नई दिल्ली:
सांसदों ने अपने वेतन और भत्तों में में 100 प्रतिशत वृद्धि की सिफारिश की है, साथ ही उन्हें लगता है कि अपने 'अच्छे रवैये' की वजह से वह इस बढ़ोतरी के लायक हैं। संसद के अगले सत्र में इस मुद्दे पर बिल पास होने की संभावना है। सांसदों का वेतन दोगुना करने का प्रस्ताव तैयार रखा हुआ है। संसदीय समिति ने सांसदों का वेतन 50 हजार से बढ़ाकर 1 लाख करने की सिफारिश की है। साथ ही संसदीय क्षेत्र का भत्ता भी 45 हज़ार से 90 हज़ार करने की बात कही गई है। इस प्रस्ताव को माना गया तो सांसदों का वेतन और भत्ता एक लाख 40 हज़ार से बढ़कर कुल 2 लाख 80 हजार प्रतिमाह किया जा सकता है।
सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक किसी सरकारी नुमाइंदे की न्यूनतम तनख़्वाह 18,000 और अधिकतम 2 लाख 25 हजार हो सकती है। साथ ही कैबिनेट सचिव और समकक्ष अधिकारी के लिए 2.5 लाख रुपये प्रतिमाह वेतन का प्रस्ताव है। बीजेपी के सदस्य योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में इस समिति ने पेंशन में 75 प्रतिशत वृद्धि की बात कही है। गौरतलब है आखिरी बार 6 साल पहले सासंदों के वेतन में वृद्धि हुई थी। ससंद में इसे स्वीकृति के लिए रखने से पहले इस मामले पर सभी मंत्रालयों से एक कैबिनेट नोट भेजकर राय मांगी गई है।
मीडिया का डर
सोमवार को समाजवादी पार्टी के नरेश अग्रवाल ने वेतन वृद्धि का मुद्दा राज्यसभा में उठाया। मीडिया पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा 'सासंदों के वेतन और भत्ते से जुड़ी एक रिपोर्ट को संसदीय समिति ने जमा कर दिया है लेकिन मीडिया प्रेशर की वजह से उसे दबा दिया गया।' अग्रवाल ने कहा कि अपने अच्छे रवैये की वजह से वह इस बढ़ोतरी के लिए पात्रता रखते हैं। साथ ही सपा सांसद ने कहा कि 'कई सांसद इसे चाहते तो हैं लेकिन डर के मारे बोल नहीं रहे हैं। इस सैलेरी में आप हमसे तीन घरों के रख रखाव की अपेक्षा करते हैं। यह मुमकिन नहीं है।'
इस पर राज्य सभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सासंद गुलाम नबी आज़ाद ने अग्रवाल का समर्थन देते हुए कहा कि 'मैं अपने विपक्षी मित्र की इस बात से सहमत हूं, खासतौर पर सांसदों के रवैये के मुद्दे पर। मंहगाई से सब पर असर पड़ा है, एमपी भी इससे अछूते नहीं हैं।'
सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक किसी सरकारी नुमाइंदे की न्यूनतम तनख़्वाह 18,000 और अधिकतम 2 लाख 25 हजार हो सकती है। साथ ही कैबिनेट सचिव और समकक्ष अधिकारी के लिए 2.5 लाख रुपये प्रतिमाह वेतन का प्रस्ताव है। बीजेपी के सदस्य योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में इस समिति ने पेंशन में 75 प्रतिशत वृद्धि की बात कही है। गौरतलब है आखिरी बार 6 साल पहले सासंदों के वेतन में वृद्धि हुई थी। ससंद में इसे स्वीकृति के लिए रखने से पहले इस मामले पर सभी मंत्रालयों से एक कैबिनेट नोट भेजकर राय मांगी गई है।
मीडिया का डर
सोमवार को समाजवादी पार्टी के नरेश अग्रवाल ने वेतन वृद्धि का मुद्दा राज्यसभा में उठाया। मीडिया पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा 'सासंदों के वेतन और भत्ते से जुड़ी एक रिपोर्ट को संसदीय समिति ने जमा कर दिया है लेकिन मीडिया प्रेशर की वजह से उसे दबा दिया गया।' अग्रवाल ने कहा कि अपने अच्छे रवैये की वजह से वह इस बढ़ोतरी के लिए पात्रता रखते हैं। साथ ही सपा सांसद ने कहा कि 'कई सांसद इसे चाहते तो हैं लेकिन डर के मारे बोल नहीं रहे हैं। इस सैलेरी में आप हमसे तीन घरों के रख रखाव की अपेक्षा करते हैं। यह मुमकिन नहीं है।'
इस पर राज्य सभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सासंद गुलाम नबी आज़ाद ने अग्रवाल का समर्थन देते हुए कहा कि 'मैं अपने विपक्षी मित्र की इस बात से सहमत हूं, खासतौर पर सांसदों के रवैये के मुद्दे पर। मंहगाई से सब पर असर पड़ा है, एमपी भी इससे अछूते नहीं हैं।'
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