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This Article is From May 21, 2022

असम में बाढ़ से 8 लाख लोग प्रभावित, जान बचाकर रेल की पटरियों के भरोसे रह रहे 500 से ज्यादा परिवार

बाढ़ में अपना लगभग सब कुछ खो देने के बाद चांगजुरई और पटिया पाथर गांव के लोग बेहद बेबस नजर आ रहे हैं. तिरपाल की चादरों से बने शिविर में शरण लेने वाले ग्रामीणों का दावा है कि उन्हें पिछले पांच दिनों में राज्य सरकार और जिला प्रशासन से ज्यादा मदद नहीं मिली है.

असम में बाढ़ से 8 लाख लोग प्रभावित, जान बचाकर रेल की पटरियों के भरोसे रह रहे 500 से ज्यादा परिवार
अस में बाढ़ का तांडव
नई दिल्ली:

असम में हर साल बाढ़ मुसीबत का सबब बनकर आती है, लेकिन इस बार बाढ़ ने असम में अपना रौद्र रूप दिखा रही है. आलम ये है कि इलाके राज्य के कई गांवों में पानी भर चुका है. जमुनामुख जिले के दो गांवों के 500 से अधिक परिवार रेलवे ट्रैक पर रह रहे हैं, क्योंकि सिर्फ ये ही ऐसी जगह है जो बाढ़ के पानी में नहीं डूबी है. बाढ़ में अपना लगभग सब कुछ खो देने के बाद चांगजुरई और पटिया पाथर गांव के लोग बेहद बेबस नजर आ रहे हैं. तिरपाल की चादरों से बने शिविर में शरण लेने वाले ग्रामीणों का दावा है कि उन्हें पिछले पांच दिनों में राज्य सरकार और जिला प्रशासन से ज्यादा मदद नहीं मिली है.

43 वर्षीय मोनवारा बेगम अपने परिवार के साथ एक अस्थायी जगह पर रह रही है, क्योंकि पटिया पत्थर गांव में उनका घर बाढ़ में नष्ट हो गया था. बाढ़ से बचने के लिए उनके साथ चार अन्य परिवार भी शामिल हुए हैं, वे सभी इस संकट की घड़ी में एक ही तिरपाल के नीचे रह रहे हैं, उनके पास किसी तरह का भोजन तक नहीं है. मोनवारा बेगम ने कहा, "तीन दिनों तक हम खुले आसमान के नीचे थे, फिर हमने कुछ पैसे उधार लिए और इस तिरपाल की चादर को खरीदा. हम एक ही चादर के नीचे रहने वाले पांच परिवार हैं, कोई निजता नहीं है."

चंगजुरई गांव में अपना घर गंवाने के बाद ब्यूटी बोरदोलोई का परिवार भी तिरपाल की चादर में रह रहा है. उन्होंने एनडीटीवी को बताया, "बाढ़ में हमारी फसल तैयार धान की फसल नष्ट हो गई, अभी भी स्थिति अनिश्चित बनी हुई है क्योंकि इस तरह से जीवित रहना बहुत मुश्किल है." बोरदोलोई की रिश्तेदार सुनंदा डोलोई ने कहा, "यहां की स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण है, पीने के साफ पानी का कोई स्रोत नहीं है, हम दिन में केवल एक बार खाते हैं. पिछले चार दिनों में हमें केवल कुछ चावल मिले हैं." पटिया पत्थर के एक अन्य बाढ़ पीड़ित नसीबुर रहमान ने एनडीटीवी को बताया, "हमें चार दिनों के बाद कल सरकार से मदद मिली. उन्होंने हमें थोड़ा चावल, दाल और तेल दिया, लेकिन कुछ को वह भी नहीं मिला." 

आपको बता दें कि इस वक्त असम में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है, 29 जिलों के 2,585 गांवों में 8 लाख से अधिक लोग प्राकृतिक आपदा की चपेट में हैं. प्री-मानसून बारिश के कारण आई बाढ़ और भूस्खलन में 14 लोगों की मौत हो गई है. 343 राहत शिविरों में 86,772 लोगों ने शरण ली है, जबकि अन्य 411 राहत वितरण केंद्र भी चालू हैं. सेना, अर्धसैनिक बलों और राष्ट्रीय और राज्य आपदा राहत बलों ने नावों और हेलीकॉप्टरों का उपयोग करके विभिन्न बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से 21,884 लोगों को रेस्क्यू किया है.

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