पूर्वोत्तर क्षेत्र के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए विजन प्लान बनाने वाली एक नोडल एजेंसी ने म्यांमार के चिन राज्य से कुकी समुदाय के मणिपुर प्रवास पर एक तथ्यात्मक त्रुटि कर दी. इसके कारण इस महत्वपूर्ण दस्तावेज को वापस लेना पड़ा है. नॉर्थ ईस्टर्न काउंसिल (एनईसी) के 'विजन प्लान 2047' में गलती से बताया गया था कि "कुकी मणिपुर के चिन राज्य से आए हैं. जबकि इसे म्यांमार के चिन राज्य से होना चाहिए था.
मुख्यमंत्री ने क्या कहा?
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर एक पोस्ट में कहा, "दस्तावेज वापस ले लिया गया है. उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास (DoNER) मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को मामले से अवगत करा दिया गया है." उन्होंने बताया कि यह गलती 'कला, संस्कृति और प्राकृतिक विरासत' शीर्षक वाले विज़न दस्तावेज़ के अध्याय 3 में पाई गई थी. आपको बता दें भारत का पड़ोसी देश म्यांमार का चिन राज्य मणिपुर और मिजोरम के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है.
चिन के हालात कैसे हैं?
यूनिसेफ के अनुसार, वर्तमान में चिन राज्य म्यांमार में सबसे कम विकसित क्षेत्रों में से एक है. इसमें सभी राज्यों और क्षेत्रों की तुलना में गरीबी दर सबसे अधिक है, और लगभग 10 में से छह लोग गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं. 2015 के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि लगभग 80 प्रतिशत घरों में खाने के लिए कुछ नहीं है या किसी तरह पेट भरने वाली स्थिति है. यूनिसेफ ने अपनी वेबसाइट पर कहा है कि वहां 10 में से एक बच्चा पांच साल की उम्र तक नहीं पहुंच पाएगा.
कुकी नाम कैसे पड़ा?
बीरेन सिंह सरकार ने मणिपुर में जातीय हिंसा फैलने के पीछे म्यांमार से अवैध आप्रवासन को सबसे बड़े कारकों में से एक बताया है. एनईसी दस्तावेज में त्रुटि के कारण सोशल मीडिया पर ऐसे समय में आलोचना हुई जब घाटी मैतेई और कुकी विवाद में फंसा हुआ है. कुकी की दो दर्जन जनजातियां मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में रहती हैं. उन्हें ये नाम अंग्रेजों ने भारत में सत्ता पर रहते हुए दिया था. मणिपुर हिंसा के कारण करीब 220 से अधिक लोग मारे गए हैं और लगभग 50,000 लोग विस्थापित हुए हैं.
मणिपुर हिंसा के कारण
सामान्य वर्ग के मैतेई लोग अनुसूचित जनजाति वर्ग में शामिल होना चाहते हैं, जबकि चिन राज्य और मिजोरम के लोगों के साथ जातीय संबंध साझा करने वाले कुकी लोग मैतेइयों के साथ भेदभाव और संसाधनों और सत्ता में असमान हिस्सेदारी का हवाला देते हुए मणिपुर से अलग एक अलग प्रशासन चाहते हैं. उत्तर पूर्वी परिषद का गठन 1971 में किया गया था. साल 2008 में पिछला दस्तावेज 'विजन 2020' तैयार किया गया था. इसने 2020 तक कई लक्ष्यों को प्राप्त करने की आशा की थी, जिनमें से कुछ में "क्षेत्र को शांतिपूर्ण, मजबूत, आश्वस्त और तैयार देखना" शामिल था.
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