उत्तर प्रदेश के एक अधिकारी को अपने दफ्तर में एक शख्स को सजा देना महंगा पड़ गया. शख्स को अपने दफ्तर में सजा देने का उनका यह वीडियो वायरल होते ही उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करते हुए उन्हें फिलहाल पद से हटा दिया गया है.यह पूरा मामला बरेली का बताया जा रहा है. बरेली के मीरगंज के एसडीएम उदित पवार पर आरोप है कि उन्होंने अपने दफ्तर में तीसरी बार अपनी मांग को लेकर आए शख्स को अपने सामने 'मुर्गा' बनाया. लेकिन उदित पवार ने इस सभी आरोपों को गलत बताया है.
प्रारंभिक जांच में एसडीएम की गलती पाई गई
मीरगंज के एसडीएम उदित पवार ने कहा कि पीड़ित शख्स उनके दफ्तर में घुसते ही मुर्गा बनने लगा था, मैंने तो खुद उसे ऐसा न करने और सीधा खड़ा होने के लिए कहा था. मैंने वहां खड़े कुछ अन्य लोगों से भी कहा था कि वह उस शख्स को सीधा खड़ा होने में मदद करें. हालांकि, जिला मजिस्ट्रेट ने कहा है कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि एसडीएम की गलती थी. उन्होंने पवार को उनके पद से हटा दिया है, और अब तक उन्हें कोई नई पोस्टिंग नहीं सौंपी गई है.
एसडीएम सर ने मुझे मुर्गा बनने के लिए कहा: पीड़ित
पीड़ित का आरोप है कि वह अपने गांव के कुछ अन्य लोगों के साथ श्मशान घाट से जुड़ी मांग लेकर एसडीएम कार्यालय पहुंचा था, लेकिन एसडीएम ने उल्टा उसे ही दंडित कर दिया और उसका निवेदन पत्र भी फेंक दिया. पीड़ित शख्स ने कहा कि मैं तो उनके दफ्तर में श्माशान घाट के लिए जमीन देने की मांग को लेकर पहुंचा था. मैंने उन्हें पहले निवेदन पत्र देकर इस बात की जानकारी दी थी कि हमारे गांव मदनपुर में कोई श्मशान घाट नहीं है. एसडीएम सर ने मुझे मुर्गा बनने के लिए कहा.
पीड़ित ने अधिकारी पर लगाया गाली देने का आरोप
इसके आगे पीड़ित ने कहा कि जब मैंने उनसे पूछा कि आप ऐसा करने के लिए क्यों कह रहे हैं तो वो मुझे गाली देने लगे.फिर मैंने उन्हें कहा कि मैं आपके दफ्तर में तीसरी बार आ रहा हूं और अब मैं तब तक ऐसे ही झुक कर रहूंगा जब तक आप मेरी मांगों को नहीं मान लेते. इसके बाद उन्होंने कहा कि मैं सिर्फ एक्टिंग कर रहा हूं. उन्होंने कहा कि सरकारी दस्तावेजों में श्मशान घाट का कोई जिक्र नहीं है, वहां सिर्फ कब्रिस्तान दर्ज है और मुझे कोई न्याय नहीं मिलेगा.
लोगों ने कब्रिस्तान के नाम पर श्मशान घाट की जमीन पर किया कब्जा
ग्रामीणों के शिकायती पत्र में कहा गया है कि गांव में हिंदू और मुस्लिम दोनों रहते हैं, लेकिन गांव में कोई श्मशान घाट नहीं है.आरोप लगाया कि मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने कब्रिस्तान के नाम पर श्मशान घाट की जमीन पर कब्जा कर लिया है. ऐसे में जिला प्रशासन को श्मशान के लिए जमीन की व्यवस्था करनी चाहिए क्योंकि उन्हें अंतिम संस्कार करने में दिक्कत होती है.
एसडीएम ने अपने बचाव में दी ये सफाई
एसडीएम ने अपने बचाव में कहा कि जब वो कोर्ट की कार्रवाई से फ्री होकर अपने दफ्तर लौटे तो उन्होंने देखा कि वहां पहले से ही पांच से छह लोग बैठे हुए हैं. जिनमें से एक शख्स पहले से ही झुका हुआ है. उदित पवार ने कहा कि मेरे दफ्तर में बैठे लोगों में से जैसे ही एक की नजह मुझ पर गई तो तुरंत ही झुक गया. मैंने उससे पूछा कि आखिर वह ऐसा क्यों कर रहा है. मैंने दूसरे लोगों से कहा कि आप इसे पहले सीधा खड़े होने कहिए. जब वह मेरे सामने झुका हुआ था
इस दौरान किसी ने यह वीडियो बना लिया. मैंने उनकी शिकायत सुनी और उन्हें आश्वासन भी दिया कि मैं उनकी इस समस्या का निपटारा करूंगा. ऐसे में यह कहना कि मैंने उनको यह सजा दी, पूरी तरह से गलत है.
जांच के बाद अधिकारी को तुरंत पद से हटाया गया
हालांकि, बरेली के जिला मजिस्ट्रेट शिवकांत द्विवेदी ने कहा कि उन्हें एक वीडियो मिला है जिसमें एक व्यक्ति को पवार के कार्यालय के फर्श पर अपमानजनक स्थिति में देखा गया था, और जांच में अधिकारी को लापरवाह पाया गया, जिसके बाद उसे तुरंत उसके पद से हटा दिया गया और एक वहां नये अधिकारी की नियुक्ति की गई है.
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