
प्रतीकात्मक फोटो.
- चुनाव आयोग सितंबर 2018 तक दोनों चुनाव साथ कराने में सक्षम हो जाएगा
- कांग्रेस ने कहा- लोग मोदी सरकार को मुंहतोड़ जवाब देंगे
- सीपीआई व सीपीएम ने कहा- सरकार को एकपक्षीय फैसला लेने का अधिकार नहीं
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
नई दिल्ली:
कांग्रेस ने कहा है कि वह राज्य विधानसभा चुनावों के साथ समय से पहले लोकसभा चुनाव कराए जाने के लिए तैयार है, जबकि वाम दलों ने एक साथ चुनाव कराए जाने के किसी भी कदम का विरोध किया है.
गौरतलब है कि चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने बुधवार को भोपाल में कहा था कि आयोग सितंबर 2018 तक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने में सक्षम हो जाएगा. इसके एक दिन बाद यह प्रतिक्रिया आई है.
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सरकार को चुनाव आयोग को चुनाव पहले कराने के बारे में अवश्य ही कहा होगा. उन्होंने कहा कि लोग मोदी सरकार को मुंहतोड़ जवाब देंगे क्योंकि वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके जुमलों से आजिज आ चुके हैं. उन्होंने कहा कि सरकार जिस तरह से नौकरियों और कारोबार और कृषि को जिस तरह से नष्ट कर रही है, उससे भी लोग परेशान हैं.
यह भी पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट की याचिका में उठाई मांग- एक उम्मीदवार लड़े एक ही सीट से चुनाव
वहीं, सीपीआई और सीपीएम ने कहा है कि केंद्र सरकार इस तरह का फैसला एकपक्षीय तरीके से करने के लिए अधिकार प्राप्त नहीं है.
सुरजेवाला ने कहा कि चुनाव आयोग को भाजपा सरकार ने अवश्य ही कहा होगा कि यह संसदीय चुनाव समय से पहले कराने जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी को ऐसी कोई जानकारी नहीं है. हालांकि, हम किसी भी वक्त चुनाव का सामना करने के लिए तैयार हैं. ’’ एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने के आयोग के बयान के बारे पूछे जाने पर कांग्रेस नेता ने कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना चुनाव आयोग का संवैधानिक दायित्व है और सरकार से उपयुक्त नोटिस पाने के साथ उसे चुनाव कराने के लिए तैयार रहना होगा.
यह भी पढ़ें : मोदी सरकार के खिलाफ है जनभावना, हमें अगले चुनाव के लिए तैयार रहना चाहिए : शरद पवार
सीपीआई नेता डी राजा ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग एक साथ चुनाव कराने के लिए भाजपा के रास्ते पर चल रहा है और उन्होंने इसे व्यवहारिक नहीं बताया. उन्होंने कहा कि संविधान ने बहु पार्टी लोकतंत्र को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया है और साथ साथ चुनाव कराना व्यवहारिक नहीं है क्योंकि केंद्र सरकार सभी राज्य सरकारों को लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव में उतरने को नहीं कह सकती.
VIDEO : मुख्य चुनाव आयुक्त का मत
सीपीएम नेता वृंदा करात ने साथ-साथ चुनाव कराए जाने के प्रस्ताव की आलोचना करते हुए कहा कि यह एक राजनीतिक मुद्दा है और किसी व्यक्ति द्वारा इसका फैसला नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल पांच साल के लिए तय है और किसी भी सूरत में इसे नहीं बदला जा सकता.
(इनपुट भाषा से)
गौरतलब है कि चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने बुधवार को भोपाल में कहा था कि आयोग सितंबर 2018 तक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने में सक्षम हो जाएगा. इसके एक दिन बाद यह प्रतिक्रिया आई है.
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सरकार को चुनाव आयोग को चुनाव पहले कराने के बारे में अवश्य ही कहा होगा. उन्होंने कहा कि लोग मोदी सरकार को मुंहतोड़ जवाब देंगे क्योंकि वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके जुमलों से आजिज आ चुके हैं. उन्होंने कहा कि सरकार जिस तरह से नौकरियों और कारोबार और कृषि को जिस तरह से नष्ट कर रही है, उससे भी लोग परेशान हैं.
यह भी पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट की याचिका में उठाई मांग- एक उम्मीदवार लड़े एक ही सीट से चुनाव
वहीं, सीपीआई और सीपीएम ने कहा है कि केंद्र सरकार इस तरह का फैसला एकपक्षीय तरीके से करने के लिए अधिकार प्राप्त नहीं है.
सुरजेवाला ने कहा कि चुनाव आयोग को भाजपा सरकार ने अवश्य ही कहा होगा कि यह संसदीय चुनाव समय से पहले कराने जा रही है. उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी को ऐसी कोई जानकारी नहीं है. हालांकि, हम किसी भी वक्त चुनाव का सामना करने के लिए तैयार हैं. ’’ एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने के आयोग के बयान के बारे पूछे जाने पर कांग्रेस नेता ने कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना चुनाव आयोग का संवैधानिक दायित्व है और सरकार से उपयुक्त नोटिस पाने के साथ उसे चुनाव कराने के लिए तैयार रहना होगा.
यह भी पढ़ें : मोदी सरकार के खिलाफ है जनभावना, हमें अगले चुनाव के लिए तैयार रहना चाहिए : शरद पवार
सीपीआई नेता डी राजा ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग एक साथ चुनाव कराने के लिए भाजपा के रास्ते पर चल रहा है और उन्होंने इसे व्यवहारिक नहीं बताया. उन्होंने कहा कि संविधान ने बहु पार्टी लोकतंत्र को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया है और साथ साथ चुनाव कराना व्यवहारिक नहीं है क्योंकि केंद्र सरकार सभी राज्य सरकारों को लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव में उतरने को नहीं कह सकती.
VIDEO : मुख्य चुनाव आयुक्त का मत
सीपीएम नेता वृंदा करात ने साथ-साथ चुनाव कराए जाने के प्रस्ताव की आलोचना करते हुए कहा कि यह एक राजनीतिक मुद्दा है और किसी व्यक्ति द्वारा इसका फैसला नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल पांच साल के लिए तय है और किसी भी सूरत में इसे नहीं बदला जा सकता.
(इनपुट भाषा से)