमेरिका से रिश्ते सुधारने की कोशिशों में लगा हुआ है. लेकिन अमेरिका उसे भाव नहीं दे रहा है. आतंकवाद से उसका संबंध उसामा बिन लादेन के एबटाबाद में मारे जाने के बाद से और उजागर हुआ है. इससे अंतरराष्ट्रीय जगत में उसकी स्थिति कमजोर हुई है. 

अरब जगत में भारत की स्थिति 

नरेंद्र मोदी सरकार में भारत ने अरब जगत में अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराई है. सऊदी अरब, यूएई, ईरान और कतर जैसे देशों के साथ भारत के रिश्ते प्रगाढ़ हुए हैं. जिस दिन पहलगाम हमला हुआ, उस दिन प्रधानमंत्री सऊदी अरब में ही थे. उन्हें हमले की सूचना वहीं दी गई थी. हमले की जानकारी मिलने के बाद सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने हमले की निंदा की. उन्होंने भारत को मदद का आश्वासन भी दिया था. पहलगाम हमले की निंदा करने वालों में मुस्लिम वर्ल्ड लीग भी शामिल है.पहलगाम हमले पर अरब और मुस्लिम जगत से आई प्रतिक्रिया से यह पता चलता है कि वहां से भी पाकिस्तान को निराशा ही हाथ लगेगी. 

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