सांकेतिक तस्वीर
मुंबई:
प्याज, टमाटर के बाद सर्दियों में ज्यादा खाए जाने वाला लहसुन भी सर्द मौसम में गर्म तेवर दिखाने लगा है। 60-70 रु./किलो बिकने वाला लहसुन सीधे 200 रु./किलो के पार चला गया है। संसद में महंगाई पर बहस तो शुरू हो गई है, लेकिन सड़क पर लगे हाट-बाज़ारों में ज़रूरी सामान के दाम कम नहीं हो रहे हैं।
थोक बाज़ार में टमाटर अपनी क्वॉलिटी के हिसाब से 20-24 रु. के बीच बिक रहा है, लेकिन खुदरा बाज़ार में ये 40-45 रु. के बीच। प्याज थोड़ा गिरा है, थोक में इसकी क़ीमत 15-25 रु. प्रति किलो है, लेकिन खुदरा में 35-40 रु/किलो। वहीं लहसुन 60-70 रु., से उछलकर सीधे 200 के पार चला गया है।
वाशी में एपीएमसी मॉर्केट के कारोबारी मनोहर तोतलानी ने कहा, 'पहले लहसुन रोज़ाना 15-20 ट्रक आता था, फिलहाल 5-6 ट्रक ही आ रहे हैं, 2 महीने लोगों को लहसुन महंगी क़ीमत पर ही मिलेगा, नई फसल आने के बाद ही इसकी क़ीमत कम होगी।'
बाज़ार में दाल और सरसों तेल भी अपने भाव से ऊपर या उसी पर बने हुए हैं। थोक बाज़ार में दाल अब भी 170रु. के आसपास बिक रही है, खुदरा बाज़ार में इसकी क़ीमत 190-200 रु. के बीच है, सरसों तेल में नवंबर से 10 रु. का और इज़ाफा हो गया है, इसकी क़ीमत 150 .रु/ली. जा पहुंची है। तेल के थोक कारोबारी और सिद्धिविनायक ट्रेडिंग कंपनी के मालिक युवराज गौर ने कहा, 'फसल ख़राब हुई है, जब तक नई फसल नहीं आएगी भाव बढ़ेगा, 15 किलो पर भाव 150 रु. हो गया है।'
कहीं कम बरसात, तो कहीं बेमौसम बरसात से फसलों की आवक तो कम हो ही रही है, महंगाई बढ़ाने में जमाखोरी भी अपना रोल निभा रही है। सरकार ने महंगाई पर संसद में बहस तो शुरू की है, लेकिन सड़क पर खड़े आम आदमी को अब भी राहत का इंतज़ार है।
थोक बाज़ार में टमाटर अपनी क्वॉलिटी के हिसाब से 20-24 रु. के बीच बिक रहा है, लेकिन खुदरा बाज़ार में ये 40-45 रु. के बीच। प्याज थोड़ा गिरा है, थोक में इसकी क़ीमत 15-25 रु. प्रति किलो है, लेकिन खुदरा में 35-40 रु/किलो। वहीं लहसुन 60-70 रु., से उछलकर सीधे 200 के पार चला गया है।
वाशी में एपीएमसी मॉर्केट के कारोबारी मनोहर तोतलानी ने कहा, 'पहले लहसुन रोज़ाना 15-20 ट्रक आता था, फिलहाल 5-6 ट्रक ही आ रहे हैं, 2 महीने लोगों को लहसुन महंगी क़ीमत पर ही मिलेगा, नई फसल आने के बाद ही इसकी क़ीमत कम होगी।'
बाज़ार में दाल और सरसों तेल भी अपने भाव से ऊपर या उसी पर बने हुए हैं। थोक बाज़ार में दाल अब भी 170रु. के आसपास बिक रही है, खुदरा बाज़ार में इसकी क़ीमत 190-200 रु. के बीच है, सरसों तेल में नवंबर से 10 रु. का और इज़ाफा हो गया है, इसकी क़ीमत 150 .रु/ली. जा पहुंची है। तेल के थोक कारोबारी और सिद्धिविनायक ट्रेडिंग कंपनी के मालिक युवराज गौर ने कहा, 'फसल ख़राब हुई है, जब तक नई फसल नहीं आएगी भाव बढ़ेगा, 15 किलो पर भाव 150 रु. हो गया है।'
कहीं कम बरसात, तो कहीं बेमौसम बरसात से फसलों की आवक तो कम हो ही रही है, महंगाई बढ़ाने में जमाखोरी भी अपना रोल निभा रही है। सरकार ने महंगाई पर संसद में बहस तो शुरू की है, लेकिन सड़क पर खड़े आम आदमी को अब भी राहत का इंतज़ार है।